SAARC समिट से बांग्लादेश ने भी किया किनारा- 'ऐसा माहौल सार्क सम्मेलन के लिए अनुकूल नहीं'
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SAARC समिट से बांग्लादेश ने भी किया किनारा- 'ऐसा माहौल सार्क सम्मेलन के लिए अनुकूल नहीं'

सार्क सम्मेलन को लेकर पाकिस्तान को दोहरा झटका लगा है। भारत के बाद अब बांग्लादेश ने भी सार्क सम्मेलन से किनारा कर लिया है और शिरकत नहीं करने का फैसला किया है। गौर हो कि सार्क शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में नवंबर के महीने में आयोजित होना है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए यह दोहरा झटका है।

SAARC समिट से बांग्लादेश ने भी किया किनारा- 'ऐसा माहौल सार्क सम्मेलन के लिए अनुकूल नहीं'

नई दिल्ली: सार्क सम्मेलन को लेकर पाकिस्तान को दोहरा झटका लगा है। भारत के बाद अब बांग्लादेश ने भी सार्क सम्मेलन से किनारा कर लिया है और शिरकत नहीं करने का फैसला किया है। गौर हो कि सार्क शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में नवंबर के महीने में आयोजित होना है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए यह दोहरा झटका है।

 

पाकिस्तान का नाम लिए बिना बांग्लादेश ने कहा है कि एक देश आंतरिक मामलों में दखल देता है। बांग्लादेश ने आरोप लगाया कि एक देश सौहार्द का माहौल बिगाड़ रहा है। ऐसा माहौल सार्क सम्मेलन के लिए अनुकूल नहीं है। साथ ही सार्क समिट से भूटान ने भी अलग होने का फैसला कर लिया है। भूटान ने कहा है कि आतंकवाद से सार्क देशों में माहौल बिगड़ा है। आतंकवाद से शांति और सुरक्षा को खतरा है।

गौर हो कि उरी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने की अपनी मुहिम तेज करते हुए भारत ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवंबर में पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। यह सम्मेलन 9-10 नवंबर को इस्लामाबाद में प्रस्तावित है। भारत ने दक्षेस की अध्यक्षता कर रहे नेपाल से कहा है कि एक देश ने ऐसा माहौल बना दिया है जो शिखर सम्मेलन के लिए हितकारी नहीं।

गौरतलब है कि 18 सितंबर को उरी में हुए आतंकवादी हमले में 19 जवान शहीद हुए थे। एएनआई ने विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित सम्मेलन में हिस्सा लेने में असमर्थ है। विदेश मंत्रालय ने सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को बताया है कि सीमा-पार से आतंकवादी घटनाएं बढ़ी हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, बल्कि भारतीय विदेश मंत्रालय के ट्वीट से यह पता चला है। लेकिन भारत का ऐसा फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)
 

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