चौंकाने वाले नतीजे के साथ उलटा पड़ा ब्रिटिश प्रधानमंत्री पीएम टेरिजा मे का चुनावी दांव
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चौंकाने वाले नतीजे के साथ उलटा पड़ा ब्रिटिश प्रधानमंत्री पीएम टेरिजा मे का चुनावी दांव

ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरिजा मे का ब्रेेक्जिट चर्चाओं में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए समय से पहले चुनाव कराने का दॉव उल्टा पड़ गया और मतदाताओं ने उन्हें संसद में बहुमत नहीं दिया जिसके बाद उनके तत्काल इस्तीफे की मांगें तेज हो गयी. 

हालांकि टेरिजा की कंजर्वेटिव पार्टी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. (फाइल फोटो)

लंदन: ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरिजा मे का ब्रेग्जिट चर्चाओं में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए समय से पहले चुनाव कराने का दांव उल्टा पड़ गया और मतदाताओं ने उन्हें संसद में बहुमत नहीं दिया. ब्रेग्जिट के लिए बातचीत के मुश्किल दौर से पहले त्रिशंकु संसद के साथ टेरिजा को अब सत्ता में बने रहने की खातिर उत्तरी आयरलैंड के एक दल का समर्थन लेने को मजबूर हो गयी हैं. हालांकि चुनाव में झटका लगने के बावजूद टेरिजा अपने इस्तीफे की मांगों को लेकर बेपरवाह रहीं और जोर देते हुए कहा कि वह डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (डीयूपी) के अनौपचारिक समर्थन के साथ सरकार का गठन करेंगी. उन्होंने घोषणा कि वह प्रधानमंत्री बनी रहेंगी और यूरोपीय संघ के साथ ब्रेग्जिट को लेकर बातचीत तय योजना के अनुरूप दस दिनों में शुरू कर देंगी.

10 डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रिटिश सरकार का मुख्यालय) के बाहर उदास चेहरे के साथ मे ने एक बयान में कहा, ‘मैं अभी अभी महारानी से मिलकर आ रही हूं और अब सरकार का गठन करूंगी, वह सरकार जो हमारे देश के लिए निश्चितता का दौर लेकर आए और इस गंभीर समय में उसे आगे की तरफ ले जाए.’ 60 वर्षीय नेता ने कहा कि दोनों दलों के बीच सालों से मजबूत संबंध रहे हैं और उनका मानना है कि वे देश हित में साथ काम करने में सक्षम होंगे. उन्होंने कहा, ‘इससे हमें एक देश के रूप में साथ आने और हमारी दीर्घकालीन खुशहाली सुनिश्चित करने के लिए यूरोपीय संघ के साथ एक नयी साझेदारी हासिल कर देश में हर किसी के लिए फायदेमंद एक सफल ब्रेग्जिट समझौते की दिशा में अपनी उर्जा का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी. पिछले साल जून में लोगों ने (जनमत सर्वेक्षण में) इसी के लिए मत दिया था.’ 

हालांकि टेरिजा की कंजर्वेटिव पार्टी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, जेरेमी कोर्बिन के नेतृत्व में लेबर पार्टी के अच्छे प्र्दशन ने देश की राजनीति को संकट की स्थिति में डाल दिया है और 19 जून को निर्धारित ब्रेग्जिट वार्ता से पहले टेरिजा को एक जटिल स्थिति में पहुंचा दिया है. इन चुनावी नतीजों समयपूर्व चुनाव कराने का टेरिजा का फैसला सवालों के घेरे में आ गया है. करीब करीब सभी 650 सीटों के नतीजे घोषित हो चुके हैं. इनमें कंजर्वेटिव पार्टी को 318 जबकि विपक्षी लेबर पार्टी को 261 सीटें मिली हैं और दोनो ही दल पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 326 सीटों के जादुई आंकड़े से दूर हैं. कंजर्वेटिव पार्टी को अब सरकार के गठन के लिए डीयूपी के दस सांसदों पर निर्भर होना पड़ेगा.

चुनाव पूर्ण अनुमानों में कंजर्वेटिव पार्टी को आसानी से बहुमत मिलने की बात कही जा रही थी, लेकिन उसकी चौंकाने वाली हार को अब ब्रिटिश मीडिया टेरिजा के अपने पद पर बने रहने के लिहाज से ‘शर्मिंदगी’ की बात बता रहा है. कोर्बिन भले ही चुनाव में टेरिजा को शिकस्त देने में नाकाम रहे हों लेकिन उनकी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन ने उन्हें टेरिजा से इस्तीफा मांगने को प्रेरित किया और उन्होंने कहा कि टेरिजा को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उन्होंने ‘वोट गंवा दिए और लोगों का समर्थन एवं विश्वास खो दिया.’ 

अप्रैल में टेरिजा ने निर्धारित समय से तीन साल पहले इस साल जून में चुनाव कराने का आह्वान किया था ताकि वे व्यापक जनादेश के साथ ब्रेग्जिट चर्चाओं में हिस्सा ले सकें. चुनाव के नतीजे से आतंकवाद संबंधी बढ़ती घटनाओं के बीच देश में एक राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है. 37,780 वोट के साथ टेरिजा ने दक्षिण पूर्व इंग्लैंड के मेडनहेड सीट से चुनाव जीता लेकिन चुनाव से पहले संसद में पार्टी को हासिल बहुमत गंवाने के बाद उनपर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया.

इस चुनाव को ब्रेग्जिट चुनाव के तौर पर देखा जा रहा था और इस परिणाम को उन 48 प्रतिशत लोगों के लिए उम्मीद की किरण समझा जा रहा है जिन्होंने जून 2016 में हुए जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ में बने रहने के लिए वोट दिया था. कंजर्वेटिव पार्टी की सांसद अन्ना सोब्री ने इन चुनाव परिणामों को ‘भयानक’ और ‘त्रासदी’ करार देते हुए प्रधानमंत्री टेरिजा के पद पर बने रहने पर सवाल खड़े किए. लेबर पार्टी के 68 वर्षीय नेता कोर्बिन ने टेरीजा से ‘पद छोड़ने’ की मांग करते हुए कहा कि वह ‘देश की सेवा करने के लिए तैयार हैं’ क्योंकि टेरिजा मध्यावधि चुनाव कराने की अपनी बाजी हार चुकी हैं. लेकिन टेरिजा ने इस्तीफा देने की संभावनाएं खारिज कर दीं.

प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार टेरिजा महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से मिलने बकिंघम पैलेस जा रही हैं जहां वह हाउस ऑफ कामंस में डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी :डीयूपी: के दस सांसदों के समर्थन के साथ अपने पार्टी के नयी सरकार का गठन करने का दावा पेश करेंगी. विशाल बहुमत की उम्मीद धराशायी होने की बात मानते हुए टेरिजा ने कहा, ‘‘मेरा संकल्प वही है जो पहले था. परिणाम जो भी आए, कंजर्वेटिव पार्टी अब भी स्थिरता की पार्टी बनी रहेगी.’’ उन्होंने कहा कि इस समय देश को स्थिरता के दौर की जरूरत है और उनकी पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि वह स्थिरता का यह दौर प्रदान करे.

कोर्बिन ने ट्विटर पर दावा किया कि लेबर पार्टी ने ‘ब्रिटिश राजनीति का चेहरा बदल दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘राजनीति बदल गई है और लोग कह रहे हैं कि अब बहुत हो चुका.. मुझे परिणाम पर गर्व है. प्रधानमंत्री ने चुनाव कराए क्योंकि वह जनादेश चाहती थीं और जनादेश यह है कि उन्होंने सीटें गंवा दी हैं.’ आखिरी बार ब्रिटेन में 2010 में त्रिशंकु संसद की स्थिति आयी थी जब डेविड कैमरन प्रधानमंत्री बने थे और कंजर्वेटिव पार्टी ने लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ गठबंधन में सरकार का गठन किया था. कोर्बिन ने भी 40,086 से अधिक मत हासिल कर लंदन की इस्लिंग्टन नॉर्थ सीट से चुनाव जीत लिया. उनकी लेबर पार्टी को 29 सीटों का फायदा हुआ जबकि सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी को 13 सीटों का नुकसान हुआ. चुनाव में करीब 68.7 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछले चुनाव से दो प्रतिशत अधिक है. कंजर्वेटिव पार्टी को 44 प्रतिशत, लेबर पार्टी को 41, लिबरल डेमोक्रेट्स को आठ, यूकेआईपी को दो और ग्रीन्स को दो प्रतिशत मत मिले.

इस बीच यूकेआईपी के नेता पॉल नूटॉल ने चुनाव में अपनी पार्टी को एक भी सीट ना मिलने के बाद पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. पिछले साल नवंबर में पद संभालने वाले नेता ने यूकेआईपी की जबरदस्त शिकस्त के लिए देश की द्विदलीय व्यवस्था को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा, ‘एक नये नेता के साथ एक नये युग की शुरुआत होनी चाहिए.’ नूटॉल ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि पार्टी ‘ब्रेग्जिट के पहरेदारों’ के तौर पर प्रासंगिक बनी रहेगी.वहीं आयरलैंड के भारतीय मूल के पहले मनोनीत प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने कहा कि चुनाव नतीजे से पता चलता है कि ब्रेक्जिट की मुश्किल वार्ताओं की दिशा में बढ़ने के लिए मजबूत जनादेश नहीं दिया गया और इससे आयरलैंड को एक अवसर मिला है. उन्होंने कहा कि टेरिजा को ‘बहुमत ना मिलने से’ पता चलता है कि ब्रेग्जिट की मुश्किल वार्ताओं की दिशा में बातचीत के मुश्किल दौर के लिए ब्रिटेन में कोई ठोस समर्थन नहीं है.

वराडकर ने कहा, ‘आयरलैंड की सरकार ब्रेग्जिट को लेकर बातचीत में हिस्सा लेने तथा उत्तरी आयरलैंड में सत्ता के बंटवारे को बहाल करने की खातिर तैयार है. हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि आयरलैंड, यूरोप और ब्रिटेन के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव नतीजे हासिल करने की खातिर ब्रेग्जिट वार्ता सरल एवं सुसंगत तरीके से हो.’ मनोनीत प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ब्रिटिश चुनाव के नतीजे से मुझे लगता है कि ब्रेग्जिट की मुश्किल वार्ताओं की दिशा में बढ़ने के लिए मजबूत जनादेश नहीं दिया गया और इससे आयरलैंड को एक अवसर मिला है.’

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