Sri Lanka: श्रीलंका में सियासी संकट बरकरार, विपक्ष ने ठुकराया राष्ट्रपति राजपक्षे का ये ऑफर
Advertisement

Sri Lanka: श्रीलंका में सियासी संकट बरकरार, विपक्ष ने ठुकराया राष्ट्रपति राजपक्षे का ये ऑफर

Opposition parties rejects Mahinda Rajapaksa invitation: श्रीलंका इस समय अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. पूरे देश में नौ अप्रैल से हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं, क्योंकि सरकार के पास जरूरी कामों के लिए भी फंड नहीं है. लोगों के सामने राशन और दवाओं के भी लाले पड़े हैं.

फोटो: AP

Sri Lanka political crisis continues: श्रीलंका में लगे आपातकाल (Emergency in Sri Lanka) के बीच राजनीतिक अनिश्चितता का दौर जारी है. इस बीच देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी एसजेबी (SJB) ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) की पेशकश को ठुकरा दिया है. जिसमें उन्होंने एसजेबी नेता सजिथ प्रेमदास (Sajith Premadasa) को अंतरिम गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने का ऑफर दिया था. इन गतिविधियों के बीच देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन (Anti government protest) भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

राष्ट्रीय संयोजक का ऐलान

समागी जन बालवेग्या (SJB) पार्टी के नेशनल कंवीनर टिस्सा अतनायके (Tissa Attanayake) ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि हमारे नेता ने राष्ट्रपति राजपक्षे के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. बता दें कि राजपक्षे ने अंतरिम सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशने के लिए प्रेमदासा और दूसरे अहम नेता हर्ष डी सिल्वा दोनों को फोन किया था. इस बीच शक्तिशाली बौद्ध भिक्षुओं के साथ-साथ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (SLPP) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग हुए समूहों ने अंतरिम सरकार के गठन की मांग का समर्थन किया है.

ये भी पढ़ें- US: थाने के पास खड़ी गाड़ियों में आग लगा रहा था शख्स, जानिए फिर क्या हुआ

कहां पर फंसा पेंच?

एसजेबी ने इस बीच ऐलान किया है कि उनकी पार्टी वकीलों के राष्ट्रीय संगठन BASL के उस प्रस्ताव का समर्थन करेगी, जिसमें राष्ट्रपति शासन प्रणाली को खत्म करने के कदम के साथ 18 महीने की मियाद के लिए अंतरिम सरकार बनाने की पैरवी की गई है. सूत्रों के हिसाब से कहा जा रहा है कि इन मांगो से राष्ट्रपति गोटाबाया इत्तेफाक नहीं रखते और इसीलिए देश में गठबंधन सरकार बनने का रास्ता नहीं साफ हो पा रहा है. 

गौरतलब है कि SJB ने संविधान के 20वें संशोधन को निरस्त करने का भी आह्वान किया है. जिसने 2020 में राजपक्षे को ज्यादा शक्तियां प्रदान की थीं. बार एसोसिएशन ऑफ श्रीलंका (BASL) ने संविधान के 19वें संशोधन की बहाली की मांग की है, जिसने राष्ट्रपति से ज्यादा संसद को अधिकार दिया था. एसजेबी नेता हरिन फर्नांडो ने कहा कि एसजेबी इस प्रस्ताव पर बीएएसएल के साथ चर्चा करेगी.

(भाषा इनपुट के साथ)

LIVE TV

 

Trending news