कोविड-19 के कारण श्रीलंका में फीका रहेगा लिट्टे पर जीत का जश्‍न
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कोविड-19 के कारण श्रीलंका में फीका रहेगा लिट्टे पर जीत का जश्‍न

देश में कोरोना वायरस महामारी के बीच मंगलवार को श्रीलंका लिट्टे पर अपनी जीत की 11 वीं वर्षगांठ पर एक महत्वपूर्ण समारोह की शुरुआत करेगा. 

कोविड-19 के कारण श्रीलंका में फीका रहेगा लिट्टे पर जीत का जश्‍न

कोलंबो : देश में कोरोना वायरस महामारी के बीच मंगलवार को श्रीलंका लिट्टे पर अपनी जीत की 11 वीं वर्षगांठ पर एक महत्वपूर्ण समारोह की शुरुआत करेगा. तमिल अलगाववादी समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) ने श्रीलंका की सरकार के खिलाफ तीन दशक से अधिक समय तक सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया. उसे मई 2009 में सेना ने पराजित किया था.

  1. कोविड-19 के कारण समारोह का आयोजन साधारण स्‍तर पर होगा
  2. राष्ट्रपति गोटाबैया राजपक्षे होंगे शामिल 
  3. लिट्टे के साथ तीन दशक तक चले संघर्ष में हजारों सैनिक और नागरिक मारे गए थे  
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सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने यहां संवाददाताओं से कहा, "इस वर्ष समारोह साधारण स्तर पर आयोजित किया जाएगा. मुख्य समारोह कल संसद के पास होने वाला है और इस अवसर पर राष्ट्रपति गोटाबैया राजपक्षे उपस्थित रहेंगे." COVID-19 महामारी के कारण श्रीलंका सरकार मंगलवार को एक प्रतिबंधित राज्य स्मारक समारोह आयोजित करेगी.

इस अवसर पर युद्ध नायकों को याद किया जाएगा. बता दें कि 19 मई, 2009 को लिट्टे सुप्रीमो वेणुपिल्लई प्रभाकरन का शव मिलने के साथ इस खूनी अलगाववादी युद्ध का औपचारिक अंत माना गया था.  लेफ्टिनेंट जनरल सिल्वा ने सेना के डिवीजनों में से एक का नेतृत्व किया था, जिसने अंतिम जीत में लिट्टे पर कब्जा कर लिया था. वहीं राष्ट्रपति राजपक्षे अपने भाई महिंदा राजपक्षे के तत्कालीन राष्ट्रपति पद के दौरान शीर्ष रक्षा नौकरशाह थे.

सिल्वा ने कहा कि केवल युद्ध नायकों के करीबी रिश्तेदार COVID-19 महामारी के मद्देनजर प्रतिबंधित स्मारक समारोह में भाग लेंगे. श्रीलंका में अब तक 9 मौतों के साथ कोरोनोवायरस के 981 मामले सामने आए हैं. सेना प्रमुख ने कहा कि तीन दशक पुराने संघर्ष के दौरान मारे गए 23,962 सैनिकों, 1,160 नाविकों, 440 वायु सेना के लोगों, 2,598 पुलिसकर्मियों और 456 नागरिक सुरक्षा बल के जवानों को कल के समारोह में याद किया जाएगा.

गौरतलब है कि लिट्टे 1970 के दशक के मध्य से इस द्वीपीय राष्ट्र के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में एक अलग तमिल मातृभूमि स्थापित करने के लिए लड़ाई लड़ी.

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