India-US Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास और ऑफिस ‘व्हाइट हाउस’ ने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए भारत के लोगों की प्रशंसा करते हुए शुक्रवार को कहा कि दुनिया में भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र बहुत कम हैं. व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा, ‘विश्व में ऐसे देश अधिक नहीं है जहां भारत से अधिक जीवंत लोकतंत्र हो. हम मताधिकार का इस्तेमाल करने और सरकार चुनने के लिए भारत के लोगों की तारीफ करते हैं. हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं.’


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें आम चुनाव के तहत भारत में 96 करोड़ 90 लाख से अधिक लोग 2,660 पंजीकृत राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले हजारों उम्मीदवारों में से 545 सांसदों का चुनाव करेंगे. लोग लोकसभा चुनावके दौरान 10 लाख मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं.


'मजबूत हुए भारत और अमेरिका संबंध'
किर्बी ने प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के विशेष रूप से पिछले तीन वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘भारत के साथ हमारे संबंध बेहद करीबी हैं जो लगातार और घनिष्ठ हो रहे हैं.’


किर्बी ने कहा, ‘यह बहुत जीवंत, बहुत सक्रिय भागीदारी है और हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व के बहुत आभारी हैं.’


बाइडेन के बयान पर दी ये सफाई
जब उनसे पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति जो बाइडेन का मानना ​​है कि भारत और जापान विदेशी नागरिकों से द्वेष करने वाले देश हैं, तो उन्होंने ‘ना’ में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने जब इस संबंध में बयान दिया था तब वह एक व्यापक बिंदु पर बात रहे थे.


किर्बी ने कहा, ‘मेरा मतलब है कि राष्ट्रपति यहां अमेरिका में हमारे अपने लोकतंत्र की जीवंतता, इसकी समावेशिता और भागीदारी को लेकर एक व्यापक बात रख रहे थे.’


गौरलतब है कि बाइडेन ने हाल में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘आप जानते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का एक कारण आप और कई अन्य लोग हैं. क्यों? क्योंकि हम प्रवासियों का स्वागत करते हैं.’


बाइडन ने कहा था, ‘इसके बारे में सोचिए. चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह ठहर सा क्यों रहा है? जापान को क्यों परेशानी हो रही है? रूस (को) क्यों (दिक्कत हो रही) है? भारत (को) क्यों (दिक्कत हो रही) है? क्योंकि उन्हें विदेशियों से द्वेष हैं. वे प्रवासियों को नहीं चाहते.’