ZEE जानकारी: ईरान की सरकार ने विद्रोह का दोष अंग्रेज़ी भाषा पर मढ़ा
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ZEE जानकारी: ईरान की सरकार ने विद्रोह का दोष अंग्रेज़ी भाषा पर मढ़ा

28 दिसंबर 2017 से ईरान में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरान की सरकार इस विद्रोह को कुचलने में जुटी हुई है.

ZEE जानकारी: ईरान की सरकार ने विद्रोह का दोष अंग्रेज़ी भाषा पर मढ़ा

जब किसी देश की सरकार, वहां के नागरिकों की सुख सुविधाओं के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल हो जाती है तो वो अपने बचाव के लिए तरह-तरह के बहानों की तलाश करती है. ईरान में भी आजकल ऐसा ही हो रहा है. वहां की सरकार ने ईरान में अंग्रेज़ी भाषा की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया है. ये फैसला एक मुश्किल दौर में लिया गया है. 28 दिसंबर 2017 से ईरान में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरान की सरकार इस विद्रोह को कुचलने में जुटी हुई है. और इस दौरान ईरान में 22 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 1 हज़ार से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. 

ईरान में अब भी विरोध प्रदर्शन जारी हैं और वहां की सरकार ने विद्रोह का दोष अंग्रेजी भाषा पर डाल दिया है. ईरान की सरकार का मानना है कि अंग्रेज़ी की वजह से ईरान की संस्कृति में बदलाव हो रहा है. यूरोप के देशों का Culture लोगों की सोच को बदल रहा है. इसलिए लोगों के मन में सरकार विरोधी भावनाएं बैठ गई हैं. ईरान के सर्वोच्च नेता.. अयतोल्लाह अली ख़ामेने.. अंग्रेजी भाषा के सबसे बड़े विरोधी हैं. वर्ष 2016 में उन्होंने ईरान के शिक्षकों की एक सभा में कहा था कि 'ईरान के कई स्कूलों में अब अंग्रेज़ी भाषा को Nursery से पढ़ाया जा रहा है. और ये देश पर एक तरह का सांस्कृतिक हमला है.' 

अब तक ईरान के प्राइवेट स्कूलों में शुरू से ही बच्चों को English पढ़ाई जा रही थी. ईरान के रईस लोग अपने बच्चों को अंग्रेज़ी भाषा पढ़ाने वाले स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं. ईरान में बच्चों को विदेशी भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. ईरान के स्कूलों में विकल्प के तौर पर किसी एक विदेशी भाषा के अध्ययन के लिए आज़ादी होती है. अंग्रेज़ी भाषा... आज Global Language बन चुकी है. इसलिए ईरान में ज़्यादातर लोग विदेशी भाषा के तौर पर अंग्रेज़ी के विकल्प को प्राथमिकता देते हैं. और ये बात ईरान की सरकार को खटक रही थी. 

आपको याद होगा पिछले हफ़्ते हमने ईरान के विद्रोह का DNA टेस्ट किया था. हमने आपको ईरान की राजनीति, अर्थव्यवस्था और इतिहास के बारे में बहुत विस्तार से बताया था . हमने आपको बताया था कि ईरान में बढ़ती महंगाई दर और बेरोज़गारी की वजह से जनता को सड़कों पर उतरना पड़ा. लेकिन ईरान की सरकार शायद सच्चाई को स्वीकार नहीं करना चाहती. और देश में अपने कट्टरपंथी एजेंडे को लागू करने के लिए धर्म, संस्कृति और भाषा को हथियार बना रही है. ईरान का इतिहास करीब 6 हज़ार वर्ष पुराना है. ईरान अपनी चित्रकला... शिल्पकला, फारसी कविताओं और इमारतों के भव्य निर्माण के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. ईरान का समाज मूलरूप से कट्टरपंथी नहीं है, लेकिन वर्ष 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान के धर्मगुरुओं और नेताओं ने वहां के नागरिकों को लगातार मज़हबी इंजेक्शन देने की कोशिश की है. 

किसी भी धर्म में कट्टरपंथी विचारधारा दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है. कट्टरपंथी विचारधारा से ही आतंकवाद का जन्म होता है. इसीलिए दुनिया भर में कट्टरपंथियों का विरोध होना चाहिए. ईरान.. पश्चिमी एशिया का प्रमुख देश है. लेकिन इस क्षेत्र में ईरान के अलावा कई ऐसे देश हैं जो कट्टरपंथी और रुढ़ीवादी विचारों का विरोध कर रहे हैं. सऊदी अरब के शहज़ादे मुहम्मद बिन सलमान.. सऊदी अरब में पुरानी परंपराओं में बदलाव कर रहे हैं. इसके अलावा कई दूसरे देश भी कट्टरपंथी विचारधारा पर सवाल उठा चुके हैं. Jordan के King Abdullah Second ने वर्ष 2015 में European Parliament में एक भाषण दिया था. इसमें उन्होंने यूरोप के कई देशों के सामने अपनी बात रखी थी . उन्होंने बताया था कि धर्म के नाम पर घृणा फैलाने वाले लोग.. कैसे इस्लाम को हाइजैक करना चाहते हैं ? इस्लाम के अंदर उदारवाद और कट्टरवाद के बीच एक युद्ध चल रहा है.. और आज आपको इस युद्ध पर दिया गया ऐतिहासिक भाषण सुनना चाहिए. 

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