ZEE जानकारीः पाकिस्तान में इस्लामिक विचारधारा वाली पार्टियां रहीं कामयाब !
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ZEE जानकारीः पाकिस्तान में इस्लामिक विचारधारा वाली पार्टियां रहीं कामयाब !

इस चुनाव में पाकिस्तान को पूर्ण रुप से इस्लामिक राज्य बनाने का सपना देखने वाली तहरीक-ए-लब्बैक नामक पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में थे. 

ZEE जानकारीः पाकिस्तान में इस्लामिक विचारधारा वाली पार्टियां रहीं कामयाब !

पाकिस्तान में चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं. पाकिस्तान की सेना को इमरान खान के रुप में अपना नया कप्तान भी मिल चुका है. और आपने ये भी पढ़ा होगा, कि पाकिस्तान की जनता ने कट्टरपंथी सोच रखने वाली इस्लामिक पार्टियों को सिरे से नकार दिया है.हमने आपको बताया था, कि कैसे आतंकवादी हाफिज़ सईद ने जिस पार्टी को समर्थन दिया था, उसका एक भी प्रत्याशी वहां की नेशनल एसेंबली में, एक भी सीट नहीं जीत पाया. लेकिन, जब हमने इस विषय पर और गहरा रिसर्च किया, तो हमें पता चला कि ये संपूर्ण सत्य नहीं है.

पाकिस्तान की सेना ने अपने कप्तान के साथ-साथ, टीम के दूसरे खिलाड़ियों को भी चुन लिया है. और भविष्य में उसकी टीम कैसी होगी, इसका ट्रेलर भी लॉन्च कर दिया है. दुर्भाग्य की बात ये है, कि पाकिस्तान की जनता, कट्टरपंथी विचारों वाली राजनीतिक पार्टियों के शिकंजे में बुरी तरह फंस चुकी है. इस चुनाव में पाकिस्तान को पूर्ण रुप से इस्लामिक राज्य बनाने का सपना देखने वाली तहरीक-ए-लब्बैक नामक पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में थे. 

इसने विधानसभा के लिए 388 उम्मीदवार और वहां की नेशनल एसेंबली के लिए 178 प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे. नेशनल एसेंबली में इस पार्टी को कोई कामयाबी नहीं मिली. लेकिन, लोगों ने इसके उम्मीदवारों को दिल खोलकर वोट दिए.उदाहरण के तौर पर नेशनल एसेंबली में कराची से इसके उम्मीदवारों को 3 लाख 21 हज़ार वोट मिले. जबकि सिंध एसेंबली में ये संख्या इससे भी ज़्यादा थी.दूसरी तरफ पाकिस्तान की विधानसभा में इसके दो उम्मीदवारों की एंट्री हो गई. एक सीट पर जीतने वाले प्रत्याशी को 26 हज़ार से ज़्यादा Vote मिले. जबकि दूसरी सीट पर जीतने वाले उम्मीदवार को 21 हज़ार से ज़्यादा Votes मिले.

हैरानी की बात ये है, कि वोट प्रतिशत के लिहाज़ से पाकिस्तान के सबसे बड़े पंजाब प्रांत में तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान, तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थी. लाहौर में भले ही इसके किसी भी उम्मीदवार को जीत ना मिली हो. लेकिन, इस पार्टी के प्रत्याशियों ने पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और दूसरी पार्टियों के कई बड़े और अनुभवी उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी. पाकिस्तान के चुनाव आयोग के मुताबिक वोटों के मामले में तहरीक ए लब्बैक वहां की पांचवी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी थी.इसका सीधा सा मतलब ये निकलता है, कि लाहौर के अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अलग-अलग हिस्सों में इस्लामिक विचारधारा से जुड़ी पार्टियों को लोगों का समर्थन हासिल करने में कामयाबी मिली है.

ये तो इस्लामिक कट्टरपंथियों की बात हो गई. अब ये देखिए, कि कैसे इमरान ख़ान की पार्टी के टिकट से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार भी ओसामा बिन लादेन, हाफिज़ सईद, मुल्ला उमर और उमर शेख जैसे आतंकवादियों की सेवा करते रहे हैं. इन्हीं में से एक नाम है, रिटायर्ड Brigadier Ijaz Shah का. ब्रिगेडियर शाह, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की सीट नंबर 118 के लिए चुनाव मैदान में थे. और उन्होंने 63 हज़ार से ज़्यादा वोट हासिल करके, पाकिस्तान की संसद में अपनी एंट्री सुनिश्चित कर ली.ब्रिगेडियर शाह का Biodata काफी ख़तरनाक है.ऐसा माना जाता है, कि पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को छिपाकर रखने वाले व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि ब्रिगेडियर शाह ही थे.

एबटाबाद के जिस Compound में ओसामा बिन लादेन को छिपा कर रखा गया था, उसे ब्रिगेडियर शाह के निर्देश पर ही तैयार किया गया था. पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल ज़ियाउद्दीन बट भी ये बात स्वीकार कर चुके हैं, कि Brigadier Ijaz Shah को लादेन के बारे में पूरी जानकारी थी और जनरल परवेज़ मुशर्रफ के साथ मिलकर उन्होंने लादेन को कई वर्षों तक छिपाए रखा.पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ के शासन के दौरान ब्रिगेडियर शाह वहां के IB चीफ हुआ करते थे. और उनपर आरोप लगते रहे हैं, कि उन्होंने Wall Street Journal के पत्रकार Daniel Pearl की हत्या करने वाले आतंकवादी Omar Sheikh को भी बचाकर रखा था.अब आप खुद सोचिए, कि पाकिस्तान की सेना, इमरान खान की कप्तानी में, आतंकवादियों वाली टीम बनाकर किस तरह का खेल, खेलेगी ?

वैसे जब हम इन नतीजों का गहराई से विश्लेषण कर रहे थे, तो हमें एक और दिलचस्प बात पता चली.तहरीक ए लब्बैब के टिकट से जिन प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, उनमें से कई आतंकवादी थे. और ये हम नहीं कह रहे. बल्कि ये खुद पाकिस्तान की सरकार भी ये मानती है. क्योंकि, ये सभी लोग पाकिस्तान की आतंकवादियों वाली लिस्ट में शामिल हैं. इस लिस्ट को पाकिस्तान में Fourth Schedule कहा जाता है. इसमें उन लोगों का नाम शामिल किया जाता है, जिनपर किसी आतंकवादी गतिविधि में लिप्त होने का या किसी आतंकवादी संगठन में शामिल होने का संदेह होता है. इस लिस्ट में जो भी व्यक्ति शामिल होता है, उसे ना तो लोगों से बात करने की इजाज़त होती है. ना ही वो व्यक्ति कोई सार्वजनिक रैली कर सकता है.

कुछ इलाकों को छोड़कर बाहर नहीं निकल सकता. और अपने बैंक अकाउंट का भी इस्तेमाल नहीं कर सकता. लेकिन, पाकिस्तान के चुनाव आयोग के मुताबिक, ऐसे आतंकवादी चुनाव लड़ सकते हैं. क्योंकि, Fourth Schedule में इस बात को कहीं परिभाषित नहीं किया गया है. ये एक ऐसा चोर रास्ता है, जिसकी मदद से आतंकवादियों को पाकिस्तान की संसदीय राजनीति में एंट्री दी जा रही है. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर कितना गंभीर है.

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