Trump tariffs are a reason to shop now: अमेरिका में इन दिनों खौफ का माहौल बना हुआ है. कई अमेरिकी रिटेलर्स अपने कस्टमर से तुरंत शॉपिंग करने की अपील कर रहे हैं. कुछ लोग सामान खरीद भी रहे हैं तो आइए समझते हैं आखिर ऐसा क्या हुआ है अमेरिका में. आखिर ट्रंप ने ऐसी कौन सी धमकी दे दी है. समझें पूरी बात.


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ट्रंप के किस वादे से अमेरिकी खौफ में
चुनावी अभियान के दौरान ट्रंप ने सभी चीनी वस्तुओं पर 60 प्रतिशत टैरिफ लगाने और अन्य देशों से आने वाली चीजों पर 10 से 20 फीसदी टैरिफ लगाने का वादा किया था. रिटेलर्स का कहना है कि नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावित टैरिफ से लागत और कीमतें बढ़ जाएंगी इससे पहले ही खरीदारी कर लेने में समझदारी है. अमेरिकी मीडिया की खबरों में यह जानकारी दी गई है.


सबसे अधिक किस देश को होगा नुकसान
सोमवार को ट्रंप ने खुलेआम कहा था कि मैक्सिको और कनाडा से आयात पर 25 प्रतिशत और चीन से आने वाली वस्तुओं पर अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना बनाई. समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शुक्रवार को द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) के हवाले से यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया, "यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से टैरिफ लगाए जाएंगे और उनका कीमतों पर कितना असर होगा. कंपनियों के बीच डर और अनिश्चितता बढ़ रही है और उपभोक्ता खर्च में कमजोरी के संकेत दिख रहे हैं."


78 बिलियन डॉलर का हो सकता है नुकसान
हालांकि अधिकांश बड़ी कंपनियों ने अभी तक अपने मार्केटिंग अभियानों में संभावित टैरिफ के बारे में चेतावनियां शामिल नहीं की हैं. नेशनल रिटेल फेडरेशन के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, टैरिफ से खरीदारों की वार्षिक व्यय क्षमता में 78 बिलियन डॉलर तक की नुकसान होने की संभावना है., छोटे व्यवसाय के मालिकों का कहना है कि उच्च कीमतें खरीदारों को उनके खर्च पर रोक लगाने और किस प्रकार के उत्पाद खरीदने हैं, इस बारे में अधिक सेलेक्टिव होने के लिए मजबूर करेंगी.


खुदरा बाजार पर क्या पड़ेगा असर?
अमेरिकी अखबार के मुताबिक, ग्लोबलडेटा के प्रबंध निदेशक और खुदरा विश्लेषक नील सॉन्डर्स ने कहा, "यह दोधारी तलवार है. मुझे लगता है कि इससे लोगों की चीज़ें खरीदने में दिलचस्पी बढ़ सकती है, लेकिन अगर उन्हें लगता है कि हर कोई अपनी कीमतें बढ़ाने जा रहा है, तो इससे उपभोक्ता विभाजित भी हो सकते हैं." "दूसरी समस्या यह है कि यह थोड़ा राजनीतिक भी है, इसलिए कुछ खुदरा विक्रेता इससे दूर रहना चाहेंगे." इनपुट आईएएनएस से भी