Afghanistan की सेना ने Taliban के सामने क्यों किया सरेंडर? जानें Inside Story
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Afghanistan की सेना ने Taliban के सामने क्यों किया सरेंडर? जानें Inside Story

तालिबान (Taliban) का गढ़ बने कंधार प्रान्त में तैनात अफगान सैनिकों को दिन भर में खाने के लिए सिर्फ 5 रोटी और थोड़ी सी सब्ज़ी मिलती थी. जबकि सैनिकों की सेहत पर खर्च होने वाला बजट कागज़ों पर करोड़ों डॉलर का था.

तालिबानी फाइटर और अफगान आर्मी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: अमेरिकी सेना की वतन वापसी के 15 दिन बाद पूरा अफ़ग़ानिस्तान तालिबान के हाथों ढह सा गया. इस समय तालिबान का अफगानिस्तान की राजधानी समेत 34 में से 27 प्रान्तों पर पूर्ण कब्ज़ा है. अफगानिस्तान के इस समय दो-तिहाही हिस्से को तालिबान छिटपुट लड़ाई के साथ जीत चुका है. 75 हज़ार से कुछ ज्यादा तालिबानी लड़ाकों के सामने जिस तरह से अफगान सेना के 3 लाख से ज्यादा सैनिकों ने बिना जंग के हथियार डाले उससे पूरी दुनिया चकित है.

  1. अफगान सेना में फैला भ्रष्टाचार
  2. सैनिकों को नहीं मिलता खाना
  3. बगैर लड़े ही तालिबान के आगे पस्त

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा!

एक्सपर्ट का मानना है कि सिर्फ 10 दिनों में अफ़ग़ानिस्तान के 27 प्रान्तों पर कब्ज़ा करने वाले तालिबानी लड़ाकों को अफ़ग़ान सेना की तरफ से ज्यादा प्रतिरोध नहीं झेलना पड़ा और इसकी बड़ी वजह अफगानी सेना के बजट में सरकारी भ्रष्टाचार रहा. 

भारत में एक कहावत मशहूर है, 'भूखे पेट ना हो भजन गोपाला' यानी भूखे व्यक्ति में भगवान का भजन करने की हिम्मत भी नहीं रह सकती. ठीक इसी तरह अफगानिस्तान से साल 2020 में आई एक रिपोर्ट ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था. फ्रांस की एक निजी पत्रिका की उस समय की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में सैनिकों को ठीक ढंग से 3 टाइम का खाना तक नहीं नसीब होता था.

सेना में चरम पर भ्रष्टाचार

कई साल से तालिबान का गढ़ बने कंधार प्रान्त में तैनात सैनिकों को दिन भर में खाने के लिए सिर्फ 5 रोटी और थोड़ी सी सब्ज़ी मिलती थी. जबकि सैनिकों की सेहत पर खर्च होने वाला बजट कागज़ों पर करोड़ों डॉलर का था.

खाने के अलावा अफ़ग़ान सैनिको को फ़टे हुये जूते और फ़टी हुई वर्दी नसीब होती थी जिससे वो भीषण ठंड काटते थे. अफ़ग़ानिस्तान के सैनिकों की इन समस्याओं को कई बार अफ़ग़ानिस्तान के राजनेताओं ने सार्वजनिक मंच पर उठाया था. सितंबर  2017 में अफगानिस्तान के घोर प्रान्त के कमांडर जनरल जियाजिद्दीन ने इस मुद्दे को उठाते हुए बताया था कि उनके सैनिकों को मई 2017 से ठीक से तीन टाइम का खाना तक मिल रहा था. लेकिन सैनिकों को सही मात्रा में खाना देने के बजाए अफगानिस्तान की सरकार इसकी लीपापोती में लग गई और जनरल जियाजिद्दीन जैसे कमांडर की बात को दबा दिया गया.

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अफगानिस्तान में सैनिकों को ठीक से खाना ना मिलने की खबरों की जब अफगान में मौजूद पत्रकारों ने पड़ताल की तो पता चला कि स्थानीय कॉन्ट्रेक्टर सेना के कमांडरों को रिश्वत के दम पर या फिर डरा धमका कर खाने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करते थे. इसके बाद कम क्वालिटी का खराब खाना अफ़ग़ान सैनिकों को देकर जम कर मुनाफा कमाते थे. इस काले पैसे का बंटवारा ठेकेदारों से लेकर सेना के कमांडरों के बीच होता था.

सिर्फ कागजों पर दर्ज हैं सैनिक

अफगान सेना और भ्रष्टाचार का रिश्ता भी काफी पुराना है. पश्चिमी अफगानिस्तान के सैन्य इंटेलिजेंस प्रमुख जनरल मोहम्मद नईम गहयोर को साल 2011 में अफ़ग़ान सेना में भ्रष्टाचार पर एक चैनल को दिए इंटरव्यू के बाद अफगानिस्तान सरकार ने गिरफ्तार कर हिरासत में भेज दिया था.

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अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में अफगानिस्तान के 10 फीसदी सैनिक या तो दुर्घटना के कारण किसी काम के नहीं रहे या फिर नौकरी छोड़ कर भाग गए. इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अफगानिस्तान में हज़ारो ऐसे 'घोस्ट सोल्जर' थे जो सिर्फ कागज़ों पर बजट बढ़ाने के लिए और कमांडरों की जेब भरने के लिए थे. 

ऐसे में भ्रष्टाचार में समाई अफ़ग़ान सेना जहां सैनिकों के लिए खाने तक के लाले थे वहां तालिबान के खिलाफ उसके  सरेंडर पर किसी को चौंकने की जरूरत नहीं है.

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