DNA with Sudhir Chaudhary: संसद में केवल 1 सीट वाले रानिल विक्रमसिंघे कैसे बन गए श्रीलंका के नए PM? पीछे छिपी है ये वजह
Advertisement

DNA with Sudhir Chaudhary: संसद में केवल 1 सीट वाले रानिल विक्रमसिंघे कैसे बन गए श्रीलंका के नए PM? पीछे छिपी है ये वजह

DNA on Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बने रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी का संसद में केवल 1 सांसद है, फिर भी वे देश के नंबर-2 पद पर आसीन हो गए. आपको इस घटनाक्रम की असल वजह जाननी चाहिए. 

DNA with Sudhir Chaudhary: संसद में केवल 1 सीट वाले रानिल विक्रमसिंघे कैसे बन गए श्रीलंका के नए PM? पीछे छिपी है ये वजह

DNA on Sri Lanka Economic Crisis and Ranil Wickremesinghe: श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को नए प्रधानमंत्री के पद की शपथ ले ली. 73 साल के रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) श्रीलंका (Sri Lanka) के पहली बार प्रधानमंत्री नहीं बने हैं. इससे पहले भी वो श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं. रानिल विक्रमसिंघे का राजनीतिक अनुभव 40 वर्षों का है. बड़ी बात ये है कि पश्चिमी देशों में उनकी छवि एक Pro Market Reformer की है. यानी उन्हें ऐसा नेता माना जाता है, जो आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को बेहतर ढंग से लागू कर सकते हैं. 

IMF से स्पेशल पैकेज दिलाने में मददगार?

इस समय श्रीलंका (Sri Lanka) को एक ऐसे ही नेता की ज़रूरत है. इसके अलावा वहां की ज्यादातर पार्टियों का मानना है कि वो श्रीलंका को IMF से स्पेशल पैकेज दिलाने में भी अहम कड़ी साबित हो सकते हैं. हालांकि श्रीलंका की मौजूदा संसद में रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी के पास केवल एक सांसद है तो इसके पीछे बड़ी वजह श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे हैं. 

असल में पहले कहा ये जा रहा था कि श्रीलंका (Sri Lanka) की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता सजीत प्रेमादासा वहां के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं, जिनके पास कुल 54 सांसद हैं. लेकिन प्रेमादासा ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को एक चिट्ठी लिख कर ये शर्त रखी कि वो तभी अपनी सरकार बनाएंगे, जब गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) एक निश्चित समय में राष्ट्रपति का पद छोड़ देंगे. लेकिन गोटाबाया राजपक्षे अपनी कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं और शायद इसी वजह से उन्होंने सजीत प्रेमादासा की जगह रानिल विक्रमसिंघे को वहां का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. हालांकि यहां बड़ा सवाल ये है कि क्या रानिल विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री बनने से श्रीलंका के हालात सुधर सकते हैं?

राष्ट्रपति को हटाने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर

तो इसका जवाब है शायद नहीं क्योंकि श्रीलंका (Sri Lanka) में इस समय जो हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, उनकी मुख्य मांग गोटबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति के पद से हटाने की है. इसीलिए वहां शुरुआत से 'Go गोटा Go' के नारे लगाए जा रहे हैं. इसलिए जब तक गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) राष्ट्रपति का पद नहीं छोड़ेंगे, तब तक श्रीलंका में हालात नहीं सुधरेंगे. गोटाबाया राजपक्षे को श्रीलंका में Terminator कहकर पुकारा जाता है क्योंकि उन्होंने 2005 से 2015 तक श्रीलंका का रक्षा सचिव रहते हुए वहां के आतंकवादी संगठन LTTE को खत्म करने का काम किया था. लेकिन इस बार इस Terminator के खुद Terminate होने की नौबत आ गई है.

लोगों की मांग के आगे झुक गए हैं गोटाबाया

गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) अभी श्रीलंका के राष्ट्रपति होने के साथ वहां के रक्षा मंत्री भी हैं. बड़ी बात ये है कि आज श्रीलंका के सवा दो करोड़ लोगों ने उन्हें इस कदर कमजोर कर दिया है कि वो राष्ट्रपति की अपनी शक्तियों को भी कम करने के लिए तैयार हो गए हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि अब श्रीलंका में राष्ट्रपति की शक्तियों को कम करके संसद को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे और राष्ट्रपति प्रणाली को खत्म करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी. इससे पता चलता है कि एक लोकतांत्रिक देश में लोगों की ताकत से बड़ा कुछ नहीं होता.

ये श्रीलंका के लोगों की ही ताकत है कि आज वहां की एक अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे और उनके परिवार के दूसरे लोग श्रीलंका छोड़कर नहीं जा सकते. बताया जा रहा है कि इस समय भी महिन्दा राजपक्षे अपने परिवार के साथ नौसेना के एक ठिकाने पर छिपे हुए हैं और हालात के शांत होने का इंतजार कर रहे हैं. 

Trending news