Dangerous Fish: ये है दुनिया की सबसे खतरनाक मछली, सायनाइड से 1200 गुना जहरीली, ले सकती है 30 लोगों की जान!
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Dangerous Fish: ये है दुनिया की सबसे खतरनाक मछली, सायनाइड से 1200 गुना जहरीली, ले सकती है 30 लोगों की जान!

आमतौर पर मछली को पौष्टिक आहार माना जाता है और नॉनवेज खाने वाले इसे जमकर खाते हैं. डॉक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ मछलियां इतनी खतरनाक होती हैं जिन्हें खाने के बारे में आप सोच भी नहीं सकते.

रहस्यमयी मछली

Mysterious Fish found Near Britain Sea: आमतौर पर मछली को पौष्टिक आहार माना जाता है और नॉनवेज खाने वाले इसे जमकर खाते हैं. डॉक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ मछलियां इतनी खतरनाक होती हैं जिन्हें खाने के बारे में आप सोच भी नहीं सकते. ये इतनी खतरनाक होती हैं कि आपकी जान तक जा सकती है. ब्रिटेन के समुद्र तट पर ऐसी ही एक खतरनाक मछली मिली है. यह मछली, सायनाइड (Cyanide) से 1,200 गुना ज्यादा जहरीली होती है. मालूम हो कि सायनाइड को दुनिया के सबसे खतरनाक जहर में गिना जाता है. इसको लेने के बाद कुछ ही सेकेंड में ही इंसान की मौत हो सकती है.

परिवार के साथ घूमने के दौरान दिखी मछली

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के समुद्र तट पर मिली इस मछली का नाम Oceanic Puffer है. टेट्राओडोंटिडे (Tetraodontidae) प्रजाति की यह मछली बहुत ही खतरनाक होती है. इस मछली को समुद्री जीवों की खोज करने वाली कॉन्स्टेंस मॉरिस ने देखा था. वह परिवार के साथ घूम रही थीं, तभी अचानक उनकी नजर समुद्र किनारे पड़े एक अजीब से जीव पर पड़ी. इसके बाद उन्होंने नजदीक जाकर चेक किया तो वह Oceanic Puffer नामक जहरीली मछली निकली.

12 इंच की है इस मछली की लंबाई

कॉन्स्टेंस मॉरिस ने इस मछली को देखने के बाद इसके बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि इस मछली की लंबाई करीब 12 इंच लंबी थी. इसके दांत भी अलग थे जो चोंच की तरह दिखाई देते थे. मछली का चेहरा भी देखने में काफी डरावना है.

अकेले 30 लोगों की ले सकती है जान

एक्सपर्ट बताते हैं कि इस अकेली मछली में इतना जहर होता है कि वह 30 वयस्कों की जान ले ले. इसके जहर से बचने के लिए कोई दवाई भी नहीं है. यही वजह है कि एक्सपर्ट इस जहरीली मछली से दूर रहने और टच न करने की सलाह देते हैं. विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि यह मछली दुर्लभ मौकों पर ही ब्रिटिश तटों पर मिलती है. यह आमतौर पर महासागरों में 10 से 475 मीटर की गहराई पर पाई जाती है.

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