रूस की `परमाणु धमकी` का क्या मतलब? जानें किसके पास कितने न्यूक्लियर हथियार
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बाद अब परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन की धमकी ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. लेकिन सवाल ये है कि क्या रूस वाकई में यूक्रेन पर न्यूक्लियर अटैक कर सकता है?
नई दिल्ली: यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश की Nuclear Detrence Forces को अलर्ट जारी किया है. ये एक बहुत बड़ी और ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि इससे पहले ऐसा वर्ष 1962 के क्यूबा संघर्ष के दौरान हुआ था, जब क्यूबा में अमेरिका और सोवियत संघ आमने सामने आ गए थे.
किसके पास कितने परमाणु हथियार?
न्यूक्लियर डिटेरेंस फोर्स किसी भी देश में परमाणु हथियारों को नियंत्रित करने वाली एक फोर्स होती है. जब कोई देश अपनी इन Forces को अलर्ट जारी करता है तो इसका मतलब ये होता है कि वो देश अपनी आत्मरक्षा और बचाव के लिए अपने परमाणु हथियारों को तैयार रखने के लिए कह रहा होता है. पूरी दुनिया में केवल 9 देश ही ऐसे हैं, जिनके पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में भी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति, रूस ही है. इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार हैं.
रूस के पास सबसे ज्यादा 6 हजार 255 परमाणु हथियार हैं जबकि अमेरिका के पास 5800, ब्रिटेन के पास 225, फ्रांस के पास 290, चीन के पास 350 और भारत के पास 156 परमाणु हथियार हैं. एक जमाने में यूक्रेन भी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी न्यूक्लियर पावर था. लेकिन 1990 के दशक में उसने अमेरिका और ब्रिटेन के कहने पर अपने परमाणु हथियारों को नष्ट कर लिया था. इसलिए, आज रूस तो यूक्रेन को अपने परमाणु हथियारों की धमकी से डरा सकता है, लेकिन यूक्रेन के पास परमाणु हथियार हैं ही नहीं.
क्या परमाणु हमला कर सकता है रूस?
बेलारूस ने कहा है कि वो परमाणु हथियारों की तैनाती के लिए Russian Warheads को अपनी सीमा में प्रवेश दे सकता है. अगर ऐसा होता है तो रूस के परमाणु हथियार यूक्रेन के चारों तरफ बिछे होंगे. रूस, बेलारूस क्राइमिया, Black Sea और पूर्वी यूक्रेन, सभी जगहों से Nuclear War Heads को लॉन्च कर पाएगा और ये काफी खतरनाक स्थिति होगी.
हालांकि, आपके मन में सवाल होगा कि क्या रूस, यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है? तो इसका जवाब ये है कि परमाणु हथियार हाथी के दांत की तरह होते हैं. दिखाने के अलग और खाने के अलग. भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था कि परमाणु हथियार दूसरे देशों को हम पर हमला करने से रोकते हैं इसलिए ये 'शांति के हथियार' हैं. यानी परमाणु बम हमला करने के लिए नहीं बल्कि दूसरे देशों पर दबाव बनाने के लिए होते हैं.
न्यूक्लियर अटैक की धमकी क्यों?
अंग्रेजी में इसके लिए Strategic Deterrence शब्द का इस्तेमाल होता है, जिसका मतलब ये होता है कि ऐसी ताकत विकसित कर लो कि दुश्मन देश हमला करने से पहले एक हजार बार सोचे और हमला कर ही ना पाए. व्लादिमीर पुतिन ऐसा ही कर रहे हैं. वह परमाणु हथियारों को अलर्ट मोड पर डाल कर NATO देशों और अमेरिका को दबाव में लाना चाहते हैं और यूक्रेन के आत्मविश्वास को तोड़ना चाहते हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे क्योंकि, दुनिया में आज तक 13 हजार से ज्यादा परमाणु हथियार विकसित हो चुके हैं. लेकिन इनका इस्तेमाल केवल एक ही बार हुआ है.
1945 में अमेरिका ने जापान के Hiroshima और Nagasaki शहर पर पहला और आखिरी परमाणु हमला किया था. तब इन हमलों में लगभग 2 लाख लोगों की जान गई थी. लेकिन इसके बाद दुनिया में कभी कोई परमाणु हमला नहीं हुआ.
परमाणु हथियारों को लेकर ऐसी नीति
यहां आपके लिए एक और महत्वपूर्ण जानकारी ये है कि, भारत और चीन की परमाणु हथियारों को लेकर 'No First Use' पॉलिसी है, जिसका मतलब ये है कि ये देश अपनी तरफ से पहले परमाणु हमला ना करने की नीति अपनाते हैं. जबकि अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और उत्तर कोरिया जैसे देश इस पॉलिसी का हिस्सा नहीं हैं. सोचिए, ये भी कितनी विडम्बना है कि, अमेरिका और फ्रांस जैसे जो देश, दूसरे देशों को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकते हैं और इन्हें खतरनाक मानते हैं, वो खुद इन परमाणु हथियारों को लेकर 'No First Use' पॉलिसी की नहीं मानते.
रूस ने पिछले वर्ष ही इस संबंध में एक नई नीति बनाई थी, जो ये कहती है कि अगर रूस को लगता है कि उसके राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तो वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने में संकोच नहीं करेगा. कुल मिला व्लादिमीर पुतिन ने आज पश्चिमी देशों को एक्सपोज कर दिया है और आज उन्होंने यूरोप के देशों को झूठ का साम्राज्य बताया है.
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