VIDEO: 60 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है यह यूट्यूब चैनल, आखिर क्या है खास?
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VIDEO: 60 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है यह यूट्यूब चैनल, आखिर क्या है खास?

जरा सोचिए क्या हो अगर आप एक अनजाने जंगल या किसी निर्जन द्वीप पर अकेल हों. आप कैसे जिंदा रह पाएंगे? ऐसी ही परिस्थितियों पर आधारित एक यूट्यूब चैनल 'प्रीमिटिव टेक्नालॉजी' बहुत लोकप्रिय हो रहा है.

फोटा साभार: यू ट्यूब (प्रीमिटिव टेक्नालॉजी)

नई दिल्ली: आज टेक्नालॉजी ने हमारी दुनिया को एकदम बदल दिया है. नए-नए गैजेट्स और मशीनों की मदद से बड़े से बड़े काम चुटकियों में हो सकते हैं, लेकिन जरा सोचिए क्या हो अगर आप एक अनजाने जंगल या किसी निर्जन द्वीप पर अकेल हों. आप कैसे जिंदा रह पाएंगे? ऐसी ही परिस्थितियों पर आधारित एक यूट्यूब चैनल 'प्रीमिटिव टेक्नालॉजी' बहुत लोकप्रिय हो रहा है और अब तक इसके वीडियो को 60 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है और 'टाइल्ड रूफ हट' नाम के एक वीडियो को करीब साढ़े पांच करोड़ लोग देख चुके हैं. 

 

प्रीमिटिव टेक्नालॉजी चैनल का मकसद गुजर-बरस करने के लिए आदिम तकनीक पर निर्भर होना है. इसके वीडियो में दिखाया जाता है कि किस तरह आदिमकाल में इंसान रहता था और लगभग उन्हीं परिस्थितियों में रोजमर्रा के सभी जरूरी काम करने के वीडियो ही इस चैलन में अपलोड किए जाते हैं. लगभग 15 मिनट के इन वीडियो में आधुनिक दुनिया की कोई छाप नहीं होती है. 

सुपर हिट वीडियो 
'टाइल्ड रूफ हट' नाम के सबसे अधिक देखे गए वीडियो में एक व्यक्ति किसी आधुनिक टेक्नालॉजी या आधुनिक साधन के बिना मिट्टी की टाइल्स तैयार करके एक सुंदर सी झोपड़ी तैयार करता है. इसमें इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी भी लोहे की न होकर पत्थर की है. इस कुल्हाड़ी की मदद से लकड़ी काटकर झोपड़ी का ढांचा तैयार किया गया है. फिर लकड़ी के फ्रेम में ही मिट्टी की टाइल्स पकाकर उनकी मदद से एक सुंदर सी झोपड़ी बनाई गई है.

ये झोपड़ी ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में जॉन प्लांट ने तैयार की है. जॉन प्लांट को प्रीमिटिव टेक्नालॉजी की दुनिया में स्टार माना जाता है. ये इस विषय के सबसे सफल यूट्यूबर हैं. उन्होंने बीबीसी न्यूज को बताया, 'मैंने इस तरह के काम 11 साल की उम्र से शुरू कर दिए थे. मैं अपने घर के पास इस तरह झोपड़ी तैयार करता था.' बाद में वो इस विषय पर फिल्में बनाने लगे. अब इस यूट्यूब चैनल से ही उनका खर्चा चलता है. इस चैनल की शुरुआत 2015 में हुई थी. 

आखिर क्यों लोकप्रिय हैं ये वीडियो

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के प्रोफेसर आर्ट मार्कमैन ने बीबीसी को बताया, 'इसकी लोकप्रियता के दो पहलू हैं. पहला हमें ये ऐहसास होता है कि हम किसी बाहरी मदद के बिना भी सर्वाइव कर सकते हैं. दूसरा हम एक अनिश्चितता भरी दुनिया में जी रहे हैं, ऐसे में ये वीडियो हमें आत्मनिर्भरता का एहसास कराते हैं.'

जॉन प्लांट बताते हैं कि कई लोगों को उनके वीडियो देखकर लगता है कि वो इस तरह आदिम जिंदगी बिताते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने बताया, 'वो आधुनिक घर में रहते हैं और आम इंसान जैसा ही खाना खाते हैं. हालांकि मैं वर्षों से आदिम तकनीक का अभ्यास कर रहा हूं, जब किसी को पता भी नहीं चलता था. अब अंतर इतना है कि अब मेरे पास एक कैमरा भी है, जो मेरे हर टास्क को कैद कर लेता है.'

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