बालाकोट में कामयाब सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद भारतीय वायुसेना अपनी मारक क्षमता को Next Level पर ले जाना चाहती है.
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कोई ग़लती से सीखे तो उसे समझदार कहते हैं और जो कामयाबी से सीख लेकर आगे की योजनाएं बनाए, उसे बुद्धिमान कहा जाता है. भारतीय वायु सेना इसी श्रेणी में आती है. बालाकोट में कामयाब सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद भारतीय वायुसेना अपनी मारक क्षमता को Next Level पर ले जाना चाहती है. आज हम बालाकोट एयरस्ट्राइक से जुड़ी ऐसी दो बातें आपको बताएंगे जो पाकिस्तान के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने का काम करेंगी. 26 फरवरी को हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने इस पर पर्दा डालने की कई बार कोशिश की. लेकिन सत्य कभी छिपता नहीं है.
इटली की award winning पत्रकार Francesca Marino ने बालाकोट air strike पर एक रिपोर्ट तैयार की है. ये रिपोर्ट आज पाकिस्तान को शर्म से पानी-पानी कर देगी. पाकिस्तान अब तक इस बालाकोट air strike में किसी भी आतंकवादी के मरने की बात से इनकार करता रहा है. लेकिन इस Italian पत्रकार का दावा है कि भारत के इस हमले में कम से कम 130 से 170 आतंकवादी मारे गये थे. मैरिनो ने स्थानीय सूत्रों के हवाले से बताया है कि हमले में घायल क़रीब 45 आतंकवादियों का अब भी इलाज चल रहा है. जबकि 20 आतंकवादियों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है. मारे गये आतंकवादियों में 11 ट्रेनर थे, इनमें दो ट्रेनर अफ़ग़ानिस्तान से थे और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को बालाकोट में हथियार चलाने और बम बनाने की ट्रेनिंग दे रहे थे.
पाकिस्तान ने बालाकोट में मिली चोट को हमेशा छुपाने की कोशिश की है. भारत की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान लगातार बहुत दबाव में है. 10 अप्रैल को 43 दिन बाद पाकिस्तान की सेना कुछ चुनिंदा पत्रकारों को बालाकोट लेकर गई थी. मैरिनो ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बालाकोट में आतंकवादी कैंप 2 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं, और पत्रकारों को उस जगह नहीं ले जाया गया जहां भारतीय वायु सेना ने बम गिराये थे.
मैरिनो का दावा है कि जहां पत्रकारों के प्रायोजित दौरे की व्यवस्था की गई, वहां डेढ़ घंटे की पैदल चढ़ाई के बाद ही पहुंचा जा सकता है. ऐसी भौगोलिक चुनौतियों के बीच वहां बच्चों का मदरसा बनाने का कोई मतलब नहीं है. ये सिर्फ़ दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की तरह है. मैरिनो ने स्थानीय लोगों से बात की है. उनका कहना है कि जो स्थानीय आतंकवादी यहां मारे गये हैं, उनके घरवालों तक मुआवज़ा भी पहुंचा दिया गया है. इसके अलावा अपने काडर का हौसला बनाये रखने के लिये जैश-ए-मोहम्मद ने लोगों के बीच ये बात पहुंचाने की कोशिश की है कि सही वक़्त आने पर वो बालाकोट airstrike का बदला लेंगे.
कुल मिलाकर इस पत्रकार की रिपोर्ट पढ़कर और उसकी बातें सुनकर इस बात की पुष्टि होती है कि बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक के नतीजे काफ़ी धमाकेदार थे.
अब जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी, बदला लेने का मौका ढूंढ रहे हैं, जबकि भारतीय वायुसेना, उन्हें ठिकाने लगाने के लिए नये Bomb लेने पर विचार कर रही है. वैसे बालाकोट से पाकिस्तान ने चाहे कुछ सीखा हो या नहीं... लेकिन मसूद अज़हर ने इस हमले से कई शिक्षाएं ली हैं.
संयुक्त राष्ट्र में पाबंदी लगने के बाद मसूद अज़हर ने अपने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम बदल लिया है. अब जैश-ए-मोहम्मद का नाम जैश-ए-मुतकी रखा गया है.
लश्कर चीफ हाफ़िज़ सईद ने वर्ष 2001 में भारत की संसद पर हमले के बाद कार्रवाई के डर से यही तरकीब अपनाई थी. तब लश्कर-ए-तैयबा को अमेरिका ने Foreign Terrorist Organisation घोषित किया था. इसके बाद हाफ़िज़ सईद ने इसका नाम बदलकर जमात-उद-दावा रख लिया था.
ख़ुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने इससे जुड़े आतंकियों की ट्रेनिंग के लिए मीरमशाह शहर में टेरर कैंप बनाने भी शुरू कर दिये हैं. मीरमशाह पाकिस्तान के उत्तरी वज़ीरिस्तान का हिस्सा है और ये अफगानिस्तान की सीमा से महज़ 60 किलोमीटर दूर है. इस संगठन में मौलाना मसूद अज़हर तालिबान को भी शामिल कर रहा है.
लेकिन भारत भी तैयार है. भारतीय वायु सेना बालाकोट वाली कामयाबी से सीखकर आगे की रणनीति बना रही है. Indian Air Force जैसी आधुनिक सेनाएं अपने हर ऑपरेशन और अपनी हर exercise से सबक़ लेती हैं. हर सेना दूरदर्शिता रखती है, जब वो युद्ध नहीं कर करती...तो अपनी तलवार को धार देती रहती है. वैसे भी सेना में सिखाया जाता है कि युद्ध की तैयारी के लिये जितना पसीना बहाएंगे, युद्ध के दौरान उतना ही कम ख़ून बहाना पड़ेगा.
बालाकोट air strike के बाद अब वायु सेना stand-off weapon यानी लंबी दूरी तक ग्लाइड करके वार करने वाले आधुनिक बम ख़रीदने की योजना बना रही है. बालाकोट में मिराज लड़ाकू विमानों ने ऐसे ही ग्लाइड करने वाले बम spice-2000 का इस्तेमाल किया था. अब इसके advanced बंकर बस्टर वर्ज़न लेने पर विचार चल रहा है. ये ऐसा बम है जो कंकरीट की कई फुट मोटी इमारत को भी तबाह कर सकता है. इसलिये Indian Air Force की Operational Readiness यानी किसी भी मिशन को अंजाम देने की तैयारी आज आपको ज़रूर देखनी चाहिये. इस रिपोर्ट में आपको पता चलेगा कि वायु सेना में कैसे आगे की रणनीति डिज़ाइन की जाती है.