किसने किया था ऐनी फ्रैंक के साथ विश्वासघात? 77 साल बाद मिल गया इस सवाल का जवाब
करीब 77 सालों से जिस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा था वो आखिरकार मिल गया है. जांच में उस व्यक्ति की पहचान हो गई है जिसने ऐनी फ्रैंक के साथ विश्वासघात किया था और उनके ठिकाने के बारे में सैनिकों को जानकारी दी थी.
बर्लिन: द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) की सबसे खौफनाक घटनाओं में ऐनी फ्रैंक के साथ हुआ विश्वासघात (Betrayal of Anne Frank) भी शामिल है. करीब 77 सालों से इस सवाल का जवाब खोजा जा रहा था कि आखिर फ्रैंक को धोखा किसने दिया, अब लगता है ये गुत्थी सुलझ गई है. खास तरह की वैज्ञानिक विधि से हुई जांच में एक यहूदी नोटरी की पहचान प्रमुख संदिग्ध के रूप में की गई है.
15 साल की उम्र में हो गई थीं शिकार
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, महज 15 साल की उम्र में नाजियों के अत्याचार का शिकार बनीं ऐनी फ्रैंक (Anne Frank) के ठिकाने का खुलासा एक यहूदी नोटरी ने अपने परिवार की जान बचाने के लिए किया था. यहूदी परिवार में जन्मीं फ्रैंक ने अपनी मौत से पहले डायरी लिखी थी. जिसमें उन्होंने नाजियों द्वारा यहूदियों पर किए गए अत्याचारों और जनसंहार का उल्लेख किया था. ये डायरी उनकी मौत के बाद प्रकाशित हुई. उनकी डायरी दुनिया की 10 सबसे ज्यादा पढ़ी गई किताबों में शामिल है और इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है.
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युद्ध के बाद पिता ने पूरी की अंतिम इच्छा
ऐनी फ्रैंक ने यह डायरी 1942 से 1944 के बीच लिखी, जब नाजियों से बचने के लिए उन्हें परिवार सहित एक गुप्त स्थान पर छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा था. फ्रैंक को अपने 13वें जन्मदिन पर उपहार के तौर पर लाल और सफेद चौखानों वाली एक डायरी मिली थी. जिसमें उन्होंने जर्मन सैनिकों द्वारा डच यहूदी लोगों के जीवन पर लगाए गए प्रतिबंधों और अत्याचारों का जिक्र किया. पत्रकार एवं प्रसिद्ध लेखिका बनने की इच्छा रखने वालीं फ्रैंक चाहती थीं कि उनके नाम पर एक किताब प्रकाशित की जाए. उनकी इस इच्छा को उनके पिता Otto Frank ने युद्ध समाप्त होने के बाद पूरा किया.
दो साल तक छिपी रही थीं Anne Frank
4 अगस्त, 1944 को ऐनी और सात अन्य यहूदियों को नाजियों ने खोज निकाला था. वे सभी एम्स्टर्डम में नहर के किनारे एक गुप्त स्थान में लगभग दो साल तक छिपे रहे थे. इसके बाद सभी को निर्वासित कर दिया गया और कथित तौर पर ऐनी की 15 साल की उम्र में बर्गन बेल्सन शिविर में मौत हो गई. कहा जाता है कि शिविर में उन्हें यातनाएं दी गई थीं. युद्ध के बाद इसका पता लगाने के लिए एक टीम का गठन किया गया कि ऐनी फ्रैंक के बारे में जानकारी किसने दी थी.
इस तरह निष्कर्ष पर पहुंची टीम
जांच टीम में अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के रिटायर्ड एजेंट विंसेंट पंकोक, 20 इतिहासकार, अपराध विशेषज्ञ और डेटा विशेषज्ञ शामिल थे. जांच में पता चला कि अर्नोल्ड वैन डेन बर्ग नाम के एक यहूदी व्यक्ति ने अपने परिवार को बचाने के लिए संभवतः नाजियों को एम्स्टर्डम में फ्रैंक्स के ठिकाने की जानकारी दी होगी. हालांकि, कुछ अन्य विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि अर्नाल्ड के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इन्वेस्टीगेशन पर केन्द्रित एक नई किताब के अनुसार, जांच के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया. ऐनी के पिता को वैन डेन बर्ग के नाम से जो पत्र भेजे गए थे, उन्हें एक खास तरह की विधि से पढ़ा गया. जिसके आधार पर ये माना जा रहा है कि इस विश्वासघात के पीछे वैन ही था. जांच से जुड़ी कनाडाई लेखक रोजमेरी सुलिवन की ये किताब मंगलवार को प्रकाशित की गई है.