अमेरिका ने भारत को लौटाईं 10 करोड़ डॉलर की कुल 200 कलाकृतियां
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अमेरिका ने भारत को लौटाईं 10 करोड़ डॉलर की कुल 200 कलाकृतियां

अमेरिका ने आज भारत को 200 से ज्यादा चोरी की गईं कलाकृतियां लौटा दी हैं। इनमें से कुछ कलाकृतियां 2000 साल पुरानी हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांस्कृतिक विरासत को द्विपक्षीय संबंधों को बांधकर रखने वाला एक बड़ा बल बताया।

वॉशिंगटन: अमेरिका ने आज भारत को 200 से ज्यादा चोरी की गईं कलाकृतियां लौटा दी हैं। इनमें से कुछ कलाकृतियां 2000 साल पुरानी हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांस्कृतिक विरासत को द्विपक्षीय संबंधों को बांधकर रखने वाला एक बड़ा बल बताया।

चोरी की कलाकृतियों को भारत को लौटाने के अवसर पर ब्लेयर हाउस में आयोजित एक समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आम तौर पर दुनिया के देशों के बीच संबंधों में अक्सर तोहफे शामिल होते हैं। तोहफा एक बड़ी भूमिका निभाता है लेकिन कई बार दो देशों के संबंधों में विरासत महत्वपूर्ण हो जाती है।’ हिंदी में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दो साल में विभिन्न देशों ने भारत की चोरी की गई सांस्कृतिक विरासत को लौटाने के प्रयास किए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दोनों सरकारें और इन देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियां अब सांस्कृतिक कलाकृतियों की तस्करी को लेकर ज्यादा चौकस हो गई हैं। वे अब इसे सिर्फ रोकने ही नहीं बल्कि इन्हें वापस इनके मूल स्थान पर भेजने के लिए भी काम कर रही हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अमेरिका और राष्ट्रपति बराक ओबामा का आभारी हूं कि उन्होंने भारत को वह खजाना लौटा दिया है, जो हमें हमारे मूल्यों से जोड़ता है।’ मोदी ने कहा कि कई पर्यटक सिर्फ आधुनिक स्थानों को नहीं देखना चाहते। वे किसी स्थान के समृद्ध इतिहास को भी देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोग भारत की ओर उसकी प्राचीन सभ्यता के चलते आकर्षित होते हैं।

सिंधु घाटी की सभ्यता का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि अब पयर्टक 5000 साल पुराने शहरों को देखने के लिए भारत आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इन बहुमूल्य चीजों का आनंद पूरी दुनिया उठा सकती है। प्रौद्योगिकी की मदद से हम अवैध तस्करी में संलिप्त लोगों को पकड़ सकते हैं।’ अमेरिका में भारतीय राजदूत अरूण के सिंह ने कहा कि सोमवार को 12 कलाकृतियां लौटा दी गई हैं और बाकी बहुमूल्य कलाकृतियों के हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 

लौटाई गई वस्तुओं में धार्मिक मूर्तियां, कांसे और टैराकोटा की बनी प्राच्यवस्तुएं शामिल हैं। इनमें से कुछ 2000 साल पुरानी हैं। इन्हें भारत के सबसे संपन्न धार्मिक स्थलों से लूटा गया था। लौटाई गई कलाकृतियों में चोल काल (850 ईसा पश्चात से 1250 ईसा पश्चात) के हिंदू कवि संत माणिककविचावाकर की एक मूर्ति भी है। इसे चेन्नई के सिवान मंदिर से चुराया गया था। इसकी कीमत 15 लाख डॉलर है। इसके अलावा हिंदू भगवान गणेश की कांसे की प्रतिमा भी है, जो 1000 साल पुरानी बताई जाती है।

अमेरिकी अटॉर्नी जनरल लोरेटा ई मिंच ने कहा कि भारत के शानदार इतिहास और खूबसूरत संस्कृति को बयां करने वाली ये कलाकृतियां अपने घर वापस जाने के सफर की शुरुआत कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘यह मेरी और अमेरिकी लोगों की उम्मीद है कि इस सामान को स्वदेश लौटाया जाना भारत की संस्कृति के प्रति हमारे बेहद सम्मान का, इसकी जनता के प्रति हमारी गहरी सराहना और दोनों देशों के बीच के संबंधों के प्रति हमारी प्रशंसा का प्रतीक बनेगा।’ 

गृह सुरक्षा मंत्री जेह जॉनसन ने एक बयान में कहा, ‘हमारे वैश्विक समुदाय की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा करना अहम काम है और हम इस कीमती सामान के मूल देशों और असल मालिकों की पहचान करने और इन्हें लौटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ इनमें से अधिकतर सामान ऑपरेशन हिडन आइडल के दौरान बरामद किए गए थे। यह जांच वर्ष 2007 में शुरू हुई थी। इस मामले में आर्ट ऑफ द पास्ट गैलरी का मालिक सुभाष कपूर हिरासत में लिया गया था। उसपर भारत में मुकदमा चल रहा है।

 

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