बेलारूस के राष्ट्रपति के खिलाफ मीडिया भी मैदान में, ईमानदारी से काम नहीं करने देने का आरोप
बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको (Alexander Lukashenko) के खिलाफ चल रहे अभियान में अब मीडिया (Belarusian media) भी शामिल हो गया है. सोमवार को बड़े पैमाने पर मीडियाकर्मी हड़ताल पर रहे.
मिंस्क: बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको (Alexander Lukashenko) के खिलाफ चल रहे अभियान में अब मीडिया (Belarusian media) भी शामिल हो गया है. सोमवार को बड़े पैमाने पर मीडियाकर्मी हड़ताल पर रहे. मीडियाकर्मियों का कहना है कि जब तक उसकी मांगों को नहीं माना जाता कोई भी काम पर वापस नहीं लौटेगा. मीडिया की मांगों में प्रमुख रूप से नए सिरे से राष्ट्रपति चुनाव कराना और टेलीविजन सेंसरशिप (Television Censorship) हटाना है. सरकार का समर्थन करने वाले राष्ट्रीय चैनल ‘बेलारूस वन’ के लगभग 300 कर्मचारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि वे सरकारी प्रचार मशीनरी बनकर काम नहीं कर सकते. ‘बेलारूस वन’ में कुल 2000 कर्मचारी हैं.
बेलारूस में राष्ट्रपति के खिलाफ गुस्सा बढ़ा
इस्तीफा देने वालों में शामिल डॉक्यूमेंट्री निर्माता केसनिया लुटस्किना (Kseniya Lutskina) ने कहा, ‘अधिकांश पत्रकारों का कहना है कि अगर वो इमानदार पत्रकारिता नहीं कर सकते, तो वह काम ही नहीं करेंगे’. उन्होंने कहा कि पत्रकारों के लिए समस्या यह है कि देश में कोई दूसरा स्वतंत्र मीडिया हाउस नहीं है, लगभग सभी सरकार के नियंत्रण में है. राष्ट्रपति चुनाव से पहले भी कुछ पत्रकारों को यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें वर्तमान माहौल में घुटन महसूस होती है. विशेष संवाददाता एलेक्जेंडर लुकनोक (Alexander Luchonok) भी उनमें से एक हैं. सरकार हालात को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन बेलारूस में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. सोमवार को एक सरकारी फैक्ट्री में राष्ट्रपति के खिलाफ नारेबाजी भी हुई थी. रविवार को भी कई कारखानों के कर्मचारियों ने काम बंद रखा था.
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चुनाव में धांधली का आरोप
दरअसल, बेलारूस में पिछले हफ्ते हुए चुनाव में राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको को 80 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन लोगों का कहना है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली की गई. इसी को लेकर पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. राजधानी मिंस्क में रविवार को करीब एक लाख लोगों ने सड़कों पर उतरकर राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की थी. मौजूदा माहौल को देखते हुए आने वाले दिनों में विरोध-प्रदर्शनों में तेजी की संभावना है.
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