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सियोल : करीब 75 साल पहले के 'यौन दासता' प्रकरण को लेकर सोमवार को जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने माफी मांगी, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में दशकों बाद गर्माहट की उम्मीद जताई जा रही है। जापान ने 1910-45 तक कोरिया को अपना उपनिवेश बनाकर रखा।
जापान के विदेश मंत्री फुमोई किशिदा ने अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष युन बयुंग-से के साथ एक बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में आबे के बयान को पढ़ा। इसमें उन्होंने मानसिक और शारीरिक तौर पर यातना झेल चुके लोगों से माफी मांगी। साथ ही जीवित पीड़ितों के सहयोग के लिए एक अरब येन (करीब 83 लाख अमेरिकी डॉलर) राशि का सहयोग प्रदान करने पर सहमति जताई है।
दक्षिण कोरियाई मीडिया के अनुसार, संयुक्त बयान में किशिदा ने कहा, 'कंफर्ट वूमेन (द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यौन दासी बनाई गई महिलाएं) एक ऐसा मामला है, जिसमें सैनिकों ने महिलाओं के सम्मान और गरिमा पर गहरा दाग लगाया है, जापानी सरकार ने इसकी जिम्मेदारी ली है।'
यह भी दावा किया गया कि युद्ध के समय के मानवाधिकारों के मुद्दे को अलग से सुलझाया जाना चाहिए। अब तक दक्षिण कोरिया की 238 पीड़िताओं ने पंजीकरण कराया है। उनमें से केवल 46 पीड़ित अब जिंदा हैं। दशकों से तनावपूर्ण संबंधों का कारण रहे इस मसले पर बढ़ाए गये कदमों से द्विपक्षीय संबंधों में सुधार आने की उम्मीद है।