Indonesian Army में भर्ती से पहले होता है लड़कियों का Virginity Test, सरकार ने अब लिया ये फैसला

इंडोनेशिया (Indonesia) में लंबे समय से सेना में भर्ती के नाम पर महिलाओं के साथ भेदभाव और जुल्म हो रहा था. लेकिन अब बदलते समय के साथ इस चलन में भी बड़ा बदलाव आया है. इंडोनेशियन आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा है कि सेना में शामिल होने के लिए इच्छुक महिलाओं का अब वर्जिनिटी टेस्ट (Virginity Test) नहीं किया जाएगा. मानव अधिकारों (Human Rights) से जुड़े संगठन लंबे समय से इंडोनेशियन आर्मी में चली आ रहे इस ट्रेंड को महिला विरोधी और दर्दनाक बताते आए हैं.

Wed, 11 Aug 2021-10:40 pm,
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टू-फिंगर टेस्ट की प्रक्रिया

आर्मी के इस प्रोसेस को इंडोनेशिया में 'टू-फिंगर टेस्ट' (Two-Finger Test) के तौर पर जाना जाता है, क्योंकि डॉक्टर जांच के दौरान महिला की वेजाइना (Vagina) में दो उंगलियां डालते हैं ताकि यह देखा जा सके कि उसकी हाइमन अभी भी बरकरार है या टूट चुकी है. जांच के दौरान जो महिला इस टेस्ट में फेल हो जाती थीं उन्हें सेना में भर्ती के लिए योग्य नहीं माना जाता था.

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दुनियाभर में उठे थे सवाल

न्यूयॉर्क स्थित ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के मुताबिक, टू-फिंगर टेस्ट बेहद अपमानजनक और क्रूर प्रक्रिया थी. इस संस्था ने 2014 में इसकी जांच (Investigation) की और 2017 में इसे खत्म करने के लिए नए सिरे से मुहिम की शुरुआत की.

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साबित करनी होती थी वर्जिनिटी

इंडोनेशिया की सेना ने पहले कहा था कि भर्ती के लिए नैतिकता (Morals) का टेस्ट करने में यह प्रक्रिया जरूरी थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इन टेस्ट का कोई वैज्ञानिक मूल्य नहीं है और एक हाइमन का होना या ना होना इस बात को साबित नहीं करता कि महिला Virgin है या नहीं.

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सेना प्रमुख ने किया ये ऐलान

इंडोनेशियाई सेना प्रमुख एंडिका पेरकासा (Andika Perkasa) ने मंगलवार को बताया कि सेना में अब इस तरह का टेस्ट नहीं किया जाता. इंडोनेशियाई सेना के एक प्रवक्ता ने कहा, 'चाहे हाइमन टूट गया था या आंशिक रूप से टूटा हुआ (Partially Ruptured) था, पहले ये टेस्ट का हिस्सा था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है'.

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ऐसे टेस्ट महिलाओं के खिलाफ हिंसा

सेना प्रमुख ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि पुरुषों और महिलाओं के लिए सेना की चयन प्रक्रिया एक समान होनी चाहिए. किसी के साथ भर्ती के दौरान भेदभाव करना ठीक नहीं है. सेना के इस फैसले का मानवाधिकार कार्यकर्ताओं (Human Right Activists) ने स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के टेस्ट महिलाओं के खिलाफ हिंसा का जरिया थे. आर्मी के अलावा इंडोनेशिया की नौसेना और वायु सेना ने भी इस टेस्ट को करना बंद कर दिया है, इसे लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं हो सका है.

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