ZEE जानकारी: ईरान ने मार गिराया अमेरिका का ड्रोन
अमेरिका और ईरान के बीच एक बहुत बड़ा युद्ध होते-होते रह गया. वो भी पानी को लेकर नहीं. बल्कि ईरान द्वारा अमेरिका के जासूसी ड्रोन को मार गिराए जाने को लेकर.
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DNA में हमने कई बार ये बात कही है कि अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर हो सकता है. इसी बीच हमारे पास ये ख़बर भी आई है, कि अमेरिका और ईरान के बीच एक बहुत बड़ा युद्ध होते-होते रह गया. वो भी पानी को लेकर नहीं. बल्कि ईरान द्वारा अमेरिका के जासूसी ड्रोन को मार गिराए जाने को लेकर.
अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump ने गुरुवार को ईरान पर जवाबी सैन्य कार्रवाई की अनुमति दे दी थी. और इसकी एक मुख्य वजह थी, इस ड्रोन की क़ीमत. ईरान ने जिस ड्रोन को मार गिराया, उसका नाम है, RQ-4A Global Hawk..और एक RQ-4A Global Hawk की क़ीमत 12 सौ करोड़ रुपये से ज़्यादा है. अमेरिका जैसे देश के लिए ये एक बहुत बड़ा नुकसान है. इसीलिए Trump ने जवाबी कार्रवाई का मन बनाया. लेकिन उन्होंने आखिरी समय में अपना मन बदल लिया.
अब से थोड़ी देर पहले डॉनल्ड ट्रम्प ने Tweet करके हमला ना करने की वजह बताई है. उन्होंने कहा है, कि अमेरिका, ईरान के 3 ठिकानों पर हमले के लिए तैयार था. लेकिन, जब उन्होंने अपने जनरल से पूछा कि कितने लोग मारे जाएंगे ? तो, जनरल ने जवाब दिया, डेढ़ सौ लोग. और हमले से ठीक 10 मिनट पहले ट्रम्प ने ऑपरेशन को रोक दिया. Trump ने हमले का इरादा क्यों और कैसे बदला, इसे समझने से पहले आपको ये पता होना चाहिए, कि हुआ क्या था ?
गुरुवार सुबह ईरान की Islamic Revolutionary Guard Corps ने कहा कि उसने अमेरीका के एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया है. ईरान का दावा था, कि अमेरीका के एक मानवरहित विमान ने उसकी वायुसीमा का उल्लंघन किया था.
बाद में अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने भी ड्रोन को मार गिराए जाने की पुष्टि की थी. और कहा था, कि ईरान ने ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से उसके RQ-4A Global Hawk ड्रोन को मार गिराया है.
अपना पक्ष रखते हुए अमेरिका ने ये भी कहा, कि उसका ड्रोन अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में था. ना कि ईरान की वायुसीमा में. हालांकि, ईरान का दावा ठीक इसके विपरीत है. उसके मुताबिक, अमेरिकी ड्रोन उसकी वायुसीमा में था.
अमेरिका और ईरान, दोनों ही देशों के बीच पिछले कुछ समय से हालात अच्छे नहीं हैं. और ऐसी ख़बरें थीं, कि अमेरिका ने कुछ समय पहले ही ईरान पर हवाई हमला करने का इरादा कर लिया था. और सर्विलांस के लिए उसने अपना ड्रोन, ईरान की वायुसीमा में भेजा था. अमेरिका को लगता था कि ईरान की सेना कमज़ोर है. और उनके पास अच्छे हथियार नहीं है. अमेरिका का अनुमान था कि ईरान की सेना की ट्रेनिंग कम है.
उसके लिए ईरान को तबाह करना सिर्फ एक दिन का काम है. लेकिन, जैसे ही ईरान ने उसके ड्रोन को मार गिराया, अमेरिका को पीछे हटना पड़ा. ऐसा क्यों हुआ, ये जानना भी आपके लिए दिलचस्प होगा. लेकिन उससे पहले ये देखिए, कि गुरुवार सुबह Donald Trump ने क्या कहा था ? इसके बाद हम आपको ये बताएंगे, कि रात होते-होते Trump का इरादा क्यों बदल गया ?
Trump ने ईरान के खिलाफ Military Strikes की अनुमति दे दी थी.
शाम 7 बजे तक अमेरिका के सैन्य अधिकारी और Diplomatic Officials, हमले की उम्मीद कर रहे थे.
ईरान के कई ठिकानों पर हमला होना था. इसके लिए अमेरिकी विमान और युद्ध पोत दोनों तैयार थे.
लेकिन अमेरिका की तरफ से कोई मिसाइल नहीं दागी गयी. क्योंकि White House से Stand Down का आदेश आया था.
सैन्य भाषा में Stand Down का मतलब हुआ, युद्ध की तैयारियों और हमले की स्थिति में शांत हो जाना.
कहा जा रहा है कि हमला ना करने का फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि अमेरिका के पास Logistics की समस्या थी. और रणनीति भी तैयार नहीं थी.
हालांकि, इसका एक दूसरा पहलू ये है कि अमेरिका को ईरान की ताकत का अंदाज़ा हो गया था.
अमेरिका का RQ-4A Global Hawk ड्रोन, ढाई लाख घंटों से ज़्यादा Flight Hours दे चुका है. यानी इतनी देर तक ये ड्रोन हवा में उड़ान भर चुका है. इराक, अफगानिस्तान, उत्तरी अफ्रीका और Asia-Pacific Region में ये अमेरिका का ब्रह्मास्त्र था.
लेकिन इस ड्रोन को ईरान की जिस Khor-dad Missile Defense System ने मार गिराया है, उसे ईरान ने खुद बनाया है. और उसे इसी महीने अपनी सेना में शामिल किया है.
हालांकि, तकनीक के मामले में अमेरिका खुद को सबसे बेहतर समझता है. और उसे लगता था, कि ईरान जैसा देश कभी भी इस तरह का Missile Defense System नहीं बना सकता है. और अमेरिका के आधुनिक ड्रोन बड़ी आसानी से ईरान की वायुसीमा में प्रवेश करके वापस आ सकते हैं.
लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अमेरिकी ड्रोन, हमले के वक्त 65 हज़ार फीट की ऊंचाई पर था. लेकिन ईरान ने जिस Missile Defense System से उसे हवा में तबाह किया, वो 81 हज़ार फीट की ऊंचाई पर मौजूद विमानों को मार सकता है.
जैसा कि हमने आपको पहले बताया. एक RQ-4A Global Hawk ड्रोन की क़ीमत 12 सौ करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है.
और ये अमेरिका के सबसे Advanced Fighter Jet, F-35 A से क़रीब 500 करोड़ रुपये महंगा है.
और यही वजह है, कि अमेरिका सदमे में है. उसे समझ में नहीं आ रहा है कि ईरान के Missile Defense System ने उसके आधुनिक ड्रोन को कैसे मार गिराया.
इस बीच अमेरिका ने अपने विमानों के ईरान और ओमान की खाड़ी से होकर गुज़रने पर रोक लगा दी है. दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका के Federal Aviation Administration ने ये फैसला लिया है. इसका मतलब ये हुआ, कि अमेरिका जाने वाला कोई भी विमान, ईरान या उसके द्वारा कंट्रोल की जाने वाली वायुसीमा का इस्तेमाल नहीं करेगा.
Lufthansa, British Airways और नीदरलैंड्स की KLM Airline ने अभी से इसका पालन करना शुरु कर दिया है. और इसका असर सिर्फ विदेशी नागरिकों पर ही नहीं, भारतीय नागरिकों पर भी पड़ेगा.
ऐसे विमान दिल्ली और मुंबई से होते हुए अमेरिका या ब्रिटेन जाएंगे. तो Cost बढ़ जाएगी.
आम तौर पर दिल्ली से लंडन पहुंचने में एक फ्लाइट 9 घंटे का वक्त लेती है.
अगर ईरान की वायुसीमा का इस्तेमाल ना किया जाए, तो विमानों को दूसरा Route लेना पड़ेगा. और विमान का कुल Flight Time क़रीब 12 घंटे हो जाएगा.
तीन घंटे बढ़ने का मतलब ये हुआ, कि विमान के किराए भी बढ़ेंगे.