तनाव के बीच अमेरिकी उप-राष्ट्रपति ने कहा, उत्तर कोरिया के साथ 'सभी विकल्प खुले हैं'
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तनाव के बीच अमेरिकी उप-राष्ट्रपति ने कहा, उत्तर कोरिया के साथ 'सभी विकल्प खुले हैं'

अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेन्स सोमवार (17 अप्रैल) को दोनों कोरिया को विभाजित करने वाले सेना के भारी जमावड़े वाले सीमांत क्षेत्र में पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि अमेरिका, उत्तर कोरिया के साथ बातचीत में किसी भी संभावना से इनकार नहीं कर रहा है.

अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेन्स हेलीकॉप्टर से कैंप बोनिफास पहुंचे जो कि अमेरिका नीत संयुक्त राष्ट्र की कमांड पोस्ट है. (फाइल फोटो)

पैन्मुन्जोम: अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेन्स सोमवार (17 अप्रैल) को दोनों कोरिया को विभाजित करने वाले सेना के भारी जमावड़े वाले सीमांत क्षेत्र में पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि अमेरिका, उत्तर कोरिया के साथ बातचीत में किसी भी संभावना से इनकार नहीं कर रहा है.

सीमांत गांव पैन्मुन्जोम में उन्होंने कहा कि वॉशिंगटन ‘शांतिपूर्ण उपायों और वार्ता के जरिए सुरक्षा स्थापित करना चाहता है लेकिन सभी विकल्प खुले हैं क्योंकि हम दक्षिण कोरिया की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.’ 

सैन्य सीमा रेखा (मिलिट्री डिमार्केशन लाइन) से कुछ ही दूर स्थित फ्रीडम हाउस में पेंस ने कहा कि दक्षिण कोरिया के साथ अमेरिका के संबंध ‘बेहद मजबूत’ हैं.

उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के लोगों का संदेश है कि हम अमन चाहते हैं.’ उत्तर कोरिया के असफल मिसाइल परीक्षण के एक ही दिन बाद अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेन्स सोमवार को यहां पहुंचे.

पेन्स हेलीकॉप्टर से कैंप बोनिफास पहुंचे जो कि अमेरिका नीत संयुक्त राष्ट्र की कमांड पोस्ट है और विसैन्यीकृत क्षेत्र (डीएमजेड) के करीब, दक्षिण में है. समझा जाता है कि पेन्स यहां से पैन्मुन्जोम गांव जाएंगे जो कि धरती पर सर्वाधिक सैन्य बलों की निगरानी वाली सीमाओं में से एक के नजदीक है.

प्योंगयांग और वॉशिंगटन के बीच तनाव में हालिया सप्ताहों में वृद्धि हुई है. उत्तर कोरिया अपने हथियारों का एक के बाद एक परीक्षण करता जा रहा है जिसे डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने हालांकि संकेत दिया है कि वह उत्तर कोरिया को पश्चिमी अमेरिका तक परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अंतरद्वीपीय बैलिस्टक मिसाइल विकसित नहीं करने देंगे.

व्हाइट हाउस के एक शीर्ष विदेश नीति सलाहकार ने रविवार (16 अप्रैल) को फिर आगाह किया कि हालांकि कूटनीतिक दबाव को प्राथमिकता दी जा रही है लेकिन अमेरिकी सैन्य कार्रवाई से भी परहेज नहीं है.

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