US: इस बिल से दिग्गज टेक कंपनियों को लगेगा बड़ा झटका, डिजिटल पब्लिशर्स के साथ बांटना होगा मुनाफा!
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US: इस बिल से दिग्गज टेक कंपनियों को लगेगा बड़ा झटका, डिजिटल पब्लिशर्स के साथ बांटना होगा मुनाफा!

Latest Tech news: गूगल और फेसबुक पर अमेरिका की सरकार नकेल कसने जा रही है. जिसके तहत न्यूज दिखाने पर किसी भी दिग्गज टेक कंपनी को पैसे चुकाने होंगे यानी उन्हें डिजिटल पब्लिशर्स के साथ अपना मुनाफा बांटना होगा.

US: इस बिल से दिग्गज टेक कंपनियों को लगेगा बड़ा झटका, डिजिटल पब्लिशर्स के साथ बांटना होगा मुनाफा!

US bill strengthens digital news publishers: अमेरिका (US) के सांसदों ने बुधवार को दिग्गज टेक कंपनियों (Big Tech companies) से जुड़े उस बिल का संशोधित संस्करण संसद में पेश किया है जिसे डिजिटल समाचार प्रकाशकों के लिए बड़ा राहतभरा और टेक कंपनियों के लिए आफतभरा माना जा रहा है. दरअसल इस बिल के लागू होने के बाद डिजिटल पब्लिशर्स को अपने न्यूज़ कंटेट के लिए गूगल (Google) और मेटा (Meta) जैसी कंपनियों से अपनी फीस के लिए डील करने में आसानी होगी. यानी अपने हक की रकम के लिए वो इस कानून के आने के बाद किसी भी बड़ी कंपनी से आसानी से बातचीत और संवाद कर सकेंगे. 

नया बिल को लेकर सांसदों का दावा

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 'द जर्नलिज्म कॉम्पिटिशन एंड प्रिजर्वेशन एक्ट' नाम का ये बिल न्यूज़ ऑर्गेनाइजेशंस यानी मीडिया हाउसों की कानूनी बाधाओं को दूर करने के साथ उन्हें सही भुगतान का रास्ता खोलेगा. इस बिल को मंंजूरी मिलने के बाद सभी मीडिया हाउसों को उनके कंटेट का सही भुगतान मिल सकेगा. यह बिल उन कंपनियों के लिए झटका है जो अभी तक नियमित रूप से न्यूज पब्लिशर्स को  इसके मूल्य का भुगतान किए उनके न्यूज़ कंटेट का इस्तेमाल कर रहे थे. कुछ सांसदों का मानना है कि गूगल या फेसबुक जैसी कंपनियां कंटेंट की प्रमाणिकता पर कम ध्यान देती हैं. कानून में बदलाव होने से गलत जानकारी और फेक न्यूज को काफी हद तक रोकने में मदद मिलेगी.

डिजिटल न्यूज़ पब्लिसर्स एसोशिएशन का बयान

भारतीय मीडिया संगठनों (Indian media organisations) के डिजिटल सहयोगी मंच डिजिटल न्यूज़ पब्लिसर्स एसोशिएशन (DNPA) ने इस बिल को एक अहम टूल के रूप में परिभाषित करते हुए कहा, 'यह बिल सही दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है. यह भारत में हमारे रुख की पुष्टि करता है क्योंकि हम रेवेन्यू साझा करने के विषय पर इन दिग्गज टेक कंपनियों को अधिक पारदर्शी, समावेशी और अपने अनुकूल बनाने की मांग कर रहे थे.' 

गौरतलब है कि इसी साल की शुरुआत में, इस मंच ने भारतीय प्रतिस्पर्धा परिषद (CCI) से शिकायत की थी, जिसके कारण डिजिटल समाचार संस्थाओं के साथ रेवेन्यू साझा करने में गूगल (Google) की कथित गड़बड़ी की जांच हुई थी.

डिजिटल न्यूज़ इंडस्ट्री को मिलेगी ताकत

नया कानून आने के बाद गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को डिजिटल पब्लिशर्स के साथ मुनाफा बांटना पड़ेगा. दरअसल अगर ये कानून जल्द ही अमल में आता है तो निश्चित रूप से दुनियाभर के मीडिया हाउस के साथ भारतीय मीडिया हाउसों को भी भविष्य में इसका फायदा मिलेगा. सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि तमाम न्यूज पब्लिशर्स का ध्यान ऑनलाइन ट्रैफिक, पेज व्यू, एसईओ रैंकिंग के साथ न्यूज की क्वालिटी पर लगेगा. ज्यादा इनकम और मुनाफा मिलने से मीडिया कंपनियां अपने संसाधनों में सुधार कर पाएंगी. इससे सही और सटीक न्यूज समय पर पाठकों तक पहुंचाने में काफी मदद मिलेगी. पब्लिशर्स को इससे उनके कंटेंट का सही रेवेन्यू मिलने में मदद मिलेगी. आपको बताते चलें कि गूगल-फेसबुक जैसी कंपनियां न्यूज ऑर्गेनाइजेशन के कंटेंट का इस्तेमाल करती है लेकिन सही मात्रा में रेवेन्यू शेयर नहीं करती. ऐसे में अमेरिका का यह कदम भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है. 

पिछले साल आया था ये बिल

इस बिल का पहला संस्करण पिछले साल मार्च 2021 में संसद में पेश हुआ था. तब मेटा (Meta ) और गूगल (Google) जैसी दिग्गज कंपनियों ने अपने स्तर पर इसका विरोध किया था. लेकिन इस बिल को मंजूरी मिल जाती है, तो इन बड़ी टेक कंपनियों को अमेरिका में भी यूरोपीय संघ (ईयू), कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में पारित किए गए एक समान कानूनों का पालन करना होगा. अमेरिकी सांसदों ने जर्नलिज्म कॉम्पिटिशन एंड प्रिजर्वेशन एक्ट का जो रिवाइज्ड वर्जन पेश किया है उसके जरिए गूगल और फेसबुक यानील मेटा जैसे बिग टेक प्लेटफॉर्म के साथ न्यूज पब्लिशर्स का एक साथ बातचीत करना संभव हो पाएगा. यह बिल उन देशों के लिए भी दिशा दिखाने का काम करेगा जो अभी तक इन तकनीकी कंपनियों को अपने नियम कायदों के दायरे में नहीं बांध सके हैं. 

भारत में क्या होगा?

भारत सरकार और देश के समाचार संगठन दोनों ही डिजिटल मीडिया स्पेस को डेमोक्रेटाइज करना चाहते हैं और अमेरिका का ये कदम उस दिशा में एक बड़ा बूस्ट है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका को लोकतंत्र और फ्री स्पीच के सिलसिले में एक दिशानिर्देशक के रूप में देखा जाता है. यही वजह है कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) ने अमेरिका के इस डेवलपमेंट का स्वागत किया है. आपको बता दें कि DNPA भारत के टॉप मीडिया ऑर्गेनाइजेशन्स के डिजिटल आर्म का एक प्लेटफॉर्म है. जिसने इस बिल पर प्रमुखता से अपनी बात रखी है.

भारत से पहले इन देशों ने उठाया कदम

बड़ी टेक कंपनियों का दबदबा कम करने के लिए कानून का सहारा लेने वाला भारत पहला देश नहीं है. भारत से पहले फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी लोकल न्यूज पब्लिशर्स के बढ़ावा देने के लिए कानून लाए हैं. कनाडा ने भी हाल ही में एक बिल पेश किया है, जिससे गूगल का दबदबा खत्म होगा. नए बिल के जरिए कनाडा एक साफ रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल को लागू कर सकता है.

गौरतलब है कि ये खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब कई बिग टेक दिग्गज कंपनियां भारत में एक संसदीय पैनल के सामने अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. हाल ही में वित्तीय मामलों की संसदीय समिति ने देश में बिग टेक की एकाधिकारवादी प्रथाओं यानी मोनोपोली पर कुछ सवालों का सामना करने के लिए गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन (Amazon), नेटफ्लिक्स (Netflix) और कुछ अन्य बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों को बुलाया था.

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