Aaj Ka Panchang: आज है अपरा एकादशी, जानिए व्रत कथा, शुभ मुहूर्त व राहुकाल

Aaj Ka Panchang: आज 26 मई यानी गुरुवार को अपरा एकादशी है. आचार्य विक्रमादित्य से जानिए अपरा एकादशी की व्रत कथा, पंचांग, राहुकाल और शुभ मुहूर्तः

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 25, 2022, 10:36 PM IST
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Aaj Ka Panchang: आज है अपरा एकादशी, जानिए व्रत कथा, शुभ मुहूर्त व राहुकाल

नई दिल्लीः Aaj Ka Panchang: आज अपरा एकादशी है. इसकी व्रत कथा इस प्रकार है कि पुरातन काल में महीध्वज नामक एक राजा हुआ करता था. महीध्वज बहुत तेजस्वी और धार्मिक प्रवृत्ति का राजा था. महीध्वज का एक भाई था, जिसका नाम वज्रध्वज था. वज्रध्वज का स्वभाव अपने भाई से एकदम उलट था. वह असुर प्रवृत्ति का था. इसलिए उसे महीध्वज के धर्म-ध्यान में लीन रहना खटकता था. 

वह हमेशा अपने भाई का नाश करने की फिराक में घूमता रहता था. एक दिन वज्रध्वज ने मौका पाकर अपने भाई का वध कर दिया. किसी को इसकी खबर न लगे, इसलिए उसने राजा महीध्वज का शव पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. मरने के बाद राजा महीध्वज की आत्मा को मुक्ति नहीं मिली. 

वह उसी पीपल के पेड़ में रहने लगी. महीध्वज की आत्मा वहां से गुजरने वाले राहगीरों को परेशान करती. इससे लोगों ने उसे भूतिया पेड़ घोषित कर दिया. एक बार उस इलाके में एक ऋषि आए. राहगीर ऋषि के पास गए और भूतिया पेड़ के बारे में बताया. ऋषि पीपल के पेड़ के पास पहुंचे. महीध्वज की आत्मा ने ऋषि को भी परेशान किया. 

ऋषि को अपने तेज से पता चल गया कि यह प्रेतात्मा किसी प्रतापी राजा की है. ऋषि ने कहा कि एक राजा होकर आपको ये तुच्छ काम शोभा नहीं देता. आप यहां से गुजरने वाले राहगीरों को क्यों परेशान करते हैं. तब महीध्वज की आत्मा ने जवाब दिया, हे ऋषिवर इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. मरने के बाद में एक प्रेतात्मा बनकर रह गया हूं. मैं खुद इस बंधन से मुक्ति चाहता हूं. आप ही कोई उपाय बताएं. 

तब ऋषि ने राजा महीध्वज की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए अपरा एकादशी का व्रत रखा. उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना की. इसके फलस्वरूप महीध्वज की आत्मा मोक्ष को प्राप्त हुई.

आज का पंचांग
ज्येष्ठ  - कृष्ण पक्ष- एकादशी - गुरुवार 
नक्षत्र -  रेवती नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग - आयुष्मान योग
चन्द्रमा का मीन राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - सर्वार्थ सिद्ध योग सूर्य उदय से 
राहु काल - 02.01 बजे से 03.39 बजे तक

त्योहार - भद्र काली एकादशी 

गुप्त मनोकामना के लिए 
एक तांबे का चौकोर टुकड़ा भोजपत्र में लपेटकर आज सायंकाल गोधुली बेला में आक के पेड़ की जड़ के नीचे दबा दीजिए और एक मनोकामना का स्मरण कीजिए. याद रखें कि यह कार्य करते कोई आपको देखे नहीं, कोई टोके नहीं. नहीं तो इसका प्रभाव निष्फल हो जायेगा.

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