'क्लीन मीट' एक नॉमल मीट की तरह ही जांच में पूरी तरह सुरक्षित पाया गया है. जानकारों की मानें तो वैश्विक फूड इंडस्ट्री के लिए यह एक अहम खोज है और उम्मीद है कि बाकी के देश भी सिंगापुर की तरह इसकी मंजूरी देंगे.
कंपनी के अधिकारियों ने कहा, 'वैश्विक फूड इंडस्ट्री के लिए यह एक अहम खोज है और उम्मीद है कि बाकी के देश भी सिंगापुर की तरह इसकी मंजूरी देंगे. हम उम्मीद कर रहे हैं कि ये पारंपरिक मांस खाने वाले लोगों के भरोसे को कायम रखेगा और उसे इस वादे पर जीत लेंगे कि उनका उत्पाद ज्यादा असली है.
जानकारों की मानें तो ये उत्पाद लोगों के लिए किफायती साबित होगा. ये उनकी जेब पर भारी नहीं पड़ेगा और स्वाद के मामले में भी अव्वल होगा. वहीं कई लोग इसे पर्यावरण को मिलने वाले फायदे से भी जोड़ कर देख रहे हैं और फैसले की तारीफ कर रहे हैं.
वैज्ञानिकों की मानें तो ये फैसला मीट कंपनियों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, लेकिन चुनौतियां भी बढ़ेंगी. वैज्ञानिकों के अनुसार, विशेष परिस्थितियों में यह फैसला जलवायु परिवर्तन के लिए घातक साबित हो सकता है.
हालांकि 'क्लीन मीट' एक नॉमल मीट की तरह ही जांच में पूरी तरह सुरक्षित पाया गया है. एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार, इसके लिए एक रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है जो इस बात पर नजर रखेगा कि मांस को बेचने और बनाने के दौरान सुरक्षा मानदंडों का पालन किया जा रहा है या नहीं. (फोटो साभार- Wired UK)
कंपनी से मिली जानकारी के मुताबिक, पारंपरिक चिकन की तुलना में लैब में बने चिकन के मांस में माइक्रोबायोलॉजिकल तत्व बहुत कम होंगे. ये मांस सीधे जानवरों की कोशिका से लैब में तैयार किया जाता है और इस पूरी प्रक्रिया में एंटिबायोटिक्स का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता है. ये मांस पूरी तरह सुरक्षित है.
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