इस रासायनिक नर्व एजेंट गैस को सोवियत संघ ने 1970 और 1980 के दशक में विकसित किया था.
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इसी मार्च में एक पूर्व रूसी खुफिया जासूस सर्गेई स्क्रिपल(66) और उनकी बेटी यूलिया रहस्यमयी परिस्थितियों में ब्रिटेन के सैलिसबरी में एक बेंच बेसुध अवस्था में मिले. ब्रिटेन इसकी गहनता से जांच कर ही रहा था कि इस घटना के कुछ दिनों बाद एक अन्य दंपति इस गैस की चपेट में आ गए. पुलिसिया जांच में पता चला कि चार्ली रोली (45) नाम के एक शख्स को सैलिसबरी के निकट अमेसबेरी के एक बियाबान पार्क में एक बोतल मिली. उन्होंने उसको परफ्यूम की बोतल समझा और अपनी पार्टनर डॉन स्ट्रगेस (44) को गिफ्ट में दे दिया. नतीजतन जब डॉन ने इसका इस्तेमाल किया तो चपेट में आने से उनकी मौत हो गई और चार्ली को मरणासन्ना अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया.
रूस पर शक
तफ्शीश में पुलिस ने बताया कि दरअसल इन दोनों घटनाओं के तार इस कारण जुड़े हुए हैं क्योंकि एक ही गैस की चपेट में आने के कारण ये हादसे हुए. ब्रिटेन ने इस गैस के बारे में बताते हुए कहा कि ये लोग वास्तव में घातक नोविचोक (Novichok) गैस का शिकार हुए थे. इस नर्व एजेंट रासायनिक गैस का निर्माण सोवियत संघ (रूस के पूर्ववर्ती) के जमाने में किया गया था. लिहाजा शक की सुई जब रूस पर घूमी तो उसने स्क्रिपल पर हमले से साफ इनकार कर दिया और सुबूत मांगे. अब ब्रिटिश पुलिस ने पहली बार दावा किया है कि उसने कई रूसी संदिग्धों को इस हमले के संबंध में चिन्हित किया है.
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नोविचोक (Novichok) नर्व एजेंट गैस
रूसी भाषा में नोविचोक का अर्थ न्यूकमर होता है. इस रासायनिक नर्व एजेंट गैस को सोवियत संघ ने 1970 और 1980 के दशक में विकसित किया था. इसको सोवियत संघ का चौथी पीढ़ी का रासायनिक हथियार कहा जाता है और इसको फोलियंट (Foliant) कोडनेम से विकसित किया गया था. 1990 के दशक में रूसी कैमिस्ट डॉ वील मिर्जायानोव ने रूसी मीडिया के माध्यम से पहली बार इस गैस के बारे में बाहरी दुनिया को बताया. बाद में वह अमेरिका भाग गए और अपनी किताब स्टेट सीक्रेट्स में उन्होंने इसके केमिकल फॉर्मूले के बारे में बताया. इसके बारे में कहा जाता है कि ये सेरीन या VX जैसी अन्य घातक नर्व एजेंट गैसों से भी ज्यादा घातक है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि दुश्मन पर हमला होने के बावजूद इसकी पहचान के बारे में पता लगाना लगभग असंभव जैसा काम है.
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सर्गेई स्क्रिपल केस
पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल(66) उन चार रूसी लोगों में से एक है जिसे 2010 में मॉस्को ने अमेरिका में 10 डीप कवर 'स्लीपर' एजेंट के तौर पर बदला था. उसके बाद इसे ब्रिटेन में शरणार्थी का दर्जा दे दिया गया था. 2006 में सर्गेई को उस वक्त पकड़ा गया सेना से रिटायर हो चुके थे. वह रूसी सेना की मिलिट्री इंटेलिजेंस में कर्नल थे. उन पर आरोप था कि वह 1990 से ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी को यूरोप में मौजूद रूसी खुफिया एजेंट्स की जानकारी उपलब्ध करा रहे थे. इसके बदले में उनको लाखों डॉलर दिए गए. 2006 में मामला उजागर होने के बाद उनको पकड़कर जेल में डाल दिया गया. उनको 13 साल की सजा हुई.
उसके बाद जब रूस और अमेरिका ने जासूसों की अदला-बदली की तो 10 रूसी जासूसों के बदले में उनको भी छोड़ दिया गया. कहा जाता है कि उनको छुड़ाने में ब्रिटेन का हाथ रहा. उसके बाद वह ब्रिटेन चले आए, जहां उनको शरणार्थी का दर्जा दिया गया.