ZEE जानकारी: लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हिंसक विरोध प्रदर्शन का एक विश्लेषण
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ZEE जानकारी: लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हिंसक विरोध प्रदर्शन का एक विश्लेषण

21वीं सदी में धरना प्रदर्शन की आत्मा में, दूषित विचारों और आतंकवाद के समर्थकों वाला Virus फैल गया है. और इसी दूषित सोच की तस्वीर कल London की सड़कों पर दिखाई दी.

ZEE जानकारी: लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हिंसक विरोध प्रदर्शन का एक विश्लेषण

अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति Thomas Jefferson का कहना था...When Injustice Becomes Law, Resistance Becomes Duty...यानी जब नाइंसाफी करना.. क़ानून बन जाए... तो विरोध करना हमारा कर्तव्य बन जाता है. धरना प्रदर्शन भी विरोध करने का एक ऐसा ही तरीका है. लेकिन 21वीं सदी में धरना प्रदर्शन की आत्मा में, दूषित विचारों और आतंकवाद के समर्थकों वाला Virus फैल गया है. और इसी दूषित सोच की तस्वीर कल London की सड़कों पर दिखाई दी.

सबसे पहले आपको बताते हैं कि London में क्या हुआ ? वहां पाकिस्तान समर्थित हिंसक भीड़ ने भारतीय उच्चायोग के बाहर हिंसक विरोध प्रदर्शन किया. जब भारतीय मूल के लोग पूरी शांति से स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे थे. तभी वहां पाकिस्तानी मूल के प्रदर्शनकारी और खालिस्तानी समर्थक, भारत विरोधी नारेबाज़ी करने लगे . वे लोग भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर रहे थे. कश्मीर के मुद्दे पर भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी दे रहे थे. वहां भारत के तिरंगे का अपमान किया गया. भारत विरोधी PLACARDS लहराए गए. पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की गई. भारतीय उच्चायोग पर पथराव की घटना हुई. 

और जब नारेबाज़ी और आपत्तिजनक टिप्पणी से मन नहीं भरा, तो पाकिस्तान के इशारे पर इकट्ठा हुई भीड़ ने, भारतीय मूल के लोगों पर हमले भी किए. भारत के नागरिकों पर अंडे और जूते फेंके गए. उन्हें शीशे के Bottles से चोट पहुंचाई गई. उनपर Water Bottles से हमला किया गया. उन्हें Lighter फेंकर घायल करने की कोशिश की गई. और उनके शरीर पर गर्म कॉफी भी फेंकी गई.

पाकिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायोग से बाहर निकलने वाले रास्ते को Block कर रखा था. जिसकी वजह से भारतीय मूल के कई नागरिकों को उच्चायोग में छिपकर अपनी जान बचानी पड़ी. इस मामले में हज़ारों प्रदर्शनकारियों में से सिर्फ चार लोगों को हिरासत में लिया गया. 

सवाल ये है कि क्या इसके पीछे कोई साज़िश थी ? हां, ये हिंसक प्रदर्शन एक सोची समझी रणनीति थी. जिसके तहत पाकिस्तान समर्थित भीड़ का इरादा, भारत विरोधी नारेबाज़ी के अलावा, भारतीय मूल के नागरिकों को चोट पहुंचाने का था. ये तस्वीर इस बात की गवाही देती है. London पुलिस के एक अधिकारी के हाथ में मौजूद ये धारदार हथियार, भीड़ में शामिल पाकिस्तान समर्थित प्रदर्शनकारी का था.

अब सवाल ये है, कि London में भारतीय उच्चायोग के बाहर इतनी बड़ी संख्या में हिंसक भीड़ इकट्ठा कैसे हो गई ? इन लोगों को इतने संवेदनशील इलाके में जाने की इजाज़त किसने दी ? क्या भारत विरोधी प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान और ब्रिटेन ने आपस में हाथ मिला लिया था ? इस हिंसक प्रदर्शन में पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक और London के Mayor, Sadiq Khan की क्या भूमिका थी ? 

खास बात ये है कि सादिक खान अपने पाकिस्तानी विचारों के लिए जाने जाते हैं .और सबसे बड़ी बात ये है, कि क्या इस भीड़ को सीधे पाकिस्तान से निर्देश मिल रहे थे ? क्योंकि, इस हिंसक भीड़ को उकसाने वाला व्यक्ति इमरान ख़ान का बेहद क़रीबी है. इस व्यक्ति का नाम है, Sayed Bukhari...जो इमरान ख़ान के Special Assistant हैं. और विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों से जुड़े विषयों पर इमरान ख़ान को सलाह देते हैं. 

आज हमने एक-एक करके इन सभी सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश की है. लेकिन उससे पहले तस्वीरों की मदद से आपको ये देखना चाहिए, कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर पाकिस्तानी मूल के लोगों और खालिस्तानी समर्थकों ने किस प्रकार London की सड़कों पर वैचारिक आतंकवाद फैलाया. हमने इन तस्वीरों के कुछ हिस्सों को Edit किया है. क्योंकि, उसमें भारत और हमारे देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी का इस्तेमाल किया गया है. 

इसके बावजूद हम चाहेंगे, कि आप ये तस्वीरें देखिए. 
हम अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करने वाले और पाकिस्तान के प्रति अपनी श्रद्धा रखने वाले भारतीयों से भी अपील करेंगे, कि वो भी ये हिंसक तस्वीरें ध्यान से देखें. और सोचें, कि कहीं वो भारत के खिलाफ एजेंडा चलाकर, जाने-अनजाने पाकिस्तान की मदद तो नहीं कर रहे.

इन तस्वीरों को देखने के बाद क्या इसे Protest या विरोध की श्रेणी में रखा जा सकता है ? 

किसी घटना, नीति या परिस्थिति को लेकर आवाज़ उठाने को 'विरोध' करना कहते हैं.

लेकिन भारतीय उच्चायोग के बाहर मौजूद हिंसक भीड़, किसी के अधिकार के लिए आवाज़ नहीं उठा रही थी. बल्कि, उनकी मंशा कश्मीर के नाम पर नफरत फैलाकर, भारत की आत्मा को चोट पहुंचाने का था. अब ये देखिए, कि इस हिंसक प्रदर्शन की Script कब, कैसे और कहां लिखी गई थी ? इसकी शुरुआत उसी दिन हो गई थी, जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और उसे केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला लिया था. 

इसके बाद 14 अगस्त, यानी पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के दिन इमरान ख़ान ने PoK में खड़े होकर खुद को कश्मीर का Brand Ambassador बताया था. और कहा था, कि वो पूरी दुनिया में भारत विरोधी कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे.

14 अगस्त को इमरान ख़ान ये बात कहते हैं. और इसके अगले ही दिन यानी 15 अगस्त को London में भारतीय उच्चायोग के बाहर भारत विरोधी हिंसक प्रदर्शन शुरु हो जाते हैं. 

और इसके मुख्य प्रायोजक होते हैं, इमरान ख़ान के Special Assistant, Sayed Bukhari....जो ना सिर्फ भीड़ को उकसाने का काम करते हैं. बल्कि भारत विरोधी बयानबाजी करते हुए, London की सड़कों पर कश्मीर वाला एजेंडा चलाते हैं.

अब इस विरोध प्रदर्शन के एक और किरदार पर नज़र डालते हैं. वो हैं, London के Mayor, Sadiq Khan...जो पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं. सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या इस प्रदर्शन को उनका मौन समर्थन हासिल था.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित हिंसक भीड़ Birmingham और Nottingham जैसे शहरों से आई थी. और उन्हें बाकायदा CHARTERED BUSES से लेकर आया गया था. लेकिन उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की गई. और भारतीय उच्चायोग के बाहर हज़ारों की भीड़ इकट्ठा हो गई.

नियमों के मुताबिक ब्रिटेन की पुलिस को किसी भी विरोध प्रदर्शन से 6 दिन पहले सूचित करना अनिवार्य होता है. अगर किसी प्रदर्शन के लिए अचानक फैसला लिया जाए. तो भी पुलिस को बताना आवश्यक है.

प्रदर्शन कहां और कब होने हैं, इसकी जानकारी देनी होती है. प्रदर्शनकारी विरोध प्रदर्शन के लिए किस Route का इस्तेमाल करेंगे, ये बताना होता है. 

Organisers को अपना नाम और पता बताना होता है.

London की पुलिस के पास ये शक्ति होती है, कि वो प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या, तय कर सकती है. यानी कितने लोग प्रदर्शन का हिस्सा होंगे. 

प्रदर्शन की वजह से अगर लोगों के चलने-फिरने की जगह बाधित होती है या ट्रैफिक में रुकावट होती है, तो पुलिस ऐसे प्रदर्शनों को रोक सकती है. 

लेकिन कल London में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

Scotland Yard के मुताबिक, उन्हें इस प्रदर्शन के बारे में पहले से पता था. उन्हें ये भी मालूम था, कि इस प्रदर्शन में हज़ारों की संख्या में पाकिस्तान समर्थित भीड़ और खालिस्तानी समर्थक इकट्ठा होंगे. लेकिन, रिपोर्ट्स के मुताबिक, हज़ारों की भीड़ को काबू में करने के लिए 200 से थोड़े ज़्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.

London की पुलिस वहां के Mayor पाकिस्तानी मूल के Sadiq Khan के अधीन आती है. इसीलिए, Sadiq Khan की भूमिका पर प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं. और ये पूछा जा रहा है, कि क्या उन्होंने गुप्त तरीके से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित हिंसक प्रदर्शन का समर्थन किया. जिस वक्त पाकिस्तानी और खालिस्तानी समर्थक हिंसक प्रदर्शन कर रहे थे....उस वक्त London के मेयर कहीं और व्यस्त थे.

वो Twitter पर प्रीमियर लीग फुटबॉल को Promote कर रहे थे.

Brexit के विषय पर लिख रहे थे.

NATIONAL HOLOCAUST MEMORIAL बनाने के लिए कैम्पेन कर रहे थे.

London में सोमाली समुदाय के लोगों की भागीदारी का ज़िक्र कर रहे थे.

इस विषय पर अंतर्राष्ट्रीय News Channel, WION ने London में वहां के Mayor के ऑफिस पर प्रतिक्रिया मांगी. और अब से थोड़ी देर पहले उन्होंने हिंसक प्रदर्शन पर अपनी सफाई दी है. और कहा है, कि London के Mayor शांतिपूर्ण और कानूनी तरीके से किए गए विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हैं. और भारतीय उच्चायोग के बाहर हुए हिंसक प्रदर्शन की निंदा करते हैं. 

दिलचस्प बात ये है, कि उनके कार्यालय ने इस घटना की ज़िम्मेदारी London की Metropolitan Police पर डालने की कोशिश की है. जबकि, ब्रिटेन के नियमों के मुताबिक London की Metropolitan Police सीधे तौर पर वहां के मेयर के अधीन काम करती है.

वैसे, सादिक ख़ान ने अपनी प्रतिक्रिया खुद से नहीं दी. बल्कि जब WION ने उनसे प्रतिक्रिया लेनी चाही, तब जाकर उनके Office ने उनकी तरफ से सफाई दी. सादिक ख़ान ने भारतीय मूल के नागरिकों की सुरक्षा तो छोड़िए, उन्होंने, उनके पक्ष में एक शब्द नहीं कहा. लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं होगी. क्योंकि, वो ब्रिटेन की Labour Party के नेता हैं. 

और Labour Party के मुखिया कश्मीर और भारत के संदर्भ में क्या राय रखते हैं, ये उनके इस Tweet से ज़ाहिर है. 11 अगस्त को किए इस Tweet में Jeremy Corbyn ने कश्मीर के हालात पर चिंता जताई थी. और कहा था, कि वहां पर मानव अधिकारों का हनन हो रहा है. जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. यानी London में बैठे-बैठे Labour Party का मुखिया कश्मीर के विषय पर दुष्प्रचार कर रहा है.

ये लोग सबके साथ मिलकर चलने की बात तो करते हैं. लेकिन जब भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों पर हमले होते हैं, तो इनकी समावेशी सोच गायब हो जाती है. ऐसे में ये सवाल भी उठ रहे हैं, कि क्या अब ब्रिटेन में भी धर्म विशेष के नाम पर राजनीति शुरु हो गई है. क्या ब्रिटेन, भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों के लिए सुरक्षित नहीं रहा ? London की कुल आबादी में 13 फीसदी लोग मुस्लिम समुदाय के हैं. यानी ब्रिटेन में रहने वाले एक चौथाई मुसलमान London में रहते हैं. 

पूरे ब्रिटेन में 18 लाख से ज़्यादा भारतीय मूल के नागरिक रहते हैं. जबकि पाकिस्तानी मूल के नागरिकों की संख्या 12 लाख के आस-पास है. लेकिन Labour Party के नेताओं के Tweets देखकर ऐसा लगता है, कि उनके मन में भारत और कश्मीर विरोधी सोच ने घर कर रखा है. और अब वो राजनीतिक तुष्टीकरण के नाम पर हिंसा को भी मौन समर्थन दे रहे हैं.

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