Pakistan-China: एक वक्त वो था, जब श्रीलंका दिवालिया घोषित हो चुका था. पूरे देश में हाहाकार मच गया और अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. लेकिन आज वक्त बदला है. श्रीलंका अपने यहां छोटे हथियारों की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाने के लिए भारत के साथ बातचीत कर रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और मजबूत होगा. यकीनन यह खबर पाकिस्तान और चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं है.


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भारत के साथ चल रही बातचीत


श्रीलंका के रक्षा मंत्री प्रेमिता बंदारा तेन्नाकून ने बुधवार को कहा, ''छोटे हथियारों की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाने के लिए हम भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं. हम हमारे भारतीय समकक्षों के साथ संपर्क में हैं, भारत से सीखने के लिए बहुत कुछ है.' 


रक्षा मंत्री ने कहा कि डिफेंस इंडस्ट्री में एक जॉइंट एंटरप्राइज के लिए चर्चा जारी है. अप्रैल की शुरुआत में भारत-श्रीलंका रक्षा सहयोग के दूसरे सेमिनार के बाद यह चर्चा हो रही है. कोलंबो में भारतीय राजदूत संतोष झा ने कहा कि इंडियन डिफेंस इंडस्ट्री आज अत्याधुनिक हथियारों, एडवांस टेक्नोलॉजी और वर्ल्ड क्लास इंस्ट्रूमेंट्स से लैस है.


'कौन से हथियार बनाए जाएंगे'


उन्होंने कहा, 'इनमें से कुछ जो अहम हैं, उनमें लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर से लेकर नौसैनिक पोत, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लेकर साइबर सुरक्षा समाधान और छोटे हथियारों से लेकर लंबी दूरी तक मार करने वाली हथियार प्रणाली शामिल हैं.' झा ने कहा कि भारत श्रीलंका जैसे अपने मित्र देशों को ये क्षमताएं उपलब्ध कराना चाहता है.


मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच शानदार मिलिट्री टू मिलिट्री कनेक्टिविटी है. दोनों देशों के बीच मिलिट्री टू मिलिट्री कनेक्टिविटी अपने चरम पर है और हमें उसे मेंटेन रखा है. इसका मतलब यह नहीं कि हम किसी से से कुछ भी खरीद लेंगे.  


'भारत से सीखने में कुछ गलत नहीं'


श्रीलंकाई रक्षा मंत्री ने कहा, 'भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ी है और यह ऐसा मॉडल है, जिसे श्रीलंका अपनाना चाहता है. हम इस इंडियन मॉडल से काफी कुछ सीख सकते हैं. उनसे सीखने में कुछ भी गलत नहीं है.इसलिए मुझे लगता है कि हमें मैन्युफैक्चरिंग में उतरना चाहिए.'


(एजेंसी इनपुट के साथ)