सूत्रों का कहना है कि निचले सदन से बिल के पास होने के बाद अब आगे सिर्फ औपचारिकता बची है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलना तय है.
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नई दिल्ली: नेपाल के निचले सदन ने शनिवार को विवादित नक्शे को मंजूरी दे दी. नेपाल के निचले सदन में मानचित्र संशोधन विधेयक पास हो गया. इस विवादित मानचित्र में नेपाल ने भारत के कुछ हिस्सों को भी शामिल किया है. निचले सदन के बाद उच्च सदन से पास होने और फिर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा. सूत्रों का कहना है कि निचले सदन से बिल के पास होने के बाद अब आगे सिर्फ औपचारिकता बची है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलना तय है.
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को नेपाल के कई लोगों ने विवादित नक्शे को लेकर सावधान भी किया था. कहा था कि संविधान संशोधन बिल लाने पर भारत के साथ संबंध खराब हो सकते हैं. मगर उन्होंने इसकी परवाह नहीं की. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली के एक बयान का विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने खंडन किया है कि भारत ने नेपाल के साथ बातचीत की पहल नहीं की. दरअसल, संसद में सांसदों को सवालों का जवाब देते हुए नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत चीन के साथ बातचीत के लिए तैयार था, लेकिन नेपाल के प्रस्ताव की अनदेखी कर रहा था, जिससे वह हैरान रहे.
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भारत का ऑफर
सूत्रों के अनुसार नेपाल के विदेश मंत्री के बयान की पड़ताल की तो दावा गलत निकला. नेपाल के विदेश मंत्री का दावा निराधार है. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नेपाल के विदेश मंत्री के बयान के करीब एक सप्ताह पूर्व ही भारत ने नेपाल को विदेश सचिव लेवल की बातचीत का ऑफर दिया था. सूत्रों का कहना है कि भारत के इस प्रस्ताव पर नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने रुचि नहीं दिखाई. वह नक्शा विवाद पर लाए गए संविधान संशोधन विधेयक पर जरा भी पीछे हटने को तैयार नहीं थे. इसलिए नेपाल ने भारत की बातचीत की पहल को नहीं स्वीकारा. सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ओली ने भारत से बातचीत के बजाय यअपनी पार्टी में पोजीशन मजबूत करने के लिए नक्शे का बिल पास कराना ज्यादा जरूरी समझा.
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