भूख कहीं संघर्ष का जरिया ना बन जाए, इसे रोकने की कोशिशों को मिला शांति का नोबेल
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भूख कहीं संघर्ष का जरिया ना बन जाए, इसे रोकने की कोशिशों को मिला शांति का नोबेल

संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Prize for Peace) मिला है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

ओस्लो/रोम: दुनिया भर में युद्धग्रस्त और मुश्किल इलाकों में भूखमरी से लड़ने के प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को शांति नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize for peace) से सम्मानित करने की शुक्रवार को घोषणा की गई.  कोरोना वायरस की महामारी में यात्रा पाबंदियों के बावजूद दक्षिण सूडान में विमान से खाद्य सामग्री गिराने से लेकर आपात आपूर्ति व्यवस्था सेवा बनाने जैसे कार्यों को कर दुनिया के सबसे खतरनाक और संकटग्रस्त इलाकों तक पहुंचने में रोम से संचालित डब्ल्यूइपी को महारत हासिल है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Program) ने गत वर्ष 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों को सहायता पहुंचाई थी.

  1. संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार
  2. पुरस्कार की ईनाम राशि 11 लाख डॉलर
  3. कोरोना महामारी के समय में उसकी भूमिका सराहनीय
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भुखमरी से निपटने में विश्व खाद्य कार्यक्रम का अहम योगदान: नोबेल समिति
ओस्लो में नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस एंडरसन ने नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, ‘इस साल के सम्मान के साथ (समिति की) इच्छा दुनिया का ध्यान उन लाखों लोगों की ओर आकर्षित कराने की है जो भूखमरी के शिकार हैं या जो इसके खतरे का सामना कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम ने खाद्य सुरक्षा को शांति की कुंजी बनाने के लिए बहुस्तरीय सहयोग में अहम भूमिका निभाई है.'

पूरी टीम सम्मान की हकदार: डेविड बीसली
डब्ल्यूएफपी के प्रमुख डेविड बीसली ने कहा कि पूरी टीम इस सम्मान की हकदार है. बीसली ने नाइजर से फोन पर बात करते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि मैं इस तरह के सम्मान का हकदार नहीं हूं, लेकिन दुनियाभर में विश्व खाद्य कार्यक्रम और हमारे साझेदार के साथ कम कर रहे सभी पुरुष और महिलाएं, जो हर दिन अपनी जिंदगी को दांव पर लगाते हैं, वे इसके हकदार हैं.

फोन पर मिली जानकारी : बीसली
उन्होंने बताया कि नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) मिलने की जानकारी उन्हें डब्ल्यूएफपी के मीडिया अधिकारी से मिली. शांति नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद जब बीसली लोगों को संबोधित करने आए तो नाइजर के डब्ल्यूएफपी कर्मियों ने उन्हें मुस्कुराते हुए बधाई दी. इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वास नहीं कर सकता जब मैं नाइजर में हूं तब हमें यह सम्मान मिला और दूसरा मैंने यह पुरस्कार नहीं जीता है, आपने जीता है.'

कोरोना की वजह से बढ़ी भुखमरी की समस्या: नोबेल समिति
नोबेल समिति ने कहा कि भूखमरी की समस्या हाल के वर्षों में दोबारा गंभीर हो गई है और कम से कम कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया में करोड़ों लोगों की मुश्किल बढ़ाई है जो पहले से ही परेशानी का सामना कर रहे थे. समिति ने कहा, ‘वर्ष 2019 में 13.5 करोड़ लोग गंभीर भूखमरी की समस्या का सामना कर रहे थे जो कई वर्षों में सबसे अधिक संख्या है. इनमें अधिकतर जगहों पर युद्ध और सशस्त्र संघर्ष की वजह से समस्या बढ़ी. दुनिया भर में भूखमरी के शिकार लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि करने में कोरोना वायरस की महामारी ने योगदान किया.' डब्ल्यूएफपी का अनुमान है कि आज के दिन दुनिया में करीब 69 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में भूखमरी से ग्रस्त हैं.

मजबूत देश करें गरीब देशों की मदद: नोबेल समिति
नोबेल समिति ने सरकारों से आह्वान किया कि वे विश्व खाद्य कार्यक्रम और अन्य सहायता संगठनों को वित्तीय मदद सुनिश्चित करें ताकि वे यमन, कांगो, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और बुर्किना फासो जैसे देशों के लाखों लोगों को भोजन मुहैया करा सकें.  विशेष परिस्थितियों की वजह से इस साल डब्ल्यूएफपी ने मानवीय सहायता के लिए वैश्विक आपात आपूर्ति सेवा की स्थापना की. अधिकारियों ने बताया कि इस अभूतपूर्व पहल में करीब 130 देश शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी में भी सहायता पहुंचना जारी रहे इसके साथ ही संकट में दवा और टीके अन्य सहायता भी बीमारी को नियंत्रित करने के लिए पहुंचाई जाए.

भुखमरी वैश्विक समस्या: डैन स्मिथ
संस्थान के निदेशक डैन स्मिथ ने कहा, ‘भूखमरी की वैश्विक समस्या बढ़ रही है और यह हिंसक संघर्ष की वैश्विक समस्या है. विश्व खाद्य कार्यक्रम इन दोनों समस्यों के मोड़ पर काम रहा है.' पुरस्कार के तौर पर विजेता को 10 दिसंबर को ओस्लो में आयोजित समारोह में एक करोड़ क्रोन (करीब आठ करोड़ रुपये) नकद और स्वर्ण पदक दिया जाएगा. यह पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर दिया जाता है। हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से इस बार छोटे स्तर पर समारोह का आयोजन किया जाएगा. वैसे, डब्ल्यूएफपी की जरूरत के मुकाबले पुरस्कार की राशि बहुत कम है. अबतक डब्लूईपी को 6.4 अरब डॉलर की सहायता नकद और सामान के रूप में मिली है जिसमें से करीब एक तिहाई यानी 2.7 अरब डॉलर की सहायता अकेले अमेरिका से मिली है.

211 हस्तियों के साथ 107 संगठन थे नामित
इस साल भी शांति नोबेल पुरस्कार के कई दावेदार थे. एक फरवरी को नामांकन की अंतिम तारीख तक 211 हस्तियों और 107 संगठनों को नामांकित किया गया था.नार्वे की नोबेल समिति ने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेता को लेकर पूर्ण गोपनीयता बरती लेकिन स्टॉकहोम शांति अनुसंधान संस्थान की सूची में डब्ल्यूपी संभावित विजेताओं में शामिल था.

अमेरिकियों के हाथ में है संस्था का नेतृत्व
संगठन का नेतृत्व लंबे समय से अमेरिकियों के हाथ में है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वर्ष 2017 में इस पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी सदस्य और साउथ कैरोलिना के पूर्व गवर्नर को नामित किया था. 

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