ओमिक्रॉन का मिल गया `तोड़`, कोरोना वायरस के जंजाल से मिलेगा छुटकारा!
भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Covid-19 Omicron Variant) के कहर के बीच इसका तोड़ मिल गया है और वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी की पहचान की है जो ओमिक्रॉन और अन्य वैरिएंट को उन स्थानों को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर सकते हैं.
वॉशिंगटन: भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है और कोविड-19 का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (Covid-19 Omicron Variant) तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. इस बीच ओमिक्रॉन का तोड़ मिल गया है और वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी की पहचान की है जो ओमिक्रॉन और अन्य वैरिएंट को उन स्थानों को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर सकते हैं, जो म्यूटेशन के बाद भी वास्तव में नहीं बदलते हैं.
ओमिक्रॉन समेत आने वाले नए वैरिएंट पर भी होगा प्रभावी
यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित हुआ है और इस रिसर्च से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी (Antibody) से इलाज में मदद मिल सकती है जोकि न केवल ओमिक्रॉन (Omicron) ही नहीं, बल्कि भविष्य में उभरने वाले अन्य स्वरूपों के खिलाफ भी प्रभावी होगा.
कैसे मिलेगा वायरस से छुटकारा?
अमेरिका में 'यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन' के सहायक प्रोफेसर डेविड वेसलर ने कहा, 'यह अध्ययन यह बताता है कि स्पाइक प्रोटीन पर अत्यधिक संरक्षित स्थानों को निशाना बनाने वाले एंटीबॉडी पर ध्यान केंद्रित करके वायरस के निरंतर विकास से छुटकारा पाने का तरीका निकाला जा सकता है.'
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नए वैरिएंट क्यों तेजी से करते हैं संक्रमित?
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन स्वरूप में असामान्य रूप से स्पाइक प्रोटीन में 35 परिवर्तन (म्यूटेशन) हैं, जिसका इस्तेमाल वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने में करते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये परिवर्तन आंशिक रूप से इन बदलावों की व्याख्या करते हैं कि नए स्वरूप इतनी तेजी से फैलने में क्यों सक्षम होते हैं, क्यों उन लोगों को भी संक्रमित करते हैं, जिन्होंने टीके की खुराक ली है और उन लोगों को भी क्यों संक्रमित कर देते हैं जो पहले भी संक्रमित हो चुके हैं.
प्रोफेसर डेविड वेसलर ने कहा कि वे इनसे संबंधित सवालों के जवाब तलाश रहे थे कि ये नए स्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) और एंटीबॉडी की प्रतिक्रियाओं से कैसे बचते हैं. इन परिवर्तनों (Mutations) के प्रभाव का आकलन करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने एक अक्षम, प्रतिकृति न बना सकने वाला 'सूडो वायरस' तैयार किया और इसके सहारे यह अध्ययन किया.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी भाषा)
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