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नई दिल्ली: इटली (Italy ) में तांबे से बनी एक महिला की मूर्ति (Women Bronze Statue) पर विवाद उठ गया है. इस मूर्ति को लेकर सोशल मीडिया तक में बहस छिड़ गई है. हालात ऐसे हैं कि कुछ राजनेता इस स्टेच्यू को हटाने की मांग कर रहे हैं. इस स्टेच्यू का अनावरण 25 सितंबर को 'सप्री' शहर के प्रशासनिक अधिकारियों और पूर्व प्रधानमंत्री जोजेप्पे कॉन्ते (Giuseppe Conte) की मौजूदगी में हुआ था.
मूर्ति को 19वीं सदी में लिखी गई एक कविता के सम्मान में बनाया गया है. दरअसल इस कविता को एक महिला के नजरिए (Womens point of view) से लिखा गया है. कवि लुइजी मिरकन्तिनी की कविता ‘ला स्पीगोलात्रिचे दी सप्री’ की नायिका एक महिला किसान है जो खेतों से अनाज बिनती है. अचानक वो अपना काम छोड़कर इटली की मशहूर क्रांति (Italy Revolution) में शामिल होती है, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे. लोगों का कहना है कि इस तरह की प्रतिमा को लगाना इतिहास का अपमान करने जैसा है.
मूर्ति का विरोध इसलिए भी हो रहा है कि मूर्ति को कम कपड़े पहनाए गए हैं. लोगों के मुताबिक एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम से जुड़े प्रतीक की पहचान ये महिला किसान कम और अभिनेत्री ज्यादा लग रही है. इस ब्रॉन्ज स्टेच्यू को ऑफ शोल्डर कपड़ों में दिखाया गया है, जो शरीर से चिपके हुए हैं. मूर्ति में दिख रही महिला ने अपना एक हाथ सीने पर रखा हुआ है.
इस मूर्ति के विरोधियों का कहना है कि ये कविता की नायिका जैसी नहीं लग रही. इसे ‘सेक्सिज्म’ (महिला विरोधी विचारधारा) से जोड़ा जा रहा है (Italy Literary Heroine). इसे उन महिलाओं का अपमान तक करार दिया गया है.
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इटली की नेता लॉरा बोल्द्रिनी का कहना है, ‘यह एक अनुचित मूर्ति है, संदर्भ से बाहर और आपत्तिजनक भी है. आप उस महिला से वह कहानी और गरिमा छीन रहे हैं, जो उसके पास थी.’ रोम की आर्ट अकैडमी की प्रोफेसर और समीक्षक टेरेसा मैक्री ने कहा कि मूर्ति को हटा दिया जाना चाहिए.
La statua appena inaugurata a #Sapri e dedicata alla #Spigolatrice è un’offesa alle donne e alla storia che dovrebbe celebrare.
Ma come possono perfino le istituzioni accettare la rappresentazione della donna come corpo sessualizzato?
Il maschilismo è uno dei mali dell'Italia. pic.twitter.com/2msLhgJvso
— laura boldrini (@lauraboldrini) September 26, 2021
स्टेच्यू को बनाने वाले आर्टिस्ट एमैनुएल स्तिफानो ने कहा कि वो अपनी आर्ट वर्क को हमेशा कम कपड़ों से ढ़कते हैं, चाहे वो पुरुष के स्टेच्यू हों या इस महिला (Italy Sapri Bronze Statue) के. उन्होंने कहा इस मूर्ति के जरिए वो एक आदर्श महिला उसका गर्व और उसकी चेतना दिखाना चाह रहे थे. स्टेच्यू के डिजाइन को अधिकारियों ने बाकायदा अपनीमंजूरी दी थी. सोशल मीडिया पोस्ट में एमैनुएल स्तिफानो ने लिखा कि वह आलोचनाओं से निराश और हैरान हैं.
वहीं सप्री सिटी के मेयर एंटोनियो जेंटाइल ने कलाकार की प्रतिभा का बचाव करते हुए कहा कि ‘सेक्सिजम देखने वाले की आंखों में है. मेरा मानना है कि मूर्तियों को केवल उन्हीं देशों में गिराया जाता है, जहां लोकतंत्र नहीं है.’
सोशल मीडिया पर इस मामले से जुड़ी प्रतिक्रियाएं लगातार सामने आ रही हैं.
A #Sapri uno schiaffo alla storia e alle donne che ancora sono solo corpi sessualizzati Questa statua della Spigolatrice nulla dice dell'autodeterminazione di colei che scelse di non andare a lavoro per schierarsi contro l'oppressore borbonico.
Sia rimossa! @DonnePd @pdsicilia pic.twitter.com/2qv8tP7FTN— Monica Cirinnà (@MonicaCirinna) September 26, 2021