अब न्यूरोसाइंटिस्टों का एक अंतरराष्ट्रीय समूह लोगों की नीदों पर रिसर्च करने जा रहा है. वैज्ञानिक इस बात की जांच करेंगे कि कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया कैसे सो रही है, या सो भी पा रही है या नहीं.
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न्यूयॉर्क: इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया की नींद उड़ा रखी है. किसी की नींद चिंता से उड़ी तो कई की लॉकडाउन की वजह से प्रभावित दिनचर्या से. अब न्यूरोसाइंटिस्टों का एक अंतरराष्ट्रीय समूह लोगों की नीदों पर रिसर्च करने जा रहा है. वैज्ञानिक इस बात की जांच करेंगे कि कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया कैसे सो रही है, या सो भी पा रही है या नहीं.
नींद को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. ये ऊतकों की मरम्मत, कोशिकाओं के बनने, प्रतिरक्षा कार्यों, स्मृति और मूड व भावनाओं को कंट्रोल करने के लिए बहुत जरूरी है. बहुत से लोगों ने कोरोनोवायरस के चलते नींद से जुड़ी परेशानियां होने की बात कही है. इन परेशानियों में- सोने में दिक्कत होना, नींद न आना, अजीब सपने आना शामिल है. ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट के सह-नेतृत्व में होने वाला ये प्रोजेक्ट लोगों के स्वास्थ्य और दिनचर्या पर नींद के प्रभाव की जांच करेगा.
इंटरनेशनल COVID-19 स्लीप स्टडी (ICOSS) में ऑस्ट्रिया, कनाडा, चीन, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, जापान, नॉर्वे और अमेरिका की रिसर्च भी जोड़ी जाएंगी. ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर कॉलिन एस्पी का कहना है कि- 'अच्छी गुणवत्ता वाली नींद हमें चीजों का सामना करने में मदद करती है, इसलिए इस महामारी के दौरान खराब नींद के बड़ते मामलों को देखना चिंताजनक है. हम इसका गहन अध्ययन करने की उम्मीद कर रहे हैं.'
इस रिसर्च में ये पता लगाया जाएगा कि लॉकडाउन और सेल्फ आइसोलेशन की वजह से नींद पर कितना असर पड़ा. साथ ही ये भी देखा जाएगा कि मनोवैज्ञानिक लक्षण जैसे चिंता, डिप्रेशन और पोस्ट-ट्रोमैटिक स्ट्रेस नींद से कैसे प्रभावित हो सकते हैं और नींद को कैसे प्रभावित कर सकते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका उद्देश्य यह समझना है कि कोविड-19 के दौरान नींद से जुड़ी समस्याएं कैसे उभरीं और किस तरह इसने जीवन शैली, स्वास्थ्य और सेहत पर असर किया. रिसर्च टीमों द्वारा एकत्र किया गया डेटा एक अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस में फीड किया जाएगा. एस्पी ने कहा- 'इस रिसर्च के नतीजों से न केवल वैज्ञानिकों को चुनौतियों को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि लोग किस तरह अच्छी नींद ले सकें उसके समाधान भी मिलेंगे.'