नार्वे क्यों देता है नोबेल शांति पुरस्कार ?
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नार्वे क्यों देता है नोबेल शांति पुरस्कार ?

क्या आपने कभी सोचा है कि नार्वे की एक कमेटी नोबेल शांति पुरस्कार ओस्लो में ही क्यों देती है जबकि दूसरे नोबेल पुरस्कार स्वीडन की राजधानी में दिए जाते हैं ? सन् 1901 में जब से नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाने लगा , उसी समय से इसके संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के मुताबिक नार्वे की संसद स्टॉर्टिंग द्वारा नियुक्त पांच लोगों की कमेटी शांति पुरस्कार देती है। अल्फ्रेड नोबेल ने कभी इस रहस्य से पर्दा नहीं हटाया कि शांति पुरस्कार प्रदान करने का जिम्मा उन्होंने स्वीडिश संस्था को क्यों नहीं सौंपा।

स्टॉकहोम : क्या आपने कभी सोचा है कि नार्वे की एक कमेटी नोबेल शांति पुरस्कार ओस्लो में ही क्यों देती है जबकि दूसरे नोबेल पुरस्कार स्वीडन की राजधानी में दिए जाते हैं ? सन् 1901 में जब से नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाने लगा , उसी समय से इसके संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के मुताबिक नार्वे की संसद स्टॉर्टिंग द्वारा नियुक्त पांच लोगों की कमेटी शांति पुरस्कार देती है। अल्फ्रेड नोबेल ने कभी इस रहस्य से पर्दा नहीं हटाया कि शांति पुरस्कार प्रदान करने का जिम्मा उन्होंने स्वीडिश संस्था को क्यों नहीं सौंपा।

बहरहाल, इस बारे में कयास ही लगाए जाते रहे हैं। एक दलील है कि नोबेल ने नार्वे के देशभक्त और अग्रणी लेखक बोर्न्‍सत्जेर्ने बोर्नसन की हिमायत की थी। यह भी कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय शांति आंदोलन के समर्थन में वोट करने वाली किसी भी देश की पहली संसद स्टॉर्टिंग ही थी।

हो सकता है कि नोबेल ने स्वीडन-नार्वे यूनियन के भीतर नोबेल पुरस्कार संबंधी काम के बंटवारे का भी पक्ष लिया हो। यह भी कि, उन्हें यह डर रहा होगा कि शांति पुरस्कार की बेहद उच्च राजनीतिक प्रकृति को देखते हुए यह कहीं सत्ता राजनीति का एक औजार न बन जाए और शांति के हथियार के तौर पर इसकी महत्ता कम ना हो जाए।

नोबेल ने अपने वसीयत में लिखा, यह मेरी इच्छा है कि पुरस्कार देते वक्त उम्मीदवारों की राष्ट्रीयता नहीं देखी जाए। सुयोग्य उम्मीदवार को यह मिले ,चाहे वह स्कैंडिनेवियाई हो या नहीं। 20 वीं सदी में स्कैंडिनेवियाई क्षेत्र के आठ लोगों ने पुरस्कार जीता। इसमें स्वीडन के पांच, नार्वे के दो और डेनमार्क का एक पुरस्कार शामिल है। जारी

नामांकन और चयन प्रक्रिया में कमेटी को हमेशा एक सचिव का सहयोग मिला और 1904 में नार्वे नोबेल संस्थान की स्थापना के बाद से यही व्यक्ति संस्थान का निदेशक भी रहा। 1901 से नार्वे नोबेल कमेटी के फैसले के खिलाफ कई प्रदर्शन भी हुए और उसे कड़ी आलोचना का शिकार भी होना पड़ा। 10 दिसंबर को आयोजित किया जाने वाला शांति पुरस्कार समारोह एक लंबी चयन प्रक्रिया का समापन कार्यक्रम होगा। नियमों के मुताबिक, हर साल एक श्रेणी में अधिकतम तीन पुरस्कार विजेता हो सकते हैं। नार्वे की नोबेल कमेटी पूरी प्रक्रिया की शुरूआत नामांकन आमंत्रित करने से करती है और हर साल एक फरवरी तक आवेदन लिया जाता है।

नोबेल शांति पुरस्कार के वास्ते उम्मीदवारों का नामांकन कौन कर सकता है? नोबेल कमेटी के मौजूदा और पूर्व सदस्य तथा नोबेल संस्थान में सलाहकार, राष्ट्रीय असेंबली और सरकार के सदस्य, अंतर संसदीय यूनियन के सदस्य, स्थायी मध्यस्थता न्यायाधिकरण के सदस्य और दि हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और स्थायी अंतरराष्ट्रीय शांति ब्यूरो आयोग के सदस्य।

इसके अलावा इंस्टीट्यूट डे ड्रोइट इंटरनेशनल और विश्वविद्यालय के कानून, राजनीति विज्ञान, इतिहास और दर्शन के प्रोफेसर और नोबेल शांति पुरस्कार धारक भी नामांकन कर सकते हैं। योग्यता की समीक्षा के बाद उम्मीदवारों की एक अंतिम सूची बनायी जाती है।

पुरस्कार विजेताओं ने नामों की घोषणा आमतौर पर मध्य अक्तूबर में नोबेल इंस्टीट्यूट बिल्डिंग में शुक्रवार के दिन की जाती है और हर साल यह पुरस्कार दस दिसंबर को दिया जाता है । सन् 1896 की दस दिसंबर को ही अल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ था ।

 

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