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कीव: बीते आठ साल से रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच चल रहा संघर्ष अब जंग का रूप ले चुका है. दो देशों की लड़ाई से पूरी दुनिया डरी-सहमी है. क्योंकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन परमाणु हमले की धमकी दे चुके हैं. रूस को रोकने की सभी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं. पुतिन अपने फैसले को सही बता रहे हैं. हाल ही में उन्होंने दावा किया था कि रूसी और यूक्रेनी लोग एक हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स इससे सहमत नहीं हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों की उत्पति बेशक एक ही राज्य से हुई हो पर बीती नौ सदियों में यूक्रेन का अनुभव अलग रहा है. इसलिए ये कहना कि रूस और यूक्रेन के लोगों की जड़ें एक हैं, पूरी तरह सही नहीं है. ये कहानी 9वीं सदी में मौजूदा यूक्रेन की राजधानी कीव से शुरू होती है. कीव प्रथम स्लाविक साम्राज्य की राजधानी थी. इस राज्य का गठन स्कैंडिनेवियन कबीले ने किया था, जो स्वंय को रूस कहता था. यही महान मध्याकालीन राज्य बाद में कीएवियन रूस कहलाया. रूस और यूक्रेन दोनों का जन्म इसी साम्राज्य से हुआ है. 12वीं सदी में मॉस्को की स्थापना हुई. तब ये शहर कीएवियन रूस साम्राज्य की उत्तर-पूर्वी सरहद थी.
13वीं सदी में रूस राज्य के कई सूबों पर मंगोल साम्राज्य का कब्जा हो गया था, लेकिन 14वीं सदी में कमजोर होते मंगोल राज का फायदा मॉस्को और लिथुएनिया नाम के दो सूबों को हुआ. इन दोनों ने रूस को आपस में बांट लिया. कीव और इसके आस-पास के क्षेत्र पर लिथुएनिया सूबे का कब्जा हुआ. पश्चिमी यूक्रेन के एंड गैलिसिया या कारपेथिन गैलिसिया क्षेत्र पर हैब्सबर्ग साम्राज्य का राज रहा. उस इलाके में अब भी उस काल की सांस्कृतिक विरासत देखी जा सकती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, पश्चिमी यूक्रेन में कई लोग रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के अनुयायी नहीं है. वे ईस्टर्न कैथोलिक चर्च को मानने वाले हैं. ये मत पोप को अपना अध्यात्मिक गुरु मानती है.
17वीं सदी में लिथुएनिया-पोलैंड के राष्ट्रमंडल और रूस के जार सम्राटों के बीच युद्ध ने डनाइपर नदी के पूर्व के सारे इलाके रूस नियंत्रण में चले गए. यूक्रेन के लोग इस क्षेत्र को अपना मानते थे. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा यूक्रेन जहां है, उसके मध्य और उत्तर पश्चिमी इलाके में 17वीं शताब्दी में एक राज्य था, जिसे साल 1764 में रूस की साम्राज्ञी कैथरीन द ग्रेट ने विलय कर लिया. उन्होंने पोलैंड के अधिकार वाले यूक्रेन के इलाके पर भी अधिकार हासिल कर लिया. आने वाले सालों में एक नीतिगत आदेश के तहत यूक्रेन की भाषा के उपयोग और अध्ययन पर रोक लगा दी गई. आस्था को लेकर भी लोगों पर दबाव बनाया गया.
20 वीं सदी में रूस की क्रांति हुई और सोवियत संघ का गठन हुआ. सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति पर पोलैंड से पश्चिमी यूक्रेन का अधिकार हासिल कर लिया. 1950 के दशक में मॉस्को ने क्रीमिया को यूक्रेन के हवाले कर दिया. ये सोवियत संघ का ही हिस्सा था. इसके बाद सोवियत सरकार ने यूक्रेन पर रूस का प्रभाव थोपने की कोशिश की. कई बार यूक्रेन को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही थी. 1930 के दशक में सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन के लाखों लोग स्टालिन की ओर से जबरन थोपे गए अकाल की वजह से मारे गए. इसके बाद स्टालिन ने वहां बड़ी संख्या में सोवियत लोगों को बसाया. इनमें से कई यूक्रेनी भाषा नहीं बोल पाते थे.
दोनों देशों के इतिहास को समझने वालों का कहना है कि दबदबा भले ही रूसी भाषा का था लेकिन प्राइमरी स्कूल में बच्चे यूक्रेनी भाषा सीखते रहे. 20वीं सदी के दूसरे हिस्से में यूक्रेनी में शिक्षित लोगों के बीच एक राष्ट्रवादी अभियान शुरू हुआ. साल 1991 में सोवियत संघ बिखर गया और साल 1997 में रूस और यूक्रेन के बीच संधि हुई. इसके जरिए यूक्रेन की सीमाओं की अखंडता की पुष्टि हुई, लेकिन देश के अलग-अलग इलाकों में कई ऐसी खामियां रह गईं जिससे दरारें बनी रही. यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में लोगों के रूस के साथ गहरे रिश्ते हैं. यहां रहने वाले लोग रूसी भाषा बोलते हैं और रूढ़िवादी हैं. जबकि पश्चिमी हिस्से में पश्चिमी देशों का प्रभाव नजार आता है. यहां रहने वाले कैथलिक हैं और अपनी भाषा बोलते हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो रूस और यूक्रेन का जन्म भले ही एक राज्य से हुआ है, लेकिन दोनों की अपनी विरासत और इतिहास है. लिहाजा, पुतिन का ये कहना कि रूसी और यूक्रेनी लोग हैं, पूरी तरह सही नहीं.