ट्रंप ने HCQ को फिर बताया रामबाण, बोले - यही है COVID-19 की दवा
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ट्रंप ने HCQ को फिर बताया रामबाण, बोले - यही है COVID-19 की दवा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को कई बार गेमचेंजर बता चुके हैं. लेकिन कुछ देशों के वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस तथ्य से सहमत नहीं है. 

ट्रंप ने अपने देश के अग्रणी संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फौसी की विश्वसनीयता को भी चुनौती दी.

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump)  ने एक बार फिर कहा है कि मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ही कोरोना वायरस संक्रमण की प्रभावी दवा है. इसी दौरान उन्होंने अपने देश के अग्रणी संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फौसी की विश्वसनीयता को भी चुनौती दी. वहीं, ट्रंप के बयान से बेपरवाह डॉ. फौसी ने कहा कि वह अपनी कोशिश जारी रखेंगे.गौरतलब है कि जिस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में कई बार गेमचेंजर बता चुके हैं. उसे लेकर कुछ वैज्ञानिक और कई देशों के हेल्थ एक्सपर्ट्स इस तथ्य से इंकार भी किया है. 

  1. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर ट्रंप का भरोसा बरकरार
  2. अपने ही विभाग FDA की राय से सहमत नहीं ट्रंप 
  3. पहले भी कोरोना से जंग में इसे बताया था गेमचेंजर

अपने विभाग के दावे से सहमत नहीं ट्रंप:
दरअसल कई अध्ययनों से निष्कर्ष निकला है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोविड-19 ( Covid 19) का प्रभावी उपचार नहीं है. यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने भी हाल में कोविड-19 (Covid-19) के आपात उपचार में इस दवा के इस्तेमाल का फैसला पलट दिया था. कोविड-19 टीके के विकास को प्रोत्साहन देने के लिए नॉर्थ कैरोलिना गए ट्रंप ने,लौटने के बाद सिलसिलेवार ट्वीट किए और महामारी के उपचार में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का एक बार फिर समर्थन किया. ट्रंप ने एक ऐसा पोस्ट भी साझा किया जिसमें डॉक्टर फौसी पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के मुद्दे पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है.

व्हाइट हाउस कोरोना वायरस कार्यबल के अग्रणी सदस्य फौसी मंगलवार को एबीसी (ABC) के ‘गुड मॉर्निंग अमेरिका’ ( Good Morning America) कार्यक्रम में दिखे और कहा कि वह इस मुद्दे पर एफडीए के साथ हैं तथा वह अपना काम करना जारी रखेंगे. 

कैसे बनती है हाइड्रोक्लोरोक्वीन:
सुपर पावर अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने हाइड्रोक्लोरोक्वीन के लिए भारत से मदद मांगी थी.और भारत ने बिना देर लगाए मानवता को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर ये दवा अमेरिका और ब्राजील समेत कुछ देशों को भेजी थी. सिंकोना के पेड़ से बनने वाली इस दवा का इस्तेमाल लंबे समय से मलेरिया के इलाज में किया जा रहा है.ट्रंप के इससे जुड़े दावे को भले ही उन्ही के देश में चुनौती मिल रही हो, लेकिन कई देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म करने में दशकों पुरानी और सस्ती दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन किसी संजीवनी से भी कम साबित नहीं हुई है.

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