नई दिल्ली: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने अब NATO देशों को Join करने की अपनी जिद छोड़ दी है और अब वो धीरे-धीरे रशिया की शर्तों को मानने के लिए तैयार हो रहे हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अगर उन्हें ये शर्तें माननी ही थीं तो उन्होंने यूक्रेन के लोगों को युद्ध में क्यों झोंका? रशिया ने युद्ध विराम के लिए जो 4 शर्तें रखी थीं, उन पर जेलेंस्की बात करने के लिए तैयार हो गए हैं.


NATO को टकराव से डर!


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जेलेंस्की ने कहा है कि वो अब इस बात को समझ चुके हैं कि NATO रशिया के साथ टकराव से डरता है और इसीलिए वो यूक्रेन को अपना सदस्य देश नहीं बनाना चाहता. इसलिए यूक्रेन ने तय किया है कि वो NATO देशों को Join करने के लिए कोई भीख नहीं मांगेगा. मतलब युद्ध विराम के लिए पुतिन ने जो पहली शर्त रखी थी, उस पर जेलेंस्की ने एक तरह से अपनी सहमति दे दी है.


दो देशों को आजाद करने के लिए तैयार रूस


रशिया ने दूसरी शर्त ये रखी थी कि जेलेंस्की, पूर्वी यूक्रेन के Donstek (दोनियस्क) और Luhansk (लुहांस्क) क्षेत्र को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे और जेलेंस्की इस पर भी बातचीत के लिए तैयार हैं.


क्राइमिया पर दावा छोड़े यूक्रेन


तीसरी शर्त थी, यूक्रेन, क्राइमिया पर रशिया के नियंत्रण को सैद्धांतिक मंजूरी दे और ये स्वीकार करे कि वो क्राइमिया पर कभी अपना दावा नहीं करेगा और इस मांग पर भी जेलेंस्की ने पुतिन से बात करने की सहमति जताई है.