अमेरिका-ईरान परमाणु संधि: इजरायल ने ट्रंप का किया समर्थन, चीन ने जताया विरोध
ईरान के साथ परमाणु संधि से पीछे हटने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्णय से विश्व चकित रह गया.
वॉशिंगटन: ईरान के साथ परमाणु संधि से पीछे हटने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्णय से विश्व चकित रह गया. अमेरिका के पारंपरिक एवं करीबी मित्र रहे फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने इस पर चिंता जाहिर की जबकि ईरान के विरोधियों इजराइल और सऊदी अरब ने इसका स्वागत किया. ट्रंप ने संधि को खराब बताते हुए मंगलवार(8 मई) को इसे रद्द करने की घोषणा की थी.
इस संधि पर अमेरिका और ईरान के अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अन्य चार देशों ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस तथा जर्मनी ने हस्ताक्षर किये हैं. यूरोपीय नेताओं ने कहा कि ट्रंप ने भले ही सहयोगी देशों को प्रतिबद्धता तोड़ धोखा दिया हो, वे संधि के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने ट्रंप को संधि रद्द नहीं करने को चेताया था.
मे, मर्केल और मैक्रों ने ट्रंप की घोषणा के बाद एक संयुक्त बयान में कहा कि वे इस संधि से जुड़े रहेंगे क्योंकि इससे दुनिया में शांति स्थापित हुई . रूस और चीन ने भी ट्रंप के निर्णय पर निराशा जाहिर की. रूस ने कहा कि ट्रंप के संधि को रद्द करने का निर्णय बेहद निराशाजनक है. चीन ने भी ट्रंप के फैसले पर अफसोस जाहिर किया और इस संधि की सुरक्षा का निश्चय किया. वहीं ईरान ने चेतावनी दी कि यदि यूरोपीय देशों ने संधि की सुरक्षा का वादा नहीं दिया तो वह औद्योगिक स्तर पर यूरेनियम संवर्धन शुरू कर देगा.
डोनाल्ड ट्रंप का ऐलान- अमेरिका ईरान परमाणु समझौते से हुआ अलग
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान परमाणु समझौते से हटने का ऐलान कर दिया है. आपको बता दें कि ईरान परमाणु समझौता तेहरान और छह वैश्विक शक्तियों के बीच 2015 में हुआ था. इससे पहले ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि, "मैं कल व्हाइट हाउस से दोपहर दो बजे ईरान परमाणु समझौते पर अपने फैसले का ऐलान करूंगा." जानकारी के मुताबिक ट्रंप विचार कर रहे हैं कि क्या ईरान के ऊर्जा और बैंकिंग क्षेत्र पर दोबारा प्रतिबंध लगाए जाए या नहीं.
राष्ट्रपति पद संभालने के बाद बीते 15 महीनों में देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर मंगलवार का यह फैसला सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा था. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन हाल ही में ट्रंप पर दबाव बना चुके थे कि अमेरिका को इस समझौते से जुड़े रहना चाहिए. ट्रंप कई मौकों पर कह चुके थे कि यदि इस समझौते को संशोधित नहीं किया गया तो अमेरिका इस समझौते से अलग हो जाएगा.
गुटेरेस ने परमाणु समझौते से अलग होने के अमेरिका के फैसले पर चिंता जताई
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2015 के ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के अमेरिका के फैसले पर 'गहरी चिंता' जताई है. ईरान और छह वैश्विक शक्तियों अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस, फ्रांस और जर्मनी के बीच जुलाई 2015 में हुए समझौते के आधिकारिक नाम (जेसीपीओए) का जिक्र करते हुए गुटेरेस ने एक बयान में कहा, "मैं आज (मंगलवार) की घोषणा को लेकर अत्यधिक चिंतित हूं कि अमेरिका संयुक्त समग्र कार्ययोजना (जेसीपीओए) से अलग हो जाएगा और (ईरान के खिलाफ) फिर से प्रतिबंध लगाएगा." समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, गुटेरेस ने कहा, "मैं अन्य जेसीपीओए प्रतिभागियों से जेसीपीओए के तहत अपनी संबंधित प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह पालन करने और अन्य सभी (संयुक्त राष्ट्र) सदस्य देशों से इस समझौते का समर्थन करने का आग्रह करता हूं."
इनपुट भाषा से भी