अफगानिस्तान के वरिष्ठ नेता अता मोहम्मद नूर बातचीत के लिए पहुंचे भारत
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अफगानिस्तान के वरिष्ठ नेता अता मोहम्मद नूर बातचीत के लिए पहुंचे भारत

2016 में अता मोहम्मद नूर ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर आतंकवादी हमले को रोकने के लिए खुद हथियार उठा लिए थे. उनका बेटा खालिद नूर (Khalid Noor) इंट्रा अफगान वार्ता के लिए अफगान सरकार की टीम का हिस्सा है.  

फाइल फोटो: अता मोहम्मद नूर

नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan) के वरिष्ठ नेता अता मोहम्मद नूर (Ata Mohammad Noor) भारतीय नेतृत्व के साथ बातचीत के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं. जमीयत पार्टी के सीईओ अता नूर अफगानिस्तान में भारत के करीबी सहयोगी हैं, जो पूर्व में अफगानिस्तान के उत्तरी बल्ख प्रांत के गवर्नर के रूप में कार्य कर चुके हैं.

  1. 2016 में अता मोहम्मद नूर ने भारतीय दूतावास की रक्षा के लिए उठाई थी बंदूक
  2. मोहम्मद नूर का बेटा इंट्रा अफगान वार्ता के लिए अफगान सरकार की टीम का हिस्सा है
  3. पिछले एक महीने में भारत आने वाले तीसरे प्रमुख अफगान नेता हैं अता मोहम्मद
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2016 में उन्होंने मजार-ए-शरीफ (Mazar-i-Sharif) में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर आतंकवादी हमले को रोकने और उसकी रक्षा के लिए खुद हथियार उठा लिए थे. 1990 के दशक में तालिबानी शासन के दौरान, नूर ने अहमद शाह मसूद के नॉर्दन फ्रंट में बतौर कमांडर काम किया था.

तीसरे प्रमुख नेता
नूर पिछले एक महीने में भारत आने वाले तीसरे प्रमुख अफगान नेता हैं. इससे पहले अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अब्दुल रशीद दोस्तम (Abdul Rashid Dostum) और अफगानिस्तान के हाई काउंसिल फॉर नेशनल रिकन्सिलेशन के अध्यक्ष डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला (Dr Abdullah Abdullah) ने भारत का दौरा किया था।

दिलचस्प बात यह है कि नूर का बेटा खालिद नूर (Khalid Noor) इंट्रा अफगान वार्ता के लिए अफगान सरकार की टीम का हिस्सा है. 25 वर्षीय खालिद तालिबान के साथ बातचीत करने वाली टीम के सबसे युवा सदस्य हैं.

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भारत से रिश्तों का किया था उल्लेख
Zee News के सहयोगी चैनल WION से पिछले साल एक्सक्लूसिव बातचीत में खालिद नूर ने अपने अफगान विजन और भारत से रिश्तों को लेकर अपने विचार प्रकट किये थे. उन्होंने कहा था कि ‘अपने देश के लिए मेरा विजन शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान है - जहां मानव अधिकार हों, न्याय हो,  सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता हो, जहां हमारे पास अल्पसंख्यकों, महिलाओं के अधिकार हों. ये वे मूल्य हैं जिनकी मैं अपने देश के लिए कल्पना करता हूं’.

लोगों का सामना करना होगा
उन्होंने आगे कहा था, ‘तालिबान जमीनी हकीकत को समझने में गलती कर रहा है. हमारे पास एक मजबूत सरकार, मजबूत सुरक्षा बल, मजबूत संस्थान और एक मजबूत सेना है. यहां तक कि अगर तालिबान बलपूर्वक अफगानिस्तान पर कब्जे का प्रयास करता है, तो उसे राष्ट्रीय सेना और अफगानिस्तान के लोगों का सामना करना होगा. यह कहना अवास्तविक होगा कि तालिबान 1996 की स्थिति में वापस आ सकता है’.

 

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