हमारे भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध, यहां हमें कोई खतरा नहीं: जोसेफ वू
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हमारे भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध, यहां हमें कोई खतरा नहीं: जोसेफ वू

ताइवान को लेकर चीन की मंशा किसी से छिपी नहीं है. चीन ताइवान पर कब्जा करना चाहता है और इसके लिए हर संभव कोशिश में लगा है. ताइवान के विदेश मंत्री ने एक्सक्लूसिव बातचीत में चीन के खतरों के बारे में बताया.

ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू (फोटो WION)

नई दिल्ली: चीन (China) न केवल ताइवान (Taiwan) को घेर रहा है, बल्कि वह दूसरे देशों पर भी दबाव बना रहा है कि ताइवान को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता न दी जाए. ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू (Joseph Wu) ने Zee News के सहयोगी चैनल WION की कार्यकारी संपादक पलकी शर्मा (Palki Sharma) से चीन की चालबाजी के बारे में खुलकर बात की.

  1. ताइवान के खिलाफ माहौल बनाने में लगा है चीन
  2. ताइवान को लेकर उसकी मंशा अब किसी से छिपी नहीं है
  3. फिजी में चीनी राजनयिकों ने की थी शर्मनाक हरकत

जब उनसे पूछा गया कि चीन आपको विदेश मंत्री नहीं मानता और दूसरे देशों पर भी इसके लिए दबाव बनाता है, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे अधिकांश देश मिनिस्टर वू के रूप में जानते हैं. आज दुनिया के अधिकतर देश ताइवान से बातचीत कर रहे हैं और मुझे विदेश मंत्री मानते हैं’.

बताई फिजी विवाद की वजह
फिजी में चीनी राजनयिकों से विवाद पर बोलते हुए जोसेफ वू ने कहा कि 8 अक्टूबर को हमारे फिजी कार्यालय में ताइवान के राष्ट्रीय दिवस का जश्न मनाया जा रहा था. तभी चीनी दूतावास के अधिकारी वहां बिना बुलाये पहुंच गए और हमारे एक साथी को घायल कर दिया. चीन की इस हरकत की हम कड़ी निंदा करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय दिवस ताइवान के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, लेकिन चीनी नहीं चाहते थे कि हम इस महत्वपूर्ण दिवस को यादगार बनाएं. इसलिए उन्होंने हमें रोकने के लिए हिंसा का सहारा लिया, जो कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

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हम भारत में सुरक्षित
चीन से दूसरे खतरों पर बोलते हुए ताइवान के विदेश मंत्री ने कहा कि, चीनी राजनयिक संबंधित देशों पर दबाव बनाते हैं कि ताइवान के साथ रिश्ते नहीं रखे जाएं.  चीनी राजनयिक द्वारा भारतीय प्रेस को भी कहा गया था कि ताइवान से जुड़ी खबरें प्रकाशित न करें, लेकिन भारत में हम खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. यहां हमें कोई खतरा नहीं दिखता, क्योंकि हमारे भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं. 

खतरनाक स्थिति
ताइवान पर चीन के संभावित आक्रमण पर जोसेफ वू ने कहा कि चीन न केवल मिसाइलों की तैनाती कर रहा है, बल्कि उसने जमीन और आकाश में अपनी सैन्य गतिविधियों को भी तेज कर दिया है, जो निश्चित तौर पर खतरनाक स्थिति की तरफ इशारा करता है. चीन अपनी मंशा छिपा नहीं रहा, बल्कि उसने ताइवान को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. इसके मद्देनजर हम भी अपनी सैन्य क्षमता पर ध्यान दे रहे हैं और कई देशों से समर्थन जुटा रहे हैं. 

उसे बलि का बकरा चाहिए
चीन की कम्युनिस्ट सरकार मंगोलियाई लोगों को उनकी पारंपरिक भाषा सीखने से रोक रही है. 26 अगस्त को चीन ने इनर मंगोलिया (जिसे दक्षिणी मंगोलिया भी कहा जाता है) क्षेत्र में मंगोलियाई भाषा की शिक्षा बंद करने के लिए एक कानून पारित किया. इस संबंध में ध्यान आकर्षित करते हुए ताइवान के विदेश मंत्री ने कहा कि जब भी चीन में कोई घरेलू समस्या होती है, तो वो ध्यान भटकाने के लिए बलि का बकरा ढूंढने की कोशिश करता है और ताइवान उसके लिए एक आसान बलि का बकरा है. इसलिए हमें सावधान रहना होगा, हम भारत के साथ अपनी दोस्ती को बरकरार रखना चाहते हैं.

बेहद आक्रमक रणनीति
गौरतलब है कि बीजिंग ताइवान को लेकर बेहद आक्रमक रणनीति पर काम कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक, बीजिंग DF-11s और DF-15 की जगह सबसे उन्नत हाइपरसोनिक मिसाइल DF-17 को दक्षिण-पूर्वी तटीय क्षेत्र पर तैनात कर रहा है. हाल के वर्षों में चीन ने भी ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास भी बढ़ाया है. लगभग 40 चीनी युद्धक विमानों ने 18-19 सितंबर को मुख्य भूमि और ताइवान के बीच की मध्य रेखा को पार किया था.  

 

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