नई दिल्ली: जल ही जीवन है. जल है तो कल है. अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा. पानी से पानी तेरा रंग कैसा. ऐसी कई सदाबहार बातें आपने भी सुनी होंगी. ये चर्चा इसलिए क्योंकि आज वर्ल्ड वाटर डे (World Water Day) है. खुद पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कैच द रेन (Catch The Rain) अभियान की शुरुआत की है. आइए आपको उन देशों के बारे में बताते हैं जहां घर के नल में डायरेक्ट आने वाला पानी बेहद साफ और शुद्ध है. यहां पर एशियाई और अफ्रीकी देशों की तरह पीने के पानी का संकट नहीं है. यानी कहा जा सकता है कि यहां अलग से महंगा वाटर प्यूरीफायर लगवाने और उसका सालाना मेंटिनेंस खर्च उठाने की जरूरत नहीं है.
नल से आने वाली पानी की शुद्धता इस पर निर्भर है कि वो कहां से आ रहा है. इसके बाद उस पानी को किस तरह पीने लायक बनाने के लिए ट्रीटमेंट दिया गया. सबसे पहले बात न्यूजीलैंड (New Zealand) की जहां का पानी एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे शुद्ध और सुरक्षित माना जाता है. इस देश का अपना सबसे अलग एडवांस फिल्ट्रेशन सिस्टम है.
अब बात यूरोप के आइसलैंड (Iceland) की जहां पर 95% पानी ऐसा है, जो आज तक प्रदूषण के संपर्क में नहीं आया. यहां कई किलोमीटर के दायरे में ग्लेशियर हैं. यहां की खास बात यानी यूएसपी ये भी है कि यहां आइसलैंड में पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि इस देश में सिर्फ यूवी ट्रीटमेंट किया जाता है.
यूरोप में ही अगला देश है जर्मनी जहां की वाटर ट्रीटमेंट कंपनियां दुनिया में मशहूर हैं. यहां वाटर क्वालिटी को लेकर हुए एक शोध की रिपोर्ट में पाया गया था कि सिर्फ 0.01 % सैंपल ही क्वालिटी मानकों पर खरा नहीं उतरा.
स्विट्जरलैंड में भी डायरेक्ट नल से शुद्ध पानी मिलता है. सरकारी डेटा के मुताबिक यहां शुद्ध पानी बारिश और ग्लेशियरों के जरिये मुहैया कराया जाता है. यहां हर घर के नल से आने वाले पानी की क्वालिटी मिनरल वॉटर जैसी बताई जाती है.
इस कड़ी में अगला देश नॉर्वे (Norway) है. यहां कई झीलों के साथ 4 प्रमुख बड़ी नदियां हैं. यूरोप के इस देश में भी बर्फ के ग्लेशियर भी हैं. नॉर्वे में 90% नल का पानी नेचुरल सोर्स से सप्लाई कराया जाता है. पीने के साफ पानी की आपूर्ति कराने के मामले में इस हिसाब से यूरोप अन्य महाद्वीपों की तुलना में बेहतर माना जा सकता है.
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