जिनेवा: कश्मीर (Kashmir) को लेकर पाकिस्तान (Pakistan) की भाषा बोलने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर (Volkan Bozkir) ने भारत के कड़े विरोध के बाद सफाई पेश की है. UNGA चीफ ने कहा है कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया. भारत ने बोजकिर की कश्मीर पर टिप्पणी को गुमराह करने वाला और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बयान करार दिया था. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यीय इस निकाय के प्रमुख को अब सफाई पेश करनी पड़ी है. 


प्रवक्ता ने दिया ये तर्क


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वोल्कन बोजकिर की उप प्रवक्ता एमी कांत्रिल ने कहा कि यह बेहद अफसोसजनक है कि UNGA चीफ के बयान को संदर्भ से हटकर देखा गया. उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान की यात्रा के दौरान बोजकिर ने कहा था कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि पाकिस्तान एवं भारत के बीच संबंधों के सामान्य बनने पर टिकी है और जम्मू कश्मीर मुद्दे के समाधान से ही रिश्ते सामान्य होंगे’. 


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‘India के बयान से आहत हैं’


एमी कांत्रिल ने कहा कि संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में चीफ ने 1972 के भारत-पाकिस्तान शिमला समझौते को भी याद किया था. वोल्कन बोजकिर भारत के विदेश मंत्रालय के बयान से आहत हैं और खेद की बात है कि उनका बयान संदर्भ से हटकर देखा गया. गौरतलब है कि बोजकिर पिछले महीने के आखिर में बांग्लादेश और पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे. इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में पुरजोर तरीके से उठाना पाकिस्तान का दायित्व है.


भारत ने जताया था विरोध  


UNGA चीफ के इस बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि बोजकिर का बयान अस्वीकार्य है और भारत के केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का उनके द्वारा जिक्र करना अवांछनीय है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पिछले सप्ताह कहा था कि जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के कोई वर्तमान अध्यक्ष गुमराह करने वाला एवं पूर्वाग्रह से ग्रस्त बयान देता है तो वह अपने पद को बड़ा नुकसान पहुंचाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष का आचरण वाकई खेदजनक है और यह वैश्विक स्तर पर उनके दर्जे को घटाता है.


UNGA चीफ ने क्या कहा था?


कश्मीर मसले की फिलिस्तीन विवाद से तुलना करते हुए यूएनजीए अध्यक्ष बोजकिर ने कहा था कि कश्मीर विवाद के समाधान के लिए बड़ी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. उन्होंने कहा था, ‘मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान का विशेष रूप से कर्तव्य है कि वह संयुक्त राष्ट्र के मंच पर इस और अधिक मजबूती से उठाए. मैं इस बात से समहत हूं कि फिलिस्तीन और कश्मीर मुद्दा एक ही समय के हैं. उन्होंने आगे कहा था कि मैंने हमेशा सभी पक्षों से जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलने से परहेज करने का आग्रह किया है.