Bhagwan Ko Bhog: नई दिल्लीः जब हम मंदिर जाते हैं तो प्रसाद के लिए ले गई वस्तु मंदिर में भगवान के चरणों में अर्पित करते हैं. अर्पित करने के बाद जब हम उस अर्पित की गई खाद्य वस्तु को वापस लेते हैं तो भी उसके आकार –प्रकार और स्वरूप में कोई परिवर्तन हुए बिना प्रसाद बन जाता है.
सनातन परंपरा में भगवान को भोग लगाकर ही भोजन करने का प्रावधान है. इसके अलावा विशेष अनुष्ठान पर विशेष भोग भी लगाया जाता है.
यह भी स्पष्ट है कि हर भगवान के लिए अलग-अलग प्रकार का प्रसाद और भोग है, जो उनको बहुत प्रिय है. जानिए किस भगवान को क्या पसंद है. बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य-
विष्णु भोग: खीर या सूजी के हलवे का नैवेद्य
विष्णुजी को खीर या सूजी के हलवे का नैवेद्य बहुत पसंद है. खीर कई प्रकार से बनाई जाती है. खीर में किशमिश, बारीक कतरे हुए बादाम, बहुत थोड़ी-सी नारियल की कतरन, काजू, पिस्ता, चारौजी, थोड़े से पिसे हुए मखाने, सुगंध के लिए एक इलायची, कुछ केसर और अंत में तुलसी जरूर डालें.
कई तरह के हलवे बनते हैं लेकिन सूजी का हलवा विष्णुजी को बहुत प्रिय है. सूजी के हलवे में भी लगभग सभी तरह के सूखे मेवे मिलाकर उसे भी उत्तम प्रकार से बनाएं और भगवान को भोग लगाएं.
प्रति रविवार और गुरुवार को विष्णु-लक्ष्मी मंदिर में जाकर विष्णुजी को उक्त उत्तम प्रकार का भोग लगाने से दोनों प्रसन्न होते हैं और उसके घर में किसी भी प्रकार से धन और समृद्धि की कमी नहीं होती है.
शिव भोग: भांग और पंचामृत का नैवेद्य
शिव को भांग और पंचामृत का नैवेद्य पसंद है. भोले को दूध, दही, शहद, शकर, घी, जलधारा से स्नान कराकर भांग-धतूरा, गंध, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित किए जाते हैं. शिवजी को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी अर्पित की जाती है.
श्रावण मास में शिवजी का उपवास रखकर उनको गुड़, चना और चिरौंजी के अलावा दूध अर्पित करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है.
श्री हनुमान भोग: चूरमा, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू
हनुमानजी को चूरमा, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू या रोठ, डंठल वाला पान और केसर- भात बहुत पसंद हैं. इसके अलावा हनुमानजी को कुछ लोग इमरती भी अर्पित करते हैं.
कोई व्यक्ति 5 मंगलवार कर हनुमानजी को चोला चढ़ाकर यह नैवेद्य लगाता है, तो उसके हर तरह के संकटों का अविलंब समाधान होता है.
माँ लक्ष्मी भोग: पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात
लक्ष्मीजी को धन की देवी माना गया है. कहते हैं कि अर्थ बिना सब व्यर्थ है.
लक्ष्मीजी को सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात बहुत पसंद हैं. कम से कम 11 शुक्रवार को जो कोई भी व्यक्ति एक लाल फूल अर्पित कर लक्ष्मीजी के मंदिर में उन्हें यह भोग लगाता है तो उसके घर में हर तरह की शांति और समृद्धि रहती है. किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं रहती.
मां दुर्गा भोग: खीर, मालपुए, मीठा हलुआ, पूरणपोळी
माता दुर्गा को शक्ति की देवी माना गया है. दुर्गाजी को खीर, मालपुए, मीठा हलुआ, पूरणपोळी, केले, नारियल और मिष्ठान्न बहुत पसंद हैं. नवरात्रि के मौके पर उन्हें प्रतिदिन इसका भोग लगाने से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है, खासकर माताजी को सभी तरह का हलुआ बहुत पसंद है.
बुधवार और शुक्रवार के दिन दुर्गा मां को विशेषकर नेवैद्य अर्पित किया जाता है. माताजी के प्रसन्न होने पर वह सभी तरह के संकट को दूर कर व्यक्ति को संतान और धन सुख देती है. यदि आप माता के भक्त हैं तो बुधवार और शुक्रवार को पवित्र रहकर माताजी के मंदिर जाएं और उन्हें ये भोग अर्पित करें.
सरस्वती भोग: दूध, पंचामृत, दही, मक्खन
माता सरस्वती को ज्ञान की देवी माना गया है. माता सरस्वती को दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू तथा धान का लावा पसंद है. सरस्वतीजी को यह किसी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए, तो ही ज्ञान और योग्यता का विकास होगा.
श्रीगणेश भोग: मोदक या लड्डू का नैवेद्य
गणेशजी को मोदक या लड्डू का नैवेद्य अच्छा लगता है. मोदक भी कई तरह के बनते हैं. मोदक के अलावा गणेशजी को मोतीचूर के लड्डू भी पसंद हैं. शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं. इसके अलावा आप उन्हें बूंदी के लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं. नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी उनको अर्पित किए जाते हैं.
श्रीराम भोग: केसर भात, खीर, धनिए का भोग
भगवान श्रीरामजी को केसर भात, खीर, धनिए का भोग आदि पसंद हैं. इसके अलावा उनको कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग भी प्रिय है.
श्रीकृष्ण भोग: माखन और मिश्री
भगवान श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री का नैवेद्य बहुत पसंद है. इसके अलावा 56 भोग विश्व विख्यात है .
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