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4300 साल पहले डूब रही धरती, इंसान को जिस रहस्यमयी नाव ने बचाया! उसे वैज्ञानिकों ने खोज निकाला

Noahs Ark Found in Turkey: बाइबिल में उल्लेख है कि धरती पर हजारों साल पहले जब विनाश लाने वाली बाढ़ आई थी तो उसने 150 दिनों तक कहर बरपाया था. मान्यता है कि इस बाढ़ से इंसानियत को बचाने का काम एक रहस्यमयी नाव ने किया था, जिसे नोआह आर्क नाम दिया गया. इस पर एक हॉलीवुड फिल्म भी बनी है.

इंसानियत को विनाश से बचाया

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इंसानियत को विनाश से बचाया

बाइबल के अनुसार, ये विशालकाय नाव ने धरती पर इंसानियत को विनाशकारी बाढ़ से बचाया था और 4300 साल पुरानी की ये घटना मानी जाती है. बाइबिल में इसी तरह की तीन स्तरीय बनावट देखी गई. सतह से छह मीटर नीचे ये आकृति पाई गई है. इससे सदियों पुरानी धार्मिक मान्यता को बल मिला है.

1948 में मिला था उल्लेख

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1948 में मिला था उल्लेख

डेली सबाह (Daily Sabah) की रिपोर्ट में मई 1948 में कहा गया है कि भारी बारिश और भूकंप से यहां कीचड़ बह गया और ये रहस्यमयी आकृति का पहला संकेत मिला. सबसे पहले एक चरवाहे ने इसे देखा. फिर शोधकर्ताओं ने इसकी वैज्ञानिक खोज शुरू की. 

 

150 दिनों की प्रलंयकारी बाढ़

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150 दिनों की प्रलंयकारी बाढ़

बाइबिल में कहा गया है कि जब 150 दिनों की प्रलय लाने वाली बाढ़ में धरती डूब गई थी, तब ये नोआह आर्क (विशालकाय नाव) तुर्की के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एग्री के पास आकर ठहरी थी.  इसे बाइबिल में 155 मीटर लंबा, 26 मीटर चौड़ा और 16 मीटर ऊंचा बताया गया है. 

नोआह आर्क का जिक्र

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नोआह आर्क का जिक्र

वैज्ञानिकों ने तुर्की के ड्रुपिनार इलाके में जमीन के भीतर इसी नोआह आर्क (Noah's Ark) जैसी आकृति का पता रडार स्कैन के जरिये लगाया है. ये तीन मंजिला जहाज नुमा आकृति जैसी है, जिसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं.

बाइबिल में धार्मिक मान्यता का उल्लेख

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बाइबिल में धार्मिक मान्यता का उल्लेख

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने इस नोह आर्क (Noah's Ark) को खोजने का दावा किया है. इसके लिए सतह के भीतर संरचनाओं का पता लगाने वाले रडार का पता लगाया है. ये आकृति 538 फीट लंबी और 13 फीट चौड़ी बताई जाती है. बाइबिल में इसका उल्लेख मिलता है. यह हजारों साल पुरानी धार्मिक मान्यता और उसके अस्तित्व में होने के दावों को मजबूत मिली है. ये 4600 साल पुरानी घटना बताई जाती है.

रहस्यमयी नाव का दावा

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रहस्यमयी नाव का दावा

तुर्की में ये रहस्यमयी नाव जैसी आकृति ड्रुपिनार इलाके में मिली है, जो माउंट अरारात पर्वत से 29 किमी दूर है. इसे ही पारंपरिक तौर पर नोह आर्क का आखिरी भरोसेमंद इलाका माना जाता है.शोधकर्ता  एंड्रूयू जोंस की टीम ने ये खोज की है.

चमत्कारिक खोज

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चमत्कारिक खोज

शोधकर्ता जोंस ने दावा किया कि नोआ आर्क की ये बनावट हूबहू वैसी ही है, जिसे विनाशकारी बाढ़ से बचने को कभी मनुष्यों द्वारा यहां नाव जैसे ढांचे को बनाया गया होगा.मानव उत्पत्ति से जुड़े बाइबिल में इसका उल्लेख मिलता है. 

नोआह आर्क की खोज

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नोआह आर्क की खोज

नोआह आर्क की कथित नाव की लकड़ी के साक्ष्य तो नहीं मिले, लेकिन वैज्ञानिकों का यकीन है कि जो उन्हें खोजा है, वो उसके रासायनिक अवशेष हैं. इसमें ऐसे ढांचे मिले हैं, जो नाव के केबिन या कंपार्टमेंट जैसा है. ये खराब होती लकड़ी के अवशेष जैसा प्रतीत होता है. इसकी लंबाई 515 फीट तक है. इसका रंग बी आसपास के बनावट या ढांचों से काफी अलग है, जो यह बताता है कि ये इंसानों द्वारा बनाई गई है. वैज्ञानिक इसमें आगे ड्रिलिंग के जरिये साक्ष्य इकट्ठा करने की कोशिश करते हैं. रडार सर्वे भी सघन होगा ताकि इस मान्यता को ठोस वैज्ञानिक आधार दिया जा सके.

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

इस खबर में दी गई जानकारी और तथ्य मीडिया रिपोर्ट और वैज्ञानिक दावों पर आधारित है. जी न्यूज इसकी सत्यता और प्रामाणिकता का दावा नहीं करता. इसके चित्रण की वास्तविकता का भी हम दावा नहीं करते. 

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