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वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने एक बार फिर पाकिस्तान (Pakistan) को उसकी जगह दिखा दी है. बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान को करारा झटका देते हुए साफ कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन (Global Warming) पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन कैरी (John Kerry) भारत, बांग्लादेश (India, Bangladesh) जाएंगे, लेकिन पाकिस्तान नहीं. बता दें कि 22-23 अप्रैल के बीच जलवायु परिवर्तन पर आयोजित शिखर सम्मेलन और इस वर्ष के अंत में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) से पहले कैरी विचार-विमर्श के लिए इन देशों की यात्रा करने जा रहे हैं. वह एक से नौ अप्रैल के बीच भारत, बांग्लादेश और यूएई की यात्रा पर रहेंगे.
जॉन कैरी का जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक जूझ रहे देशों में शामिल पाकिस्तान नहीं जाना दर्शाता है कि अमेरिका के लिए इस्लामाबाद कोई मायने नहीं रखता. यहां गौर करने वाली बात ये है कि यूएस (US) ने जलवायु परिवर्तन पर शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इमरान खान (Imran Khan) को न्योता भी नहीं दिया है. बाइडेन प्रशासन के इस कदम से पाकिस्तान को मिर्ची लगी है. वहीं, जानकारों का मानना है कि यह पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री के लिए बड़ा झटका है.
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दक्षिण एशियाई मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ माइक कुगेलमैन (Michael Kugelman) ने पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा, ‘पहले पाकिस्तान को व्हाइट हाउस के वैश्विक जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में शामिल होने का न्योता नहीं दिया गया. अब अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन कैरी चर्चा के लिए भारत और बांग्लादेश जा रहे हैं, ओह’. वैसे, कहा जा रहा है कि पाकिस्तान को इसलिए आमंत्रित नहीं किया गया है, क्योंकि वह सबसे कम उत्सर्जन वाले देशों में शामिल है.
पाकिस्तान को सबसे ज्यादा मिर्ची इस बात से लग रही है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को इस शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है और जॉन कैरी भारत आ रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीएम मोदी सहित दुनिया के 40 नेताओं को शिखर सम्मेलन में शामिल होने का न्योता भेजा है. इस शिखर सम्मेलन का मकसद जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने के आर्थिक लाभ एवं महत्व को रेखांकित करना है. व्हाइट हाउस के अनुसार, शिखर सम्मेलन का सीधा प्रसारण किया जाएगा. इस शिखर सम्मेलन और सीओपी26 का मुख्य लक्ष्य वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के प्रयासों में तेजी लाना है.