ईरान ने UN से कहा- यह समय मुखिया बनने का नहीं बातचीत करने का है
Advertisement

ईरान ने UN से कहा- यह समय मुखिया बनने का नहीं बातचीत करने का है

ईरान ने खाड़ी देशों को क्षेत्रीय सुरक्षा पर बातचीत शुरू करने के लिये आमंत्रित किया है और संयुक्त राष्ट्र से कहा कि यह समय ‘‘प्रधान बनने के भ्रम से’’ बाहर निकलने का है. 

ईरान के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र की सतत शांति विषय पर बैठक को संबोधित किया.(फाइल फोटो)

संयुक्त राष्ट्र: ईरान ने खाड़ी देशों को क्षेत्रीय सुरक्षा पर बातचीत शुरू करने के लिये आमंत्रित किया है और संयुक्त राष्ट्र से कहा कि यह समय ‘‘प्रधान बनने के भ्रम से’’ बाहर निकलने का है, जिसके कारण विनाशकारी युद्धों को बढ़ावा मिला है. ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारिफ ने संयुक्त राष्ट्र की सतत शांति विषय पर बैठक को संबोधित करते हुए ‘‘क्षेत्रीय संवाद मंच’’ बनाने का प्रस्ताव रखा.  उन्होंने कहा कि हमने इस अस्थिर जलमार्ग में, जो अनेक युद्धों का गवाह रहा है, अपने पड़ोसी देशों को इस कोशिश में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. 

यह पहल क्षेत्र में ईरान के व्यवहार के बारे में साझा चिंताओं पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके फ्रांसीसी समकक्ष एमैनुअल मैक्रों के वाशिंगटन में मुलाकात के बाद की गई है. ट्रंप ने ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और सीरिया, यमन तथा लेबनान में सैन्य भूमिका के बारे में चिंताओं से ना निपटने तक 2015 के परमाणु समझौते को खत्म करने की धमकी दी है. ट्रंप ने वॉशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान मैक्रों से कहा, ‘‘पश्चिम एशिया में आप चाहे कहीं भी जाएं, आप ईरान के फिंगरप्रिंट देखते हैं."

संयुक्त राष्ट्र ने चेताया, परमाणु हथियारों के प्रयोग का खतरा बढ़ रहा है
आपको बता दें कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की एक शीर्ष अधिकारी ने बढ़ते जुमलों की निंदा की थी. जिनमें दावा किया जाता है कि परमाणु हथियार जरूरी हैं. अधिकारी ने चेताया कि इन हथियारों के प्रयोग का जोखिम बढ़ता जा रहा है. हथियार निरस्त्रीकरण मामलों की संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष प्रतिनिधि इजुमी नाकामित्सु ने परमाणु अप्रसार संधि ( एनपीटी ) की शुरूआती समीक्षा बैठक में कहा, ‘‘ परमाणु हथियारों के जानबूझकर या किसी अन्य तरह से प्रयोग का जोखिम बढ़ता जा रहा है.’’ करीब आधी शताब्दी पहले शीत युद्ध के अपने शीर्ष बिन्दु पर पहुंचने पर एनपीटी लाई गई थी जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों को फैलने से रोकना था लेकिन यह परमाणु संपन्न देशों पर अपना भंडार कम करने की जिम्मेदारी भी डालता है.

इनपुट भाषा से भी  

Trending news