शोध के अनुसार, जो जीव आकार में बड़े होते हैं और लंबे समय तक जीते हैं वे कैंसर की चपेट में आ सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे जीवों में मौजूद जेनेटिक म्यूटेशन के समय हर एक कोशिका का निर्माण बहुत तेजी से होता और ऐसे में एक नया ट्यूमर बनता है.
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नई दिल्लीः कैंसर (Cancer) एक जानलेवा बीमारी है जिससे दुनिया भर के लाखों लोग ग्रसित हैं. कैंसर में भी तमाम तरह के प्रकार होते हैं, जिससे लोग जिंदगी और मौत के बीच की जंग लंबे समय तक लड़ते हैं. इस बीमारी की कोई उम्र नहीं होती. आजकल युवाओं में भी यह तेजी से फैल रही है. हाल ही में कैंसर की बीमारी को लेकर हाथियों (Elephant) पर भी शोध किया गया है, जिसमें बड़ा खुलासा हुआ है.
शोध के अनुसार, जो जीव आकार में बड़े होते हैं और लंबे समय तक जीते हैं वे कैंसर की चपेट में आ सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे जीवों में मौजूद जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic Mutation) के समय हर एक सेल्स का निर्माण बहुत तेजी से होता है और ऐसे में एक नया ट्यूमर बनता है. लिहाजा जिन जीवों के शरीर में अधिक सेल्स होती हैं वे कैंसर के मरीज हो सकते हैं. हालांकि, बावजूद इसके हाथियों को कैंसर का खतरा कम रहता है.
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हाथियों को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो (University at Buffalo) की विंसेंट लिंच और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के जुआन मैन्युएल वाजक्वेज ने शोध किया है. जो एक जर्नल में पब्लिश हुआ है. स्टडी के अनुसार, हाथियों में ऐसे जींस (Tumor Suppression) पाए जाते हैं जो ट्यूमर बनने से रोकते हैं. इसलिए हाथी को कैंसर दुर्लभ स्थिति में ही होता है. आमतौर पर हाथी कैंसर का शिकार नहीं होते हैं. शोध के अनुसार, यदि आपके शरीर का आकार बढ़ता है तो कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है. क्योंकि आपके शरीर में ज्यादा कोशिकाएं का रेशियों भी बढ़ने लगता है.
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रिचर्स के अनुसार, ये हर प्रजाति के जीवों के लिए एक समान नहीं है. इवोल्यूशनरी मेडिसिन और कैंसर बायोलॉजी ने इस बात को प्रमाणित कर दिया कि क्रमगत विकास के साथ-साथ कैंसर का खतरा कम हो सकता है. हमने अपनी नई स्टडी में ये बताया है कि कैसे हाथी, उनके वर्तमान रिश्तेदार और पूर्वज कैंसर प्रतिरोधी थे यानी Cancer Resistant. लिंच का कहना है कि उनके पास कुछ पुराने रिसर्च थे, जिसमें TP53 नाम के ट्यूमर सप्रेसर के जीन्स की जानकारी थी. तभी दिमाग में ख्याल आया कि क्या हाथियों में ऐसे ट्यूमर दबाने वाले जींस होते हैं और फिर उन्होंने इसका शोध किया तो पता चला कि उनके शरीर में भी ऐसे जींस पाए जाते हैं लिहाजा वे कैंसर से पीड़ित नहीं होते हैं.
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