वेनेजुएला: रईस देश की कहानी जो देखते ही देखते हो गया बर्बाद
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वेनेजुएला: रईस देश की कहानी जो देखते ही देखते हो गया बर्बाद

वेनेजुएला में दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात तेल भंडार है. इसके बावजूद आज यह देश बर्बाद होकर अराजकता में उलझा हुआ है.

वेनेजुएला के राष्ट्रपति के खिलाफ देश में असंतोष बढ़ता जा रहा है.  (फोटो: Reuters)

नई दिल्ली: कुछ सालों पहले तक दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के उत्तर में स्थित वेनेजुएला का नाम आते ही एक कच्चे तेल के अमीर निर्यातक देश की छवि जहन में आती थी. अब हालात काफी अलग हो गए हैं. अब इस देश में अराजकता का माहौल है. लोग खाने को तरस रहे हैं. सरकार सेना और ताकतवर लोग देश पर अपना कब्जा छोड़ने को तैयार नहीं हैं और उन्होंने आधी से ज्यादा दुनिया को अपना दुश्मन बना लिया है. वेनेजुएला का आधिकारिक नाम बोलिवेरियन रिपब्लिक ऑफ वेनेजुएला है. प्राकृतिक संसाधनों से सपन्न होने के बावजूद आज इस देश के ज्यादातर लोग खाने को तरस रहे हैं. कीमतें आसमान छू रही हैं. लोगों में असंतोष चरम पर है. आज दुनिया भर की नजर वेनेजुएला पर है. दुनिया भर की बड़ी शक्तियों को यहां दखल देना पड़ रहा है. 

भौगोलिक स्थिति
वेनेजुएला के पश्चिम में कोलंबिया, दक्षिण में ब्राजील पूर्व में गुयाना और उत्तर में कैरेबियन सागर है जबकि उत्तर पूर्व में अटलांटिक महासागर है. विषुवत वृत के निकट होने के कारण यहां भूमध्यरेखीय जलवायु है. इस देश में प्राकृतिक तेल का दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात भंडार है. इसके अलावा कोयला, लोह अयस्क, बॉक्साइट (एल्यूमिनियम का अयस्क) और सोने के प्रचुर भंडार हैं. वेनेजुएला की राजधानी काराकास है. यहां उत्तर पश्चिम में एंडीज पर्वतमाला के क्षेत्र,  उत्तर-पश्चिम में माराकाइबो निचले इलाके, मध्य में मैदानी क्षेत्र, दक्षिणपूर्व में गियाना पहाड़ी क्षेत्र हैं. 

यहां की जनसंख्या तीन करोड़ 15 लाख है. 881,050 वर्ग किलोमीटर (340,561 वर्ग मील) में फैले इस देश में प्रमुख रूप स्पेनिश और कुछ स्थानीय भाषाएं बोली जाती है. प्रमुख धर्म ईसाई है जिसमें ज्यादातर लोग (96%) कैथोलिक हैं. 2% लोग प्रोटेस्टेंट ईसाई और बाकी 2% अन्य धर्म को मानने वाले लोग है. यहां की मुद्रा बोलिवर है. 

सक्षिप्त इतिहास
वेनेजुएला में हजारों सालों से कबीलाई लोग रह रहे थे. 1522 में स्पेन के लोगों के आने के बाद वेनेजुएला की संपदा को दोहन तो शुरू हो गया पर इससे ज्यादा यहां कुछ भी नहीं हुआ. 18वीं सदी के अंत में यहां आजादी के लिए संघर्ष की शुरुआत हुई. 1821 में सिमोन बोलिवर के नेतृत्व में वेनेजुएला, कोलंबिया, पनामा और इक्वाडोर ने मिलकर खुद को स्पेन से आजाद कर रिपब्लिक ऑफ ग्रान कोलंबिया की स्थापना की जिसके बाद 1930 में वेनेजुएला एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया. इसके बाद वेनेजुएला में अधिकतर सैन्य शासन रहा. सैन्य शासन होने के बावजूद यहां सामाजिक सुधार और लोक कल्याण कार्यक्रम भी लागू हुए. यहां लोकतंत्र की शुरुआत 1959 में हुई. 

शावेज शासन काल के बाद आया बर्बादी का दौर
वेनेजुएला का स्वर्णिम युग 1999 से ह्यूगो शावेज के दौर में शुरू हुआ जो 2013 तक सत्ता में रहे. हालांकि इस दौरान देश में लोकतंत्र भले ही नहीं रहा हो, लेकिन उनका शासन लोकप्रिय जरूर रहा. इस दौर में वेनेजुएला में कापी आर्थिक उन्नति हुई. इस दौरान शावेज ने भले ही अमेरिका सहित दुनिया के बाकी प्रमुख देशों को अपना दुश्मन बना लिया हो, लेकिन उनके अपने देश में उनकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई. वे यहां के लोगों के लिए मसीहा ही बने रहे. 

मादुरो शासन काल में आया बर्बादी का दौर
शावेज के बाद उनके उत्तराधिकारी निकोलस मादुरो के शासन संभालने के बाद देश की स्थिति खराब होने लगी. सबसे पहले आम लोगों की मुश्किलें बढ़ना शुरू हुईं जो बढ़ती कीमतों से परेशान होने लगे. मादुरो ने सरकारी संस्थाओं पर अपना नियंत्रण बढ़ाया और अब देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में भी भारी कमी आई है.

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आर्थिक स्थिति
वेनेजुएला की सबसे बड़ी ताकत है. यहां कि अकूत खनिज संपदा. दुनिया भर के सबसे बड़ा ज्ञात तेल भंडार यहां है. देश की जनता का हाल कुछ भी रहा हो यहां तेल व्यापार से आर्थिक स्थिति हमेशा से ही बढ़िया ही रही. इस आर्थिक मजबूती के दम पर जनता के इतने विरोध के बाद भी राष्ट्रपति मादुरो अभी तक सत्ता से बेदखल नहीं किए जा सके हैं. यहां की प्रचुर प्राकृतिक संपदा के कारण यहां दुनिया भर की नजर रहती है. यहां के प्रमुख उद्योगों में, पैट्रोलियम, निर्माण सामग्री, फूड प्रोसेसिंग, अल्यूमीनियम, लोहे, सोने जैसी कीमती धातुओं का उत्खनन, कपड़ा उद्योग  शामिल है. इसके अलावा कृषि में मक्का, ज्वार, गन्ना, चावल, केला सब्जियां कॉफी, मछली, अंडे आदि यहां की फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए योगदान देते रहे हैं. पिछले कुछ समय से कृषि उत्पादों की भारी कमी देखी जा रही है. 

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इतनी संभावना और संपदा के भरपूर होने के बाद भी आज वेनेजुएला के हालात बहुत ही बुरे हाल में हैं. सेना का राजनीतिकरण, तेजी से बढ़ते अपराध, बढ़ती महंगाई, घरेलू सामान, दवाएं, खाद्य पदार्थों की व्यापक कमी, पैट्रोलियम उद्योग पर बहुत ही ज्यादा निर्भरता, गैर जिम्मेदाराना उत्खनन इसके प्रमुख कारण हैं. 

वर्तमान परिदृश्य
आज वेनेजुएला में हालात निर्णायक से लगते हैं. राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को विरोध चरम पर है, वेनेजुएला के विरोधी दल के नेता जुआन गुएडो ने खुद को वेनेजुएला का राष्ट्रपति घोषित किया है. इस पर उन्हें अंतरारष्ट्रीय स्तर पर भारी समर्थन भी मिला है. उन्हें अपने देश में संसद के समर्थन के अलावा दुनिया में अमेरिका की अगुआई में ब्रिटेन सहित यूरोपियन यूनियन, कनाडा, ब्राजील, अर्जेंटीना, कोलंबिया, ऑस्ट्रेलिया और इजराइल जैसे देश भी शामिल हैं. वहीं वर्तमान राष्ट्रपति मादुरो के समर्थन में देश की सेना और दुनिया में चीन, रूस, ग्रीस जैसे देश शामिल हैं. 

कौन हैं जुआन गुएडो
जुआन गुएडो वेनेजुएला की संसद नेशनल एसेंबली में विपक्षी के नेता है. उन्होंने एक महीने पहले ही खुद को देश का अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया था जिसके फौरन बाद अमेरिका ने गुएडो को मान्यता भी दे दी. वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सत्ता के खिलाफ जनवरी के अंतिम सप्ताह में विपक्ष की रैली में लोग सड़कों पर उतर आए. इस रैली में गुएडो ने खुद को देश का अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया. इसके बाद से वेनेजुएला में सत्ता संघर्ष बढ़ गया और उसके साथ ही यह ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दा भी बन गया. अब दुनिया की शक्तियां भी इस मामले में बंटी हुई हैं. पेशे से इंजीनियर गुएडो छात्र जीवन में राजनीति में आ गए थे. उन्होंने वर्तमान राष्ट्रपति मादुरो के गुरू ह्यूगो शावेज तक का विरोध किया था. वे 2015 में नेशनल असेंबली के लिए चुने गए और जल्दी ही विपक्षी दल के नेता भी चुन लिए गए. 

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मशहूर नेता लोपेज के नजदीकी हैं गुएडो
गुएडो वेनेजुएला के मशहूर विपक्षी नेता लियोपोल्डो लोपेज के 2014 से सहायक रहे हैं कहा जाता है कि गुएडो की सलाह पर ही लोपेज कदम उठाते रहे हैं.  लोपेज नेशनल असेंबली के नेतृत्व वाली पार्टी पॉपुलर विल पार्टी के नेता हैं. मादुरो इस पार्टी के कई नेता को देश निकाला कर चुके हैं. फिलहाल मादुरो सरकार ने लोपेज को नजरबंद किया हुआ है. 2017 में मादुरो ने संवैधानिक एसेंबली का गठन कियाऔर नेशनल एसेंबली के अधिकार छीन लिए थे. 

 
बिगड़ते जा रहे हैं हालात यहां
वेनेजुएला में दिन ब दिन अराजकता बढ़ती ही जा रही है. हाल ही में विदेश से मिलने वाली सहायता को राष्ट्रपति मादुरो की सेना ने रोका है जिसके बाद देश में एक बार  हिंसा भड़क उठी जब सेना सहायता के लिए खाद्य सामग्री से भरा एक ट्रक जला दिया. वहीं अमेरिका इस वेनेजुएला को गंभीरता से ले रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने वेनेजुएला की मादुरो सरकार पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. दुनिया भर के देशों से कहा है कि वे वेनेजुएला से तेल न खरीदें. इसमें भारत भी शामिल है क्योंकि भारत इस समय वेनेजुएला से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश है.  इसके अलावा सभी संभव रास्तों से इस देश में सहायता हेतु खाद्य सामग्री पहुंचाने की कोशिश की जा रही है जिसमें हवाई मार्ग से मदद का सामान गिराना भी शामिल है

fallback. फिलहाल वेनेजुएला के तेल उत्पादन तेजी से गिर रहा है. अमेरिका का दबाव राष्ट्रपति मादुरो ज्यादा दिन नहीं सकेंगे. जबकि देश में आंतरिक संघर्ष की खाई बढ़ने के साथ ही और ज्यादा हिंसात्मक होने लगा है. वहीं दुनिया भर के लोग अब भी इंतजार कर रहे हैं वेनेजुएला में जल्द से जल्द शांति स्थापित हो. 

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