Zee जानकारीः भूमिगत जल को कैसे दूषित कर रहा है इलैक्ट्रोनिक कचरा?
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Zee जानकारीः भूमिगत जल को कैसे दूषित कर रहा है इलैक्ट्रोनिक कचरा?

आप बहुत सारे Electronic Gadgets का इस्तेमाल करते होंगे . खराब हो जाने के बाद आप इन चीज़ों को फेंक देते होंगे लेकिन आपने कभी ये नहीं सोचा होगा कि ये Electronic कचरा.. पीने के पानी को भी दूषित कर सकता है. 

Zee जानकारीः भूमिगत जल को कैसे दूषित कर रहा है इलैक्ट्रोनिक कचरा?

अगर हम आपसे ये कहें कि आप जो पानी पीते हैं उसमें कम्प्यूटर का Keyboard घुला हुआ है तो शायद आपको इस बात पर विश्वास नहीं होगा. लेकिन सच ये है कि जिस पानी को आप पीते हैं उसमें सिर्फ़ कंप्यूटर का Keyboard ही नहीं, बल्कि कंप्यूटर का Mouse, मोबाइल फोन, हेडफोन और ईयरफोन भी घुला हुआ है . आप बहुत सारे Electronic Gadgets का इस्तेमाल करते होंगे . खराब हो जाने के बाद आप इन चीज़ों को फेंक देते होंगे लेकिन आपने कभी ये नहीं सोचा होगा कि ये Electronic कचरा.. पीने के पानी को भी दूषित कर सकता है. आज हमने E-Waste और पानी पर उसके दुष्प्रभाव का DNA टेस्ट किया है . ये विश्लेषण आपकी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है . 

Zee News की टीम ने एक विश्वविद्यालय के शोधपत्र का DNA टेस्ट किया है . जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दिल्ली में मौजूद E-Waste के असर का अध्ययन किया है . इस शोध में ये पता चला है कि E-Waste की वजह से भूमिगत जल यानी Ground Water दूषित हो रहा है . अगर आप भूमिगत जल का इस्तेमाल करते हैं तो हो सकता है कि उसमें Heavy Metals हों . आपके पानी में कॉपर, लेड, कैडमियम, क्रोमियम और ज़िंक भी घुला हो सकता है . मिट्टी की ऊपरी और निचली परत में भी इन धातुओं की मात्रा में सैकड़ों गुना इज़ाफ़ा हुआ है .

इस वजह से पेड़-पौधों, सब्ज़ियों और फलों में भी E-Waste का ज़हर घुल रहा है . दुख की बात ये है कि इस समस्या की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है . आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में.. दुनिया भर के E Waste.. को ठिकाने लगाया जाता है. भारत Superpower बनने के ख्वाब देख रहा है लेकिन सच्चाई ये है कि अमेरिका, चीन और यूरोप के बहुत सारे देश... अपना E Waste हमारे देश में Dump कर रहे हैं . सवाल ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है.. हम इतने मजबूर क्यों हैं ? क्या विदेशों से Import किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रति हम जागरूक नहीं है ? 

हमारे पास जो आंकड़े हैं उनके मुताबिक देश में E-Waste के कुल आयात का 42 प्रतिशत अमेरिका से हो रहा है . इसके अलावा हम China से 30 प्रतिशत, यूरोप से 18 प्रतिशत और ताइवान, साउथ कोरिया और जापान जैसे देशों से 10 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक कचरा आयात कर रहे हैं . 

  • वर्ष 2016 में भारत में 18.5 लाख मिट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकला. 
  • अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2018 में भारत में 30 लाख मिट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होगा
  • ये दुनिया भर में पैदा होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरे का 12 प्रतिशत है . 
  • भारत दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा करने वाले पांचवा सबसे बड़ा देश है 
  • भारत हर वर्ष पैदा होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरे का 2 प्रतिशत से भी कम हिस्सा recycle कर पाता है .
  • वर्ष 2016 में भारत की सरकार ने नियम बनाए कि E Waste को पैदा करने वाली कंपनी को ही अपने 30 प्रतिशत से 70 प्रतिशत E Waste को मैनेज करना होगा.
  • परेशानी की बात ये है कि देश में बड़े पैमाने पर E Waste पैदा हो रहा है.. और हम विदेशों से भी E Waste Import कर रहे हैं.
  • ऐसे में देश में इलेक्ट्रॉनिक कचरे का Overload है और ज़्यादातर लोग ये नहीं जानते कि इस तरह के कचरे को कैसे वैज्ञानिक ढंग से Recycle किया जाता है?

इलेक्ट्रॉनिक gadgets में सोने और चांदी सहित कई कीमती धातुएं होती हैं.. और बहुत सी ऐसी चीज़ें होती हैं.. जिनका इस्तेमाल दोबारा किया जा सकता है. इसलिए भारत में ये अपने आप में एक असंगठित उद्योग बन चुका है.. और E Waste को Dispose करने वाले लोगों में अब भी जागरूकता की कमी है. लंबे समय से E Waste के साथ लापरवाही हो रही है.. और अब इसका असर.. देश के कुछ हिस्सों की मिट्टी और पानी पर पड़ने लगा है. पानी और मिट्टी में ख़तरनाक केमिकल मिलने की वजह से पौधे भी मुरझा जाते हैं.. ऐसे में सोचिए कि इंसानों के शरीर पर इसका क्या असर पड़ता होगा?

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