H-1B वीज़ा में सुधार पर डोनाल्ड ट्रंप की मुहर, भारतीय IT पेशेवरों पर गिर सकती है गाज
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H-1B वीज़ा में सुधार पर डोनाल्ड ट्रंप की मुहर, भारतीय IT पेशेवरों पर गिर सकती है गाज

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (19 अप्रैल) को उस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया जो एच1बी वीजा जारी करने की प्रक्रिया को कड़ा करेगा और प्रणाली की समीक्षा की मांग करेगा. इस वीजा की भारतीय आईटी फर्मों और पेशेवरों के बीच काफी मांग है.

कई अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार हर साल सर्वाधिक एच1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों को मिलते हैं. (फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (19 अप्रैल) को उस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया जो एच1बी वीजा जारी करने की प्रक्रिया को कड़ा करेगा और प्रणाली की समीक्षा की मांग करेगा. इस वीजा की भारतीय आईटी फर्मों और पेशेवरों के बीच काफी मांग है.

ट्रंप ने विस्कांसिन के केनोशा में इस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किया. अमेरिका में यह अधिक कुशलता आधारित और योग्यता आधारित आव्रजन प्रणाली बनाने की दिशा में एक पर्वितनकारी कदम है.

इस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए जाने से एक ही दिन पहले अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने घोषणा की थी कि उसने इस साल एक अक्तूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2018 के लिए 65000 एच1बी वीजा के कांग्रेशनल आदेश के लिए उसे प्राप्त 1,99,000 याचिकाओं से कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ पूरा कर लिया है.

ट्रंप ने कहा, ‘इस समय, एच1बी वीजा पूरी तरह से अव्यवस्थित लॉटरी के जरिए दिए जाते हैं और यह गलत है. इसके बजाए ये सबसे कुशल और सर्वाधिक वेतन प्राप्त करने वाले प्रार्थी को दिए जाने चाहिए और उनका इस्तेमाल कभी भी अमेरिकियों की जगह किसी अन्य को नौकरी देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. यदि अमेरिकी कर्मियों को उचित और समान अवसर दिए जाएं तो कोई उनका मुकाबला नहीं कर सकता और दशकों से ऐसा नहीं हुआ है.’ 

उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन ‘हायर अमेरिकन’ नियमों को लागू करेगा जो अमेरिका में कर्मियों की नौकरियों एवं वेतन को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि पहले अमेरिकी कर्मियों को नौकरियां दी जानी चाहिए.’ इस शासकीय आदेश में यह भी घोषणा की गई है कि अमेरिकी परियोजनाएं अमेरिकी सामान के जरिए ही पूरी की जानी चाहिए.

ट्रंप ने कहा, ‘हम अब अन्य देशों को संघीय ठेकों के मामले में हमारे निर्माताओं एवं हमारे कर्मियों के साथ धोखा नहीं करने देंगे. मेरे प्रशासन में हर किसी से उम्मीद की जाएगी कि वह अमेरिकी कर्मियों की ओर से ‘बाई अमेरिका’ के हर प्रावधान को लागू करें और हम इन प्रावधानों को कमजोर करने वाले हरेक व्यापार समझौते की जांच करेंगे.’ 

शासकीय आदेश के अनुसार विदेश मंत्री, अटॉर्नी जनरल, श्रम मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारों का सुझाव देंगे कि एच1बी वीजा सबसे कुशल एवं सर्वाधिक वेतन प्राप्त करने वाले प्रार्थी को दिया जाए.

एच1बी वीजा प्रणाली में सुधार करना ट्रंप के चुनावी मुहिम के बड़े वादों में से एक था. कई अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार हर साल सर्वाधिक एच1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों को मिलते हैं.

भारत से सर्वाधिक संख्या में योग्य आईटी पेशेवर है जिनकी सेवाएं अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा देने में अहम भूमिका निभाती हैं. हालांकि ट्रंप के इस शासकीय आदेश को कुछ अमेरिकी सांसदों ने बहुत कम और बहुत देर से लिया गया फैसला बताया है. 

सीनेटर डिक डर्बिन ने कहा, ‘हम पहले से जानते हैं कि एच1बी वीजा के दुरुपयोग से अमेरिकी कर्मियों को नुकसान होता है. कार्यक्रम की केवल समीक्षा करना बहुत कम है और यह बहुत देर से उठाया गया कदम है.’ 

अमेरिकी सांसदों ने एच1बी वीजा प्रणालियों में सुधार के विशेष प्रस्तावों के साथ कांग्रेस में छह से अधिक विधेयक पेश किए हैं. व्यापारिक संघ नासकॉम के अनुसार कई प्रस्ताव भेदभाव करने वाले हैं और इनमें भारतीय आईटी कंपनियों को निशाना बनाया गया है.

ट्रंप के इस शासकीय आदेश पर विपक्षी डेमोक्रेट सांसदों ने प्रायोजकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी हैं लेकिन प्रतिनिधि सभा की न्यायिक समिति के अध्यक्ष बॉब बुडलाटे और डेमोक्रेटिक सीनेटर शेरॉड ब्राउन ने इस आदेश की प्रशंसा की है.

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