सोचि शांति वार्ता में हिस्सा नहीं लेगा सीरियाई विपक्ष, गृह युद्ध में अब तक 500000 लोगों ने गंवाई जान
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सोचि शांति वार्ता में हिस्सा नहीं लेगा सीरियाई विपक्ष, गृह युद्ध में अब तक 500000 लोगों ने गंवाई जान

वियना में दो दिन बिताने वाले दमिश्क के विपक्षी नेता और सरकारी अधिकारियों ने आमने-सामने मुलाकात नहीं की.

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद. (फाइल फोटो)

वियना: सीरिया के सशस्त्र विपक्ष के सबसे बड़े गुट का प्रतिनिधित्व करने वाली एक समिति ने यहां ऑस्ट्रिया में यह घोषणा की है कि वह रूस के सोचि में अगले सप्ताह होने वाले सीरियाई शांति सम्मेलन में भाग नहीं लेगा. सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित नौवें दौर की वार्ता के समापन के बाद विपक्ष की उच्च वार्ता समिति के प्रवक्ता ने शुक्रवार (26 जनवरी) को समाचार एजेंसी एफे को बताया, "सोचि नहीं जाने का फैसला किया गया है." संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित वार्ता बिना किसी सार्थक प्रगति के समाप्त हो गई.

  1. रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्यों से वार्ता में  भेजने का आग्रह किया है. 
  2. साथ ही मिस्र, जॉर्डन, इराक, कजाकिस्तान, लेबनान और सऊदी अरब को बुलावा भेजा है.
  3. मार्च 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध में अब तक करीब 500,000 लोग जान गंवा चुके हैं.

वियना में दो दिन बिताने वाले दमिश्क के विपक्षी नेता और सरकारी अधिकारियों ने आमने-सामने मुलाकात नहीं की, बल्कि सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत स्टेफन डी मिस्तुरा के जरिए एक-दूसरे को प्रस्ताव भेजे. राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने अमेरिका और सऊदी अरब पर सीरिया में राजनीतिक समाधान के प्रयास में अड़ंगा लगाने का आरोप लगाया है, जहां मार्च 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध में अब तक करीब 500,000 लोग जान गंवा चुके हैं.

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रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन. (Reuters/25 Jan, 2018)

मिस्तुरा ने संवाददाताओं को बताया कि इस बात का फैसला संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस करेंगे कि संयुक्त राष्ट्र अगले हफ्ते सोचि में होने वाले 'सीरियन नेशनल डायलॉग कांग्रेस' में हिस्सा लेगा या नहीं. एक रूसी अधिकारी ने कहा कि सोचि वार्ता का मुख्य एजेंडा सीरिया के लिए नए संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन करना होगा.

असद सरकार और सीरियाई विपक्ष के प्रमुख लोगों के अलावा रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्यों - अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन और साथ ही मिस्र, जॉर्डन, इराक, कजाकिस्तान, लेबनान और सऊदी अरब से सम्मलेन में प्रतिनिधि भेजने का आग्रह किया है. 

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